आज की इस कहानी में आप सभी लोग पढ़ने वाले है बहुत ही funny और मज़ेदार डरपोक भूत की कहानी क्योंकि डरपोक भूत की कहानी लोगो को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और इस कहानी में तो आप लोगो को 2023 की बिल्कुल नई कहानियां पढ़ने को मिलेंगी तो चलिए शुरू करते हैं डरपोक भूत की कहानी
डरपोक चुड़ैल भूत
बात है शांति नगर गांव की यह गांव शहर के बहुत दूर था और वहां पर बहुत सारे लोग रहा करते थे लेकिन सभी लोग गरीब थे और गरीब भी की वजह से सभी लोगों को अच्छी तरह खाना नहीं मिल पाता था और उनके मनपसंद का खाना नहीं मिल पाता था।
इस गांव में रामदास नाम का एक आदमी रहा करता था रामदास बहुत ही ईमानदार था और वह अपने परिवार का पेड़ अच्छी तरह पाल पता था उसके दो बच्चे थे चिंटू और मोनिका और वह अपनी छोटी सी फैमिली में बहुत खुश था।
एक दिन रामदास उसके घर आता है और अपनी बीवी से कहता है कि मेरी नौकरी छोड़ गई है जिसकी वजह से अब हमें बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा रामदास की बीवी जिसका नाम अंजली होता है अंजलि रामदास से कहती है क्यों क्या हुआ तुम्हारी नौकरी क्यों छूट गई।
इस पर रामदास कहता है मैं जिस कंपनी में काम करता था उसे कंपनी के बॉस का साला जो मेरी जगह पर आ गया है और बॉस ने साले को मेरी जगह बिठा दिया है और मुझे नौकरी से निकाल दिया है यह सुनकर रामदास की बीवी अंजलि को बहुत गुस्सा आया और कहने लगी की कोई ऐसा कैसा कर सकता है अब हम क्या खाएंगे क्या पंगे अगर तुम्हारी नौकरी ही नहीं रही तो।
अब रामदास बहुत दुखी हो जाता है और सोचता है कि आप कौन सी नौकरी की जाए तभी उसे याद आता है कि उसके घर के पड़ोस में एक लकड़ी का कारखाना है शायद उसे वहां नौकरी मिल जाए और नौकरी लेने के लिए वह लकड़ी के कारखाने में जाता है लेकिन वहां उसे कोई नौकरी नहीं मिलती इसीलिए वह उदास होकर घर वापस लौट आता है।
ऐसे ही दिन बीते जाते हैं और एक महीना गुजर जाता है रामदास को कहीं नौकरी नहीं मिलती तभी गांव के कुछ लोग रामदास को सलाह देते हैं कि वह शहर जाए क्योंकि शहरों में बहुत सारी नौकरी होती है यह सुनकर रामदास जी शहर जाने के लिए राजी हो जाता है लेकिन रामदास की बीवी कहती है कि अगर हम शहर चले जाएंगे तो शहर में सारी चीज बहुत महंगी होती है हम उसे खरीद खरीद कर ही वैसे ही गरीब रह जाएंगे।
रामदास को कुछ समझ नहीं आता एक दिन जब वह रात में सोता है तो उसे नींद नहीं आती तभी वह गांव के एक चौराहे पर बैठ जाता है गांव के चौराहे पर एक कुआं होता है उसे प्यास लग जाती है और रात में वह कुएं के पास पानी पीने जाता है और जैसे ही वह कुएं के अंदर जाकर देखा है तो वहां पर दो चुड़ैले बैठी होती है चुड़ैल भूत देखकर रामदास बहुत डर जाता है और वहां से भागने लगता है।
चुड़ैल रामदास को देख लेती है और उसके पीछा करने लगती है और उसे पकड़ लेती है चुड़ैल को अपने सामने देखकर रामदास बहुत डर जाता है और चुड़ैल से कहाँ लगता है मुझे कुछ मत करो मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा और मैं किसी को नहीं बताऊंगा कि तुम दोनों चुड़ैल है इस कुएं में रहती हो।
लेकिन दोनों चुड़ैल रामदास का भाव पकड़ लेती है और कहती है कि हमारे बीच इंसाफ कर दो हमें एक खान की थाली मिली है लेकिन यह थाली किसकी है इसके हिसाब तुम कर दो।
रामदास यह देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है कि यह चुड़ैल तो बहुत डरपोक है और मुझसे ही यह थाली का इंसाफ करने के लिए कह रही है और रामदास को अच्छी तरह पता चल जाता है यह दोनों चुड़ैल बहुत ही डरपोक है अब इसका फायदा रामदास उठाता है।
वह चुड़ैलों से कहता है ठीक है यह खान की ताली ना तुम्हारी है ना तुम्हारी बल्कि मेरी है क्योंकि मुझे बहुत भूख लगी है और मेरे परिवार के सभी लोग भूखे हैं इसीलिए तुम मुझे यह थैली दे दो वरना मैं पूरे गांव वालों को बता दूंगा कि तुम इसको भी में रहती हो और पूरे गांव वाले तुम्हें यहां से हकाल फेंकेंगे यह सुनकर दोनों चुड़ैल बहुत ही डर जाती है क्योंकि वह बहुत ही डरपोक होती है इसीलिए वह अंदर से कहती है ठीक है यह खान की थाली तुम लेकर चले जाओ।
रामदास घर जाता है और अपने परिवार वालों को उठना है और सारे लोग पूरे थाली में से मजेदार खान और स्वादिष्ट खाना बहुत ही मजे सीखते हैं और रात में सो जाते हैं लेकिन जब सुबह होती है तो रामदास यह सोचने लगता है कि अब मैं इन दोनों डरपोक चुड़ैल भूतों से कैसे पैसे कमाऊ।
तभी उसके दिमाग में एक तरकीब सोचती है और वह रात होने का इंतजार करता है और जैसे ही रात होती है वह फिर से उसी को भी के पास जाता है और दोनों ही चुड़ैल भूत को आवाज देता है रामदास की आवाज सुनकर वह दोनों डरपोक चुड़ैल भूत कोई से बाहर निकलती है और रामदास से कहती है तुम्हारा धन्यवाद कि तुमने हमारा नाम किसी गांव वाले को नहीं बताया कि हम कुएं में रहते हैं।
रामदास कहता है ठीक है ठीक है लेकिन इसके बदले में तुम्हें भी मेरे लिए कुछ करना होगा दोनों चुड़ैल रहती है कि हमें क्या करना होगा इस पर रामदास कहते हैं आसपास के गांव में बहुत ही ऐसे पेड़ है जिस पर बहुत सारे फल लगे हैं उन सभी पेड़ो पर से मुझे फल लाकर दो।
दोनों चुड़ैल बहुत ही डरपोक होती है और वह डरपोक बहुत रामदास का कहना मान लेती है और आसपास के सभी गांव के पेड़ों पर से रामदास को बहुत सारे फल लाकर देती है रामदास बहुत सारे फल जमा करता है और सुबह होती है उसे मंडी में जाकर बेच देता है।
उसे रामदास को बहुत सारे पैसे मिलते हैं जिससे वह अपने घर की जरूरत को पूरा करता है।
अब रामदास को बिजनेस का एक बहुत अच्छा आईडिया मिल गया था हमको रोजाना ऐसे ही करता है कभी-कभी वह उन डरपोक चुड़ैलों से टमाटर मंगवाता है कभी बैंगन तो कभी मूंगफली ऐसे ही वह मंडी में बेच कर आता है।
और ढेर सारे पैसे कमाने लगता है वह एक महीने में इतने पैसे कमा लेता है कि अपने लिए बहुत बड़ा घर बना लेता है और बहुत सारे मजदूर काम पर लगा लेता है इसी तरह रामदास दर को भूत चुड़ैल से पैसे कमाने लगता है।
लेकिन इस गांव में एक बल्लू नाम का आदमी रहता था बल्लू को रामदास के इस काम का पता नहीं चल रहा होता है केवल इतना अमीर कैसे हो गया इतनी जल्दी बल्लू इसी का पता न जाने के लिए रामदास का पीछा करने लगता है और जब रामदास शराब के समय में उसको एक के पास जाता है डर को चुड़ैल के पास तभी बल्लू यह सारा नजारा देख लेता है।
और फिर रामदास के जाने के बाद बल्लू भी वहां जाता है और कुएं में आवाज देता है डरपोक चुड़ैल को लेकिन जैसे ही दर को चुड़ैल बाहर आती है वह बल्लू से कहती है कि तुम्हें क्या चाहिए बल्लू कहता है मुझे भी बहुत सारे फल तोड़कर लगे दो लेकिन घर को चुड़ैल यह सुनने के बाद बल्लू को खा जाती है और दोनों चुड़ैल मिलकर बल्लू को सफाचट कर देते हैं।
लेकिन अब दोनों डरपोक चुड़ैल जो दोस्त हो जाते हैं और उसे और भी अमीर से खुशी रहता है अब वह गरीब नहीं रहता बल्कि बहुत अमीर हो जाता है।
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