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25+ पंचतंत्र की लघु कहानियां | short panchatantra story in hindi

 

पंचतंत्र की लघु कहानियां

आज की इस पंचतंत्र की लघु कहानियां  मे आप सभी एक बहुत मज़ेदार कहानी पढ़ने वाले है जिसमे एक राजा और दरबारी की कहानी है इस पंचतंत्र की लघु कहानियां  मे आप वही कहानी पढ़ने वाले है और ये 2023 की पंचतंत्र की लघु कहानियां है तो चलये शुरू करते है पंचतंत्र की लघु कहानियां 



पंचतंत्र की लघु कहानियां


एक बहुत बड़ा सम्राज्य था उस साम्राज्य का राजा बहुत ही शक्तिशाली और बुद्धिमान था उसका नाम थी अविराज अविराज के राज्य में बहुत खुशहाली थी और उसके राज्य में लोग बहुत खुश थे।


पंचतंत्र की लघु कहानियां


एक बार महाराज आविराज अपने दरबार में बैठे हुए थे तभी दरबारी एक आदमी को वाह लेकर आए और महाराज से कहा महाराज अविराज ये आदमी चोरी करता हुआ पकड़ा गया है।


पंचतंत्र की लघु कहानियां


महाराज ने कहा कि तुम्हारा नाम क्या है उसे आदमी ने कहा महाराज मेरा नाम रवि है। महाराज ने कहा तुमने चोरी क्यों की रवि कहता है महाराज मैं पेशावर छोड़ नहीं हूं मेरे पास करने के लिए कोई काम नहीं है इसलिए मैंने पहली बार चोरी की थी और उसमें भी मैं पकड़ा गया।

पंचतंत्र की लघु कहानियां


महाराज कहता है क्या तुम्हें काम करना अच्छा नहीं लगता यह सुनकर रवि कहता है नहीं महाराज मुझे तो काम करना अच्छा लगता है लेकिन मेरे पास करने के लिए कोई काम नहीं है कोई मुझे काम नहीं देता और मैं बेरोजगार हूं।


महाराज कहता है कि तुम्हें कोई काम क्यों नहीं देता इस पर रवि कहता है कि मुझे एक बीमारी है और वह यह है कि चंद्रमा के रात को मुझे जो सपना आता है वो मैं सच होता है और कभी-कभी मुझे बुरे सपने भी आते हैं।


यह सुनकर महाराज कहता है कि तुम सच कह रहे हो तुम्हें जो भी सपने आते हैं वह क्या सच में सही हो जाते हैं यह सुनकर रवि कहता है हां मुझे जो भी सब जानते हैं वह सही हो जाते हैं यह सुनकर महाराज कहता है कि ऐसा तो हो नहीं सकता यह सुनकर रवि कहता है कि हां मुझे आपके बारे में भी एक सपना आया है।


महाराज कहते हैं कि तुम्हें मेरे बारे में क्या सपना आया है कि सुनकर रवि कहते हैं कि पड़ोस देश का राजा तुम्हारी सल्तनत पर हमला करने वाला है यह सुनकर महाराज कहता है कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता पड़ोस के राजा मेरे बहुत अच्छे दोस्त है।


उसी वक्त वहा पर एक दरबारी आता है और महाराज से कहेता है की पड़ोस के राजा जो आपके मित्र है वो आपके राज्य पर हमला करने वाला है ये सुनकर महाराज दंग रहे जाते है और रवि से कहेते है तुम्हारा सपना तो सच हो गया।


इस पर रवि कहेता है हा महाराज मेरा हर सपना सच होता है महाराज रवि को धन्यवाद कहेता है और जंग की तैयारी करता है।


जंग से वापस आकर महाराज रवि से कहेता है तुमने हमे सूचित करके हमारी मदद की बताओ तुम्हें क्या चाहिए रवि कहेता है महाराज मैं बेरोजगार हूं मुझे आपके महल में कोई नौकरी चाहिए महाराज रवि को सिपाही की नौकरी दे देता है उसका काम महल के दरवाज़े पर पहरा देने का होता है।


दूसरे दिन रवि और एक सपना देखता है जिसमे वो ये देखता है कि महाराज शिकार के लिए जंगल में गए और वहा जाकर कुछ आदिवासियों ने उन पर हमला किया और महाराज को बंधी बना लिया और महाराज को रस्सी से बांध कर बली दे ने के लिए ले जा रहे थे।


की अचानक उनमें से एक बूढ़े आदमी ने कहा रुको इसके हाथ में तो कोई चोट आई हुई है और ऐसे इंसान की हम बाली नही दे सकते और इसके बाद वो आदिवासी महाराज को छोड़ देते है।


ये सपना देखते ही रवि महाराज के पास जाता है और महाराज से कहेता है महाराज आप आज शिकार में मत जाओ ये सुन कर महाराज को हैरत होती है और वो रवि से कहते है तुम्हे कैसे पता के मैं शिकार पर जाने वाला हु।


फिर रवि अपना पूरा सपना बताता है लेकिन इसपर महाराज कहते है ऐसा कुछ नहीं होता और जरूरी नहीं के तुम्हारा हर सपना सच हो मैं तो आज शिकार पर जा कर रहूंगा ये सुनने के बाद रवि अपना चाकू निकालता है और महाराज के है पर एक छोटा सा कट मार देता है।


महाराज को ये देख कर बहुत क्रोध आ जाता है और वो सिपाहियो को आदेश देता है की इसे काल कोठरी में डाल दो हम शिकार से वापस आने के बाद इसकी सजा तय करेंगे।


अब महाराज शिकार से वापस आते है और रवि को दरबार में लाने के लिए कहेते है जैसे ही रवि दरबार में आता है महाराज उसे धन्यवाद कहते है और उससे कहते है तुमने जैसा कहा था मेरे साथ वैसे ही हुआ है तुम्हारा सपना बिल्कुल सच हुआ।


इसने में महराज कहते है हमारे सेनापति आज दरबार में क्यों नहीं आए तो एक दरबारी कहेता है महाराज आज सुबह ही उनकी मृत्यु हो गई है महाराज कहते है वो कैसे दरबारी कहेता है महाराज रवि ने एक सपना देखा और सेनापति से कहा की तुम 1 साल बाद मर जाएंगे लेकिन सेनापति ने इस बारे में इतनी चिंता करली की वो उसी रात मर गए गए है।


ये सुनकर महाराज अपने दरबारी से कहते है एक सोने से भरा हुआ संदूक लाओ और वो सोने से भरा हुआ संदूक रवि को दे देते है और और महाराज रवि से कहते है ये ले लो और मेरे राज्य से निकल जाओ।


ये सुन कर रवि कहता है महाराज मैं ने आपकी इतनी मदद की लेकिन आप मुझे अपने राज्य से निकालने की बात कर रहे हो।


इसपर महाराज कहते है हमे आगे का पता नही होनी चाहिए जो जो समय पर होता है वो वही समय पर होना चाहिए अगर हमे होने वाली चीज़ पहले से पता हो तो हमारा जीना मुश्किल हो जाएगा ।

और ये सुनने के बाद रवि वहा से चला जाता है।



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