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10 मजेदार कहानी | जादुई मजेदार कहानियां | majedar kahaniya

 इस पोस्ट मे आप सभी पढ़ने वाले है  majedar kahaniya  क्यूंकी जादुई मजेदार कहानियां और majedar kahaniya  पढ्न बच्चो को बहुत पसंद होता है । आज की इस majedar kahaniya कहानी मे आपको जानवरो की आची आची मॉरल कहानिया पढ़ने को मिलने वाली है । 

और साथ ही इस majedar kahaniya  मे आप को अच्छे आचे मॉरल भी सीखने को मिलेंगे जोबच्चों को सीखना बहुत ज़रूरी होता है इस पोस्ट मे 4 majedar kahaniya  है जिसे पढ़ कर आपको और बच्चो को बहुत्मजा आने वाला है तोचलिए शुरू करते है majedar kahaniya 


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    जंगल की हरी दीमक 

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    10 मजेदार कहानी  | जादुई मजेदार कहानियां | majedar kahaniya
     जादुई मजेदार कहानियां

    राजवीर एक जंगल में रहता था वह जंगली जानवरों से बातें भी किया करता था इशारो इशारो में एक बार जो महीने के लिए जंगल में निकला तो उसने देखा कि जंगल के पेड़ों पर कुछ हरा हरा लगा हुआ है उसने यह जानने के लिए यह क्या चीज है एक बहुत ही बढ़िया भालू जिससे बहुत ही सालों से तजुर्बा था जंगल में रहने का उसने उस भालू से जाकर कहा कि यह जंगल के सभी पेड़ों पर हरा हरा क्या लगा हुआ है।


    उस भालू ने कहा कि ठीक है मुझे वहां लेकर चलो जहां के पेड़ों पर यह हरा हरा लगा हुआ है राजवीर ने उस भालू को वहां ले गया जहां पेड़ों पर कुछ हरा हरा लगा हुआ था वह पेड़ को देखकर भालू एकदम से चौंक उठा और कहा कि यह तो दीमक है जो हरि हो गई है इस पर राजीव रहता है कि क्या हमें चिंता की कोई बात है।


    इस पर भालू कहता है कि हा हा इस पर तो बहुत चिंता की बात है क्योंकि यह दिमाग से यह हरी दीमक से पूरे पेट खराब हो जाएंगे और पूरा जंगल बर्बाद हो जाएगा इस पर राजगीर कहता है कि फिर तो हमें इस पर कुछ करना चाहिए भालू कहता है कि हां हां हमें कुछ ना कुछ तो करना ही चाहिए।


    अब राजवीर एक और भालू पूरे जंगल में घूम कर पूरे जानवरों को जमा करते हैं जिसमें चीन बंदर भेड़िया शेर चीता और तरह तरह के जानवर जमा होते हैं और इस मुद्दे पर बात करते हैं कि जंगल में जो यह दीमक लगी है जो हरि दीमक लगी है उसे हमें कैसे खत्म करना चाहिए इस पर सब अपनी अपनी राय देते हैं।


    लेकिन किसी को भी इस हरि दीमक के बारे में पता नहीं था सिवाय भालू के भालू कहता है कि जब मैं राजदरबार में था तब वहां पर भी एक बाहरी दीमक लगी थी उन्होंने कोई तेल उस पर लगाया था तो पूरी दिमाग जल गई थी और पेड़ सुरक्षित हो गए थे और उस दिल की वजह से पूरी दिमाग पेड़ पर से हट गई थी।


    यह सुनकर राजवीर कहता है फिर तो हमें वह तेल चाहिए यह सुनकर भालू और पूरे जानवर कहते हैं लेकिन हमें थोड़ी मात्रा में तेल मिलेगा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता हमें तो पूरे जंगल के पेड़ों पर वो तेल लगाना है इसीलिए हमें बहुत सारा तेल चाहिए।


    यह सुनकर राजवीर कहते हैं कि फिर तो हमें पास के गांव में जाकर देखना पड़ेगा कि वह तेल है या नहीं इस पर भानू कहते हैं यहां पास के गांव में वह तेल जरूर मिलेगा लेकिन उसे लाने में बहुत रिस्क है यह सुनकर राजू रहता है कि हरीश है तो चलेगा ना क्योंकि हमारा जंगल अगर खत्म हो गया तो हमें वैसे ही उस इसको झेलना पड़ेगा।


    हम जंगल के सारे जानवर और राजवीर मिलकर प्लेन बदलते हैं गांव से वह तेल कैसे लाएंगे जिसकी वजह से जंगल के पेड़ों की दीमक को हटाया जाए।


    प्लेन ऐसा बनता है कि सबसे पहले चील उड़ते हुए गांव के आसपास का नजारा देखती है कि कहीं इंसान तो नहीं है वहां पर क्योंकि वह रात में जाते हैं और जब हमें कोई नहीं दिखाई देता है तो राजगीर शेर के ऊपर बैठकर जाता है और तेल निकाल कर लेता है और वह तेल नदी में फेंक देता है नदी में मगरमच्छ उसका इंतजार कर रहा होता है मगरमच्छ अपने मुंह से तेल के ड्राम पानी में बहा कर के किनारे पर लाता है।


    वहां पर बंदर और हाथी उसका इंतजार कर रहे होते हैं और वह नदी में से तेल के ड्रम निकालते हैं और जंगल में रख देते हैं फिर जंगल के सारे जानवर अपने हाथों से उस पेड़ के हरे धीमा कर सकते हैं बंदर अपनी पूछ से लगाता है हाथी अपनी सूंड से लगाता है और बाकी के जानवर भी अपने शरीर पर लगाकर उस पेड़ को लगाते हैं।


    अगली सुबह उस तेल की वजह से पूरे जंगल के पेड़ हरे भरे हो जाते हैं फिर से वो सारे जानवरों को बहुत खुशी मिलती है।


    majedar kahaniya से मिलने वाली सीख : एकता में बहुत बल होता है इसीलिए हमें कोई भी काम मिलजुल कर करना चाहिए।


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    चालाक कव्वा 

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     जादुई मजेदार कहानियां

    एक बार की बात है एक कौवा आसमान में उड़ रहा था तभी उसे याद आया कि उसने अपना कुछ खाना एक पेड़ के पास रखा है अगर वह जल्दी से पेड़ के पास नहीं जाएगा तो कोई दूसरा जानवर आकर उसके खाने को खा लेगा यह सोचकर वह वापस से वह चला जाता है जहां उसने अपना खाना रखा होता है।


    लेकिन जैसे ही वह पेड़ के पास पहुंचता है उसे उसका केक दिखाई नहीं देता उसने वह केक कहीं से लाया था। उसे यह देखकर बहुत गुस्सा आता है कि उसका केक किसी ने खा लिया है यह जानने के लिए उसका कि किसने गाया है वह पूरे जानवर पूरे जंगल के जानवर से पूछता फिरता है वह सबसे पहले हाथी के पास जाता है और हाथी से कहता है।


    हाथी भाई हाथी भाई क्या तुमने मेरा केक किसी जानवर को हंसते हुए देखा है मैंने यही इस दरख्त के पास रखा था यह सुनकर भारती कहता है नहीं भाई मैंने तो तुम्हारा केक नहीं देखा और ना ही यह देखा कि इसे किसने गाया है यह सुनकर कौवा आगे बढ़ जाता है।


    अब उसे एक बंदर दिखाई देता है कौवा बंदर से कहता है बंदर भाई बंदर भाई तुम तो पेड़ पर इस डाल से उस डाल छलांग लगाते रहते हो क्या तुमने मेरा केक देखा है कि कौन से जानवर ने खाया है यह सुनकर बंदर कहता है नहीं नहीं मैंने तो ऐसा कोई केक नहीं देखा किसी जानवर को खाते हुए तुम्हें शायद वह नटखट चिड़िया बता सकती है।


    अकुआ उस नटखट चिड़िया के पास जाता है और उसे कहता है यह नटखट चिड़िया क्या तुमने मेरा केक किसी जानवर को खाते हुए देखा है वह उस पेड़ के पास रखा हुआ था इस उनका नटखट चिड़िया करती है नहीं नहीं कहोगे भाई मैंने तो तुम्हारा ठीक किसी जानवर को खाते हुए नहीं देखा यह सुनकर कौवा वहां से चला जाता है।


    अब वह पूरे जानवरों से पूछ पूछ कर थक गया था अब उसके पास कोई चारा नहीं था कि उसके किस को भूल जाए लेकिन वहां से उसे एक लोमड़ी गुजरते भी दिखाई देती है और वह लोमड़ी को वैसे कहती है कि क्या हुआ इतने परेशान क्यों लग रहे हो इस पर को वो कहते हैं कि उस पेड़ के पास मेरा केक रहा हुआ था लेकिन पता नहीं किसने खा लिया अब मैं उसका पता लगाते हुए पूरा जंगल घूम रहा हूं।


    यह सुनकर लोमड़ी कहती है कि इतनी सी बात मैं उस को जानती हो जिसमें तुम्हारा केक खाया है यह सुनकर कौवे की आंखों में चमक आ जाती है और कहता है जल्दी बताओ किसने में रखे खाया है मुझे उसे मार मार कर कचुंबर बना दूंगा यह सुनकर लोमड़ी हंसती है और कहती है फिर खुद ही अपना कंजूमर बना लो यह सुनकर कौवा कहता है क्यों क्या हुआ।


    लोमड़ी रहती है कि जब सुबह मैं यहां से गुजर रही थी तुम ही वह केक खा रहे थे और तुमने ही वह के आकर सफाचट कर दिया था यह सुनकर कौवा सोचता है तब उसे याद आ जाता है कि सुबह सुबह उठकर उसने ही वह कर खाया था और वह खामोखा दूसरे जानवरों पर शक कर रहा था।


    majedar kahaniya से मिलने वाली सीख : दूसरों पर उंगली उठाने से पहले हमें खुद ही उसके बारे में पहले सोच लेना चाहिए।

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    धोखेबाज दोस्त 

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     जादुई मजेदार कहानियां

    एक बार की बात है एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहा करती थी वह इतनी चालाक थी कि वह अपने आप को बहुत ही जल्दी राजा बनने का सपना देखती थी। 


    1 दिन शेरों से पास आता है और कहता है कि अगर तुम कोई जानवर को मेरी गुफा में लाऊंगी तो मैं आधा मांस तुम्हें दे दूंगा खाने के लिए क्योंकि तुम बहुत चालाक हो और तुम अपनी चालाकी से कोई भी जानवर को मेरे गुफा में ला सकती हो।


    यह सुनकर लोमड़ी की आंखों में चमक आ जाती है और वह सोचती है इसमें जो सिर्फ गुफा में किसी भी जानवर को जाना है और मुझे बना बनाया मांस मिल जाएगा यह सोचकर भी पूरे जंगल में अब जानवरों की तलाश करती है।


    तभी उसे एक हिरण दिखाई देती है वह इस रंग को देखकर बहुत खुश हो जाती है और मजे में सोचती है कि इस का गोश्त इस नामर्दी का होगा क्योंकि हमेशा हरा हरा चारा खाती है यह सोचकर वायरल के बाद जाती है और कहती है।


    हीरोइन दोस्त हीरोइन और मुझे तुम्हारी मदद की बहुत जरूरत है यह सुनकर बेचारी जन्म देती है तो क्या हुआ यह सुनकर लोमड़ी कहती है कि जंगल की उस पर 1 गड्डे में मेरा एक दोस्त फस गया है मुझे उसे निकालने में किसी की जरूरत है क्या तुम मेरी मदद करोगी इस पर हिरन कहता है कि हां हां मैं तुम्हारे साथ चलूंगा।


    बेचारे हीरोइन ने उसे दोस्त समझकर उसके साथ चलने के लिए मान गया वह धीरे धीरे से शेर की गुफा में लिखी जब चली गई जैसे ही शेर की गुफा में रंग आया शेर ने झपट सो से दबोचा और पूरा का पूरा खा गया यह देखकर लोमड़ी कहने लगी..


     तुमने तो मुझे यह कहा था कि मैं तुम्हें आजादी दूंगा यह सुनकर शेयर करता है चली जा यहां से जाना और धोखेबाज लोमड़ी तूने अपने दोस्त को नहीं छोड़ा अपने लालच की वजह से तुम मुझे भी नुकसान पहुंचा सकती है इससे भी निकल जा मैं तुम्हें एक भी मांस का टुकड़ा नही दूंगा।


    लोमड़ी ने अपने दोस्त से धोखेबाजी की और उसे मांस भी नहीं मिला।


    majedar kahaniya से मिलने वाली सीख : हमें धोखेबाज दोस्तों से सावधान रहना चाहिए।





    हाथी से दोस्ती

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     जादुई मजेदार कहानियां

    चिंटू अपने पापा के साथ रविवार के दिन सोने जाता है और जो में उसे तरह-तरह की जानवर दिखाई देती है वहां उसे प्यारे-प्यारे हिरन दिखाई देते हैं शरारती बंदर दिखाई देते हैं और उस जो में बहुत बड़े-बड़े कान के हाथी भी थे।


    पहले तो चिंटू उन बड़े-बड़े हाथियों के बड़े-बड़े काम देख कर डर जाता है लेकिन बाद में चिंटू को उसके पापा समझाते हैं कि यह हाथी मेरे दोस्त होते हैं और यह हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचाती इसलिए हमें इनसे डरना नहीं चाहिए बल्कि इनसे बात करना चाहिए।


    इस पर चिंटू कहता है पापा क्या यह हाथी हमारे से बात कर सकते हैं इस पर उसके पापा हंसते हुए कहते हैं नहीं बेटा जी हमसे बात तो नहीं करते लेकिन यह हमारी बातों को और हमारी भावनाओं को समझते जरूर है।


    इतने में झूठों को एक आइसक्रीम वाला दिखाई देता है वह अपने पापा से जिद करता है कि मुझे आइसक्रीम खानी है मुझे आइसक्रीम नहीं खानी है यह सुनकर उसके पापा कहते हैं ठीक है ठीक है लेकिन एक से ज्यादा इस क्रीम नहीं खाने दूंगा मैं इस पर चिंटू कहता है हां मुझे तो ऐसी रूम चाहिए एक मुझे और एक मेरा दोस्त हाथी को।


    उसके पापा कहते हैं हाथी को हाथी कब से तुम्हारा दोस्त हो गया चिंटू कहता है कि अभी तुम मेरी इस से दोस्ती हुई है मैं एक आइसक्रीम इसको खिलाऊंगा यह सुनकर उसके पापा कहते हैं नहीं बेटा इस उम्र में जानवरों को खाना खिलाना मना है इस पर चिंटू कहता है कि फिर यह बगैर खाना खाए जिंदा कैसे रहते हैं।


    चिंटू की इस नटखट बात पर उसके पिता उसे समझाते हुए कहते हैं कि जो वाले ही इन्हें खाना खिलाते हैं बाकी इन्हें देखने आने वालों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं होती है यह सुनकर सुनकर समझ जाता है और वह अपने ऐसे ही आता है और दिन भर रूम में घूमता है और शाम को अपने घर चला जाता है।



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      लालची छोले भटूरे वाला 

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    10 मजेदार कहानी

    एक बार की बात है एक छोटे से गांव में राजू नाम का एक गरीब आदमी रहा करता था वह छोले भटूरे की ठेला लगाया करता था और बहुत ही गरीब था लेकिन वह गरीब लोगों को फ्री में ही छोले भटूरे दिया करता था।

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    10 मजेदार कहानी

    एक दिन जब वह घर पर जाता है तो उसकी बीवी कहती है आज तुमने कितने पैसा कमाए तो ये सुनकर राजू करता है आज मेरा ठेले पर बहुत सारे गरीब लोग आए थे इसीलिए मैंने उन सभी को मुफ्त में छोले भटूरे दे दिया और इसीलिए मेरी आज ज़्यादा कमाई नहीं हो सकी। 


    10 मजेदार कहानी

    यह सुनकर उसकी बीवी बहुत ही चिड़िया जाती है और कहती है तुम इतने दयावान क्यों होते जा रहे हो हम तो बहुत गरीब है लेकिन हमें दूसरों की मदद इतनी नहीं करनी चाहिए कि हम खुद ही गरीब हो जाए यह सुनकर राजू कहता है ऐसा नहीं है हमें दूसरों की मदद करने की सही है पर भूखे को खाना खिलाना मैं बहुत पुण्य का काम समझता हूं।


    यह सुनकर उसकी बीवी कहती है तो ठीक है तुम पुण्य करते जाओ लेकिन जो 1 साल पहले तुमने मुखिया जी से 1 लख रुपए उधार लिए थे छोले भटूरे का ठेला लगाने के लिए उसकी तारीफ नजदीक आ गई है और अगर वह पैसे वापस नहीं किया तो वह तुमने बहुत ही जलील करेगा।


    राजू करता है हां वह तो मैं भूल ही गया लेकिन अब मैं क्या करूं मेरे पास तो पैसे ही नहीं है यह सुनकर उसकी बीवी गुस्से से वहां से चली जाती है।

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    10 मजेदार कहानी

    दूसरे दिन राजू अपना छोले भटूरे का ठेला लगाता है तभी वहां मुखिया आ जाता है और राजू से कहता है मैंने तुम्हें पिछले साल ₹100000 दिए थे और ब्याज मिलकर मुझे अब पूरे ₹200000 चाहिए यह सुनकर राजू करता है इतना ज्यादा ब्याज की सुनकर मुखिया करता है हां क्योंकि मैं तुम्हें हर महीने ₹2000 ब्याज देने के लिए कहा था लेकिन तुमने मुझे एक भी महीने ब्याज नहीं दिया इसीलिए मुझे इस तारीख को ₹200000 चाहिए ब्याज समेत नहीं तो मैं तुम्हारा घर भी छीन लूंगा और तुम्हारा ठेला भी छीन लूंगा।


    यह सुनकर राजू कहता है नहीं ऐसा मत करो यह तो मेरी रोज़ी रोटी है फिर मैं किसके सहारे जिऊंगा यह सुनकर मुखिया रहता है मुझे कुछ नहीं पता मुझे मेरे पैसे चाहिए तुम्हें एक दिन की मोहलत है एक दिन में मुझे ₹200000 चाहिए मुझे सुनकर राजू कहता है मैं एक दिन में ₹200000 कैसे जमा करूंगा मुखिया करता है यह मुझे नहीं पता और यह कहकर मुखिया वहां से चला जाता है।


    अब दशहरा राजू घर जाते-जाते अपने ठेले की गाड़ी एक पीपल के पेड़ के नीचे खड़ा करता है और कहता है हे भगवान मैं तो तेरे ही लिए सभी लोगों को मुफ्त में खाना खिलाया और उसको यह परिणाम मिल रहा है अगर एक दिन में पैसे जमा नहीं कर पाया तो मुखिया मेरा घर भी ले लेगा मेरा ठेले भी ले लूंगा और मुझे गांव के सामने जालिम भी कर दूंगा अब मुझे तुझ पर ही भरोसा है और यह कहकर राजू अपने घर चला जाता है।


    सुबह होती है पर उसकी बीवी कहती है कि अब तुम पैसे जमा नहीं कर पाए मैं तुम्हें कब से कहती थी कि मुफ्त में खाना बांटना बंद करो और तुमने मेरी एक न सुनी अब मुखिया हमारा घर भी ले लेना और ठेला भी ले लेगा अब हम कहां रहेंगे यह सुनकर राजू कहता है जाने दो मैं थैला लेकर जा रहा हूं और राजू अपना ठेला लगाता है।


    और तभी वहां पर एक बुढ़ा बूढ़ी आती है और कहते हैं बेटा हमने सुना है कि तुम भोको को मुफ्त में खाना खिलाते हो हम बहुत गरीब है और हमें बहुत भूख लगी है तुम हमें पेट भरकर खाना खिलाओगे क्या राजू कहता है ठीक है तुम्हें जितना खाना खाना है खाओ राजू अपना पूरा खाना बनाता है वह पूरा दिन भर का छोला भटूरा बनाकर रख देता है और दोनो बूढ़ा बूढ़ी सभी छोले भटूरे सफा चट कर जाते हैं।


    यह देखकर राजू चौक जाता है और दिल ही दिल सोचता है यह तो मेरे दिन भर के छोले भटूरे थे उन्होंने यही खा लिया और जाते-जाते बुढ़ा बुधी राजू को छोटी थैली देते हैं और उसे कहते हैं यह रखो यह तुम्हारे बहुत काम आएगी और यह कह कर वह वहा से चले जाते हैं।


    उनके जाने के बाद राजू जब थैली खोलकर देखा है तो वह पता है कि उसे थैली में कुछ कंकड़ थे उन कंकड़ों को देखकर राजू कहता है यह कंकर इन्होंने मुझे क्यों दिया जाने दो यह कंकर मैं उनका आशीर्वाद समझ कर रख देता हूं।


    राजू अपना थैला लेकर घर पर चला जाता है घर पहुंचने के बाद उसकी बीवी रहती है पैसों का इंतजाम हुआ राजू कहते हैं नहीं अब तो मेरे जलील होने का वक्त आ गया है हम मुखिया सारे गांव के सामने मुझे जरूर करूंगा और मेरा घर भी छीन लेना और ठेला भी छीन लूंगा लेकिन यह सुनकर उसकी बीवी कहती है जाने दो जो होगा देखा जाएगा उसकी बीवी कहती है तुम्हारे हाथ में क्या है तो राजू बताता है ।

    मैंने एक बुढ़ा बूढ़ी को मुफ्त में खाना खिलाया इसी वजह से उन्होंने मुझे यह दिया है।

    राजू की बीवी बहुत ही उत्साहित होकर उसे थैली को खोलकर देखी है तो बोलती है यह तो कंकर है इन कंकड़ों का हम क्या करेंगे यह सुनकर राजू कहता है जाने दो उन्होंने कुछ तो दिया अरे यह कहकर वह उदास होकर बैठ जाता हैं।


    जब राजू सुबह नींद से जगाता है तो उसकी नजर उसे थैले पर पड़ती है जैसे वह थैली अपने हाथ में लेता है तो वह चौंक जाता है क्योंकि उसे थैलीमें कंकर की जगह कीमती हीरे थे।


    राजू समझ जाता है कि वो बूढ़ा बूढ़ी भेस बदलकर उसकी मदद करने के लिए आए थे राजू जल्दी से शहर जाता है और घूमने का एक हीरा बेचकर ₹200000 लेकर आता है पर मुखिया के मुंह से मारा जाता है और जब वह घर जाते हैं तभी वो बूढ़ा बूढ़ी राजू के घर आते हैं और राजू से कहते हैं जब तुम पेड़ के नीचे खड़े होकर भगवान से बातें कर रहे थे तभी हमने सभी बातें सुन ली थी और तुम्हारी मदद करने के लिए आए थे।


    और सुनो इन हीरो को बेचने के बाद तुम्हारे पास बहुत सारे पैसे आ जाएंगे लेकिन अमीर बनने के बाद तुम अपना यह काम नहीं छोड़ना राजू कहता है कौन सा काम वह कहते हैं भूतों को खाना खिलाने का काम यह तुम हमेशा जरूर रखना तो यह कहने के बाद वह वहां से गायब हो जाते हैं।


    अब राजू एक नया घर ले लेता है और पूरे गांव में सबसे अमीर हो जाता है लेकिन वह अभी भी छोले भटूरे ही भेजता है और बहू के लोगों को और गरीब लोगों को मुफ्त में छोले भटूरे बेचता है और ऐसे ही वह अपनी जिंदगी गुजारता है।


    गरीब का AC वाला ढाबा

    10 मजेदार कहानी

    किशनपुर नाम के गांव में रवि नाम का एक आदमी रहा करता था जो अपना ढाबा चलाता था ढाबा बहुत छोटा था लेकिन रवि और उसकी पत्नी जो खाना बनाते थे वह बहुत टेस्टी होता था इसीलिए लोगों की भीड़ उसे ढाबे पर रहती थी।


    10 मजेदार कहानी

    लेकिन रवि बहुत ही कम पैसों में लोगों को खाना खिलाता था जिसकी वजह से उसकी बहुत कम आमदनी हुआ करती थी लेकिन इससे उसका घर आसानी से चल जाता था और रवि और उसकी बीवी बहुत ही मेहनत और लगन से ढाबे पर काम करते थे।

    अब गर्मी का समय आता है और गर्मी में बहुत धूप होने की वजह से रवि का ढाबा बहुत गर्म होने लगता है और बिल्कुल उसके सामने एक गांव के करोड़पति किस जिसका नाम धनीराम होता है उसने भी एक ढाबा डाल दिया लेकिन उसने अपना ढाबे में दो-दो ऐसी लगा दी जिसकी वजह से सारे लोग गर्मी में खाना खाने के लिए एक वाले ढाबे में जाने लगे और रवि के धागे में कोई नहीं हां तो क्योंकि उसके ढाबे में ऐसी नहीं था और बहुत गर्मी होती थी।


    अब रवि की कमाई बहुत कम होने लगी है क्योंकि सभी ऐसी वाले धागे में जाना पसंद करते हैं और रवि के धागे पर कोई नहीं आता था बेचारा रवि गरीब होने की वजह से अपने ढाबे में ऐसी नहीं लग सकता था क्योंकि ऐसी बहुत महंगी होती है अब वह अपनी बीवी से बात करता है कि हमें ढाबा बंद कर देना चाहिए क्योंकि अब तो हमारा ढाबे पर कोई ग्रह की नहीं आ रहा है।

    तभी रवि की बीवी कहती है ठीक है अब हमारे पास थोड़े से दाल और थोड़े से चावल बचे हैं जिसे हम कल बना लेंगे और उसके बाद हमारा ढाबा बंद कर देंगे क्योंकि कोई ग्राहक ही नहीं आ रहा है तो ढाबा चलाने का क्या मतलब।

    गांव के जमींदार का ac वाला ढाबा रवि के ढाबे के बिलकुल सामने था। 

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    एक बार एक पति पत्नी जो दिखने में बहुत ही अमीर लग रहे थे लेकिन उनकी हालत बहुत ही खराब थी वह जमींदार के ढाबे पर गए और उनसे कहा भैया हमें किसी चोर ने लूट लिया है और हमारे सारे पैसे भी ले लिए हैं क्या आज रात हम तुम्हारे दबे पैर रख सकते हैं यह सुनकर जमींदार करने लगा यह कोई तरीका हुआ भीख मांगने का और उन्हें वहां से दुधकार कर निकाल दिया।

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    दोनों पति-पत्नी रवि के ढाबे पर आए और उनसे कहा कि हमारे साथ ऐसा हुआ है तो रवि ने कहा आई ए हमारा दम भी पर आई है रवि और उसके पत्नी ने उन्हें ढाबे पर रुकाया उन्हें दाल रोटी खिलाई और रात भर उन्हें रोकने दिया।

    और सुबह जाते हुए उसे आदमी ने कहा कि आपका बहुत-बहुत धन्यवाद रवि ने कहा आप बहुत खुशी किस्मत हो हमारा आज का आखिरी दिन तक ढाबे का और तुम यहां आ गए यह सुनकर उसे आदमी ने कहा क्यों आखरी दिन क्यों रवि ने कहा मेरे ढाबे में ऐसी नहीं है इसलिए कोई मेरे धागे में खाना खाने नहीं आता सभी सामने वाले ढाबे में जाकर खाना खाते हैं इसीलिए मैं अपना ढाबा बंद करने वाला हूं क्योंकि मेरे पास इतने पैसे नहीं कि मैं अपने ढाबे में इसलिए लगा सकूं।


    यह सुनकर वह आदमी कहने लगा तुमने मेरी मदद की है और मैं भी तुम्हारी मदद करना चाहता हूं मैं शहर का बहुत धनी व्यापारी हूं और मैं तुम्हारी मदद करूंगा मैं कल ही तुम्हारे पास वापस आता हूं वह आदमी चला गया और दूसरे दिन रवि के धागे में आया और रवि को तीन बड़ी-बड़ी ऐसी लगवा कर दी जिसकी वजह से उसका ढाबा एकदम ठंडा हुआ करता था इस तरह उसे आदमी ने रवि की मदद की।

    अब रवि के धाबी में बहुत सारी भीड़ आने लगी अब रवि और रात में भी ढाबा खुला रखने लगा और रात में हाईवे से जाने वाले लोग भी रवि के AC वाले ढाबे में खाना खाने आने लगे।


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