hindi moral stories for class 10 with pictures | छोटी कहानी शिक्षा देने वाली

आज की इस कहानी मे आप सभी पढ़ने वाले है छोटी कहानी शिक्षा देने वाली और साथ ही  hindi moral stories for class 10 with pictures क्यूंकि 2023 की ऐसी ही नयी बच्चो की कहानिया पढ़ना बच्चो को अच्छा लगता है तो चलिये शुरू करते है छोटी कहानी शिक्षा देने वाली


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छोटी कहानी शिक्षा देने वाली

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    ईमानदारी का महत्व 

    छोटी कहानी शिक्षा देने वाली


    एक छोटे से गांव में रहने वाला एक लड़का था। उसका नाम रामू था। रामू बहुत ईमानदार और सच्चा बच्चा था। उसके माता-पिता ने उसे हमेशा सत्य और ईमानदारी की मिसाल दी थी। वे उसे यह सिखाते थे कि सच बोलना और दूसरों का सम्मान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।


    एक बार रामू को अपने छोटे गांव के सरपंच की सेवा करने का मौका मिला। उस समय गांव में एक समस्या थी कि विद्या के लिए बच्चों को आदेश हो गया था कि वे स्कूल जाएं। लेकिन गांव में स्कूल नहीं था और दूरबीन वाले बच्चों को स्कूल जाने में बहुत समस्या हो रही थी।


    रामू ने देखा कि ये समस्या गांव के बच्चों को पढ़ाई में रुकावट बन रही है। उसे यह बात बहुत दुखी कर रही थी। वह सोचता रहा कि उसे इस समस्या का समाधान कैसे करना है।


    फिर रामू ने एक दिन सरपंच से मिलकर उसे इस समस्या के बारे में बताया। सरपंच भी रामू की ईमानदारी से परिचित थे। उन्होंने कहा कि रामू, तुम गांव के लिए कुछ करना चाहते हो तो तुम्हें स्कूल बनवाना होगा।


    रामू ने सोचा कि स्कूल बनवाना काफी मुश्किल काम होगा। लेकिन उसके दिल में ईमानदारी की चिंता थी। उसने खुद को प्रोत्साहित किया और सोचा कि उसे यह समस्या का समाधान अवश्य मिलेगा।


    रामू ने गांव के सभी लोगों से मिलकर उन्हें स्कूल बनवाने के लिए योजना बताई। सभी लोगों ने रामू की सोच को सराहा और उसे सहयोग का वादा किया।


    रामू ने समझदारी से एक साल के अंदर एक स्कूल बनवा दिया। गांव के बच्चे अब स्कूल जाने लगे और उन्हें अच्छी शिक्षा मिलने लगी। सभी लोग रामू की मेहनत को सराहने लगे और उसे ईमानदारी की मिसाल बताने लगे।


    रामू ने ईमानदारी की मिसाल साबित कर दी और उसके द्वारा स्कूल बनवाने से गांव के बच्चों को बड़ा फायदा हुआ। वे अब अधिक ज्ञानी और समझदार बन गए। रामू को देखकर उन्हें बहुत गर्व हुआ।


    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और सत्य की कदर करनी चाहिए। इन गुणों से हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और दूसरों की मदद करके समाज के उन लोगों के लिए एक मिसाल बन सकते हैं।



    बुराई का परिणाम

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    एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में राजा राज करता था। वह राजा बहुत समझदार और न्यायप्रिय था। लोग उनके शासन में बहुत खुश थे। परंतु गांव में एक बुरा आदमी भी रहता था, जिसका नाम राक्षस था।


    राक्षस बहुत बदमाश और दुष्ट था। वह लोगों को परेशान करता, उनकी खुशियाँ छीनता और उन्हें धमकियाँ देता था। राक्षस को देखकर लोग डर जाते और उससे बचने की कोशिश करते।


    एक दिन, गांव के लोग राजा के पास जाकर उन्हें राक्षस की बुराई के बारे में बताया। राजा ने लोगों की बात सुनी और फैसला किया कि राक्षस को सजा मिलनी चाहिए।


    राजा ने अपने मंत्रियों को बुलाया और कहा, "राक्षस ने बहुत बुराई की है। हमें उसे सजा देनी चाहिए ताकि गांव के लोग खुश रह सकें।"


    मंत्रियों ने राजा की बात सुनी और कहा, "हां, राजा जी, आप सही कह रहे हैं। हम राक्षस को सजा देने के लिए तैयार हैं।"


    अगले दिन, राजा ने राक्षस को अपने सामने बुलवाया। राक्षस को देखकर लोग डर जाते और उसे नजरअंदाज करते।


    राजा ने राक्षस से पूछा, "तुमने बहुत सारी बुराई की है। अब तुम्हें इसका पछतावा हो रहा है?"


    राक्षस ने डरते हुए कहा, "हां, महाराज, मुझे अपने गलत कामों का पछतावा है। मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ।"


    राजा ने सोचा कि राक्षस ने गलती स्वीकार ली है और अब वह सच्चा हो गया है। इसलिए उसे सजा नहीं देनी चाहिए।


    राजा ने फैसला किया कि राक्षस को दूसरा मौका देना चाहिए। राजा ने राक्षस से कहा, "ठीक है, राक्षस, मैं तुम्हें एक मौका देता हूँ। अब तुम गांव के लोगों की सहायता करो और उनकी खुशियाँ छीनना बंद करो।"


    राक्षस ने हाँ कह दी और वह गांव के लोगों की मदद करने लगा। उसने अपने बुरे कामों को छोड़कर अच्छे काम करने का निर्णय लिया।


    गांव के लोग राक्षस के बदले में उसे धन्यवाद देते और उसे बहुत खुश रहते। राक्षस ने खुश होकर एक बहुत अच्छा इंसान बन जाना था।


    इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपने बुरे कामों का पछतावा करना चाहिए और अब से अच्छे काम करने का निर्णय लेना चाहिए। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए और उनकी खुशियाँ छीनना बंद करना चाहिए। हमेशा ईमानदारी से और सच्चाई से जीवन जीना चाहिए और बुराई की हार को स्वीकार करना चाहिए।



    एक अच्छे दोस्त की पहेचान

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    एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में राम और श्याम नामक दो बच्चे रहते थे। वे दोनों अच्छे दोस्त थे और हर वक्त साथ खेलते रहते थे।


    एक दिन, राम ने एक बड़े से खिलौने को देखा और उसे अपने दोस्त श्याम से शेयर करने की इच्छा की। लेकिन उसका मन भी चाह रहा था कि वह खिलौना खुद ही रख ले। राम को दोनों विचारों में कंफ्यूजन हो रही थी।


    फिर राम ने एक महान उपाय सोचा। उसने खिलौने को अपने दोस्त श्याम को दिया और कहा, "यह खिलौना मैंने खरीदा है और मैं इसे तुम्हारे लिए लाया हूँ। तुम इसे रखोगे।"


    श्याम बहुत खुश हुआ और राम को धन्यवाद दिया। दोनों दोस्त खिलौने के साथ खेलने लगे।


    कुछ दिनों बाद, राम और श्याम की मित्रता का समय आया। वे दोनों कोई बड़े से संघर्ष में फंस गए और एक दूसरे से रूठ गए।


    दिन बीतते जा रहे थे और दोनों के बीच दूरी बढ़ती जा रही थी। राम को बड़ी चिंता हुई और वह श्याम को मिलने गया।


    राम ने श्याम से कहा, "मुझे माफ कर दो, मैं तुमसे रूठ गया था। मैं तुम्हारा सच्चा मित्र हूँ और हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा।"


    श्याम ने भी राम को गले लगाया और कहा, "तुम्हारी इस ईमानदारी के लिए मैं तुम्हारे धन्यवादी हूँ। हम दोनों हमेशा एक-दूसरे के सच्चे मित्र हैं।"


    राम और श्याम की मित्रता फिर से जीवंत हो गई और वे फिर से अच्छे से मिलकर खेलने लगे। इस घटना के बाद, राम ने सीखा कि सच्चे मित्रता का महत्व क्या होता है और वह हमेशा अपने मित्रों के साथ ईमानदार और विश्वासपूर्वक रहेगा।


    इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि सच्चे मित्र की पहचान हमेशा ईमानदारी और सहानुभूति में होती है। मित्रता में भरोसा और सम्मान होना बहुत महत्वपूर्ण होता है और हमें अपने मित्रों के साथ सच्चे और निष्ठावान रहना चाहिए।



    अहंकार का सिला

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    एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक बिल्कुल नए बच्चे ने अपने आस-पास के सभी बच्चों को चिढ़ाने का शौक लगा लिया था। वह बच्चे अपनी पढ़ाई में तो भले ही रहते थे, लेकिन उनका बस एक ही मनोरंजन था - दूसरों के साथ चुटकुले बनाना और उन्हें चिढ़ाना। वे हमेशा दूसरों के सामने अपनी शक्ति और बुद्धिमानी दिखाते थे और खुद को सबसे बड़ा और सबसे बेहतर बताते थे। अपने अहंकार में वे दूसरों को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे।


    एक दिन, गांव में एक मेला आया। उस मेले में एक जादूगर भी आया था। बच्चे उत्साह से उसके जादू देखने जा रहे थे। जादूगर ने उनसे कहा, "आओ बच्चो, जादू देखें। लेकिन ध्यान रखिए, यह जादू अहंकार और गर्व की दुनिया से दूर है। इसमें तो सभी को सम्मान और प्रेम के साथ जीना पड़ता है।"


    बच्चे उत्साह से जादू देखने उसके पास गए। जादूगर ने एक छोटे से बिंदु पर एक सफेद चट्टान रखी। फिर उसने उनसे पूछा, "क्या तुम इस चट्टान को हिला सकते हो?"


    बच्चे अपने आप को बहुत बुद्धिमान समझते थे। उन्हें लगा कि यह तो बहुत आसान काम है। वे एक-दो बार चट्टान को हिलाने का प्रयास करते हैं, लेकिन चट्टान भीलीभांति स्थिर खड़ी रहती। बच्चे आश्चर्यचकित और नाराज हो गए।


    जादूगर ने कहा, "देखो बच्चो, यह चट्टान अपनी जगह स्थिर खड़ी है, क्योंकि वह अपने आप को बहुत बड़ा और बेहतर नहीं समझती। वह अहंकार में अटकी हुई है।"


    बच्चे इस सबको समझ गए। उन्हें अपने अहंकार का पता चल गया। वे जादूगर से माफी मांगने लगे और उन्होंने सीख लिया कि अहंकार से दूर रहना बेहद महत्वपूर्ण है।


    इसके बाद से, बच्चे बड़े विनम्र और समझदार हो गए। वे दूसरों के साथ सहानुभूति और सम्मान से रहने लगे। उनकी मित्रता में सच्चाई और प्रेम की मिठास आ गई और उन्हें खुशियां भरी जिंदगी जीने का सही रास्ता मिल गया।


    इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि अहंकार और गर्व से दूर रहना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें दूसरों के साथ सम्मानपूर्वक और भावनात्मक रिश्ते बनाने चाहिए और दूसरों की मदद करने में खुशी और संतुष्टि मिलती है। अहंकार और गर्व हमारे संबंधों को दूर ले जाते हैं, जबकि विनम्रता और सम्मान उन्हें और भी मधुर बनाते हैं।




    सब्र की ताकत

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    एक छोटे से गांव में एक बड़े ही समृद्ध व्यापारी रहते थे। उनके पास ढेर सारा सम्पत्ति थी और उन्हें सब कुछ अधिकारी और आम लोग भी सम्मान से देखते थे। लेकिन उनमें एक बड़ी समस्या थी - वे बहुत अधीरमग्न और अवश्यकताओं के अभाव में भी बहुत असंतुष्ट रहते थे।


    एक दिन, उन्हें एक साधु महात्मा से मिलने का मौका मिला। वे साधु महात्मा के सम्मुख गए और उनसे अपनी तंद्रा और असंतोष की बातें कहने लगे। साधु महात्मा ने उन्हें प्रत्याशा से सुना और फिर मुस्कराए और बोले, "बेटा, ज़िंदगी में सब कुछ एक बार में हो जाना आसान नहीं होता। सब्र रखने की ताकत सबसे बड़ी ताकत है।"


    व्यापारी ने कहा, "परंतु महात्मा जी, मैं इतने समय से इंतज़ार कर रहा हूँ, लेकिन मेरी समस्याएं हल नहीं हो रही हैं।"


    साधु महात्मा ने उनसे कहा, "बेटा, समस्याओं का समाधान होने में वक्त लग सकता है, लेकिन सब्र रखने से तुम उन्हें सुलझा पाओगे। जब तुम सब्र से काम लोगे, तो समस्याओं का समाधान भी आसानी से मिलेगा।"


    व्यापारी ने साधु महात्मा के उपदेश को समझा और उनसे कहा, "महात्मा जी, आपने सही कहा है। मैं भी अब से सब्र से काम लूँगा और समस्याओं को हल करने की कोशिश करूँगा।"


    व्यापारी ने वादा किया कि वह सब्र रखेंगे और अपने आस-पास के सभी लोगों के साथ भी सदयता और सहानुभूति से रहेंगे। उन्होंने अपने जीवन में सब्र को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया और उसके बाद से उनकी जिंदगी में सब कुछ बदल गया।


    व्यापारी ने सब्र की ताकत से अपने व्यापार में सफलता प्राप्त की। उन्हें धैर्य रखने से अपने समस्याओं का समाधान मिला और वे बहुत सम्मानित हो गए। उन्होंने देखा कि सब्र रखने से वे अपने जीवन को खुशियों से भर देने में सफल हो रहे हैं।


    इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि सब्र की ताकत से हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। जब हम धैर्य और सब्र से काम लेते हैं, तो हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं और अपने जीवन को सफलता और संतुष्टि से भर देते हैं। सब्र के बिना हम असफल हो सकते हैं और अपने जीवन को नाकामयाबी से भर देते हैं।



    अनुशासन का महत्व

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    एक छोटे से गांव में रहने वाला एक बच्चा था। उसका नाम राहुल था। राहुल बहुत ही मस्तिष्क वाला और खेलने-खुशने में आनंद करने वाला था। वह अपने माता-पिता, दादा-दादी, और सभी गांव के लोगों के दिलों में बड़ा प्यार रखता था।


    लेकिन एक दिन, राहुल के माता-पिता ने उसे एक बड़ा फैसला सुनाया। वे उसे एक बोर्डिंग स्कूल भेजने का निर्णय किया। राहुल को यह समझ में नहीं आया कि उसे अपने घर से दूर भेजा जा रहा है। उसके मन में बहुत सारे सवाल थे।


    बोर्डिंग स्कूल में रहने का आदेश आने के बाद, राहुल गमगीन हो गया। वह नहीं चाहता था कि उसे घर छोड़कर जाना पड़े। उसके लिए बोर्डिंग स्कूल नए लोगों के साथ रहना बहुत अनजान और डरावना लग रहा था।


    परंतु राहुल के पिता ने उसे समझाया कि बोर्डिंग स्कूल जाना उसके लिए अच्छा है। वहां उसे अनुशासन के साथ अध्ययन करने का अवसर मिलेगा और वह अपने भविष्य को सफल बनाने के लिए तैयार हो जाएगा। राहुल के पिता ने उसे कहा कि अनुशासन उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उसे सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचने में मदद करेगा।


    राहुल ने अपने पिता की बात मान ली और बोर्डिंग स्कूल जाने को तैयार हो गया। उसने अपने घरवालों के साथ विदाई की रात बहुत रोई, लेकिन उसे यह भी पता था कि इस परेशानी को झेलना ही उसके बड़े भविष्य की शुरुआत है।


    बोर्डिंग स्कूल में पहुंचकर, राहुल को अपने रूममेट्स ने बड़े प्यार से स्वागत किया। वहां के अध्यापक और स्टाफ भी बहुत दयालु और सहायक थे। राहुल ने जल्दी से सभी के साथ दोस्ती कर ली और अपने अध्ययन में ध्यान देने लगा।


    बोर्डिंग स्कूल में रहने के कुछ ही दिनों में, राहुल ने अनुशासन का महत्व समझ लिया। वह जान गया कि अनुशासन के बिना जीवन में सफलता नहीं मिलती। वह अपने सभी कामों को समय पर करता और अपने अध्ययन में भी ध्यान देने लगा।


    समय के साथ, राहुल की मेहनत और अनुशासन उसे बड़ी सफलता तक पहुंचा दिया। वह अपने स्कूल में शीर्ष पर रहने लगा और सभी अध्यापकों के दिलों में एक बहुत अच्छे छात्र के रूप में राज करने लगा। उसके माता-पिता और गांव के लोग भी उसके परिणामों से बहुत खुश थे।


    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अनुशासन और मेहनत सफलता के मार्ग में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हमें समय पर काम करना और दूसरों के साथ अच्छी दोस्ती बनाना भी सीखना चाहिए। इससे हमारा जीवन सफलता की ऊँचाइयों को छू सकता है।




    धोखेबाज का परिणाम

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    एक छोटे से गांव में एक बहुत अच्छा और ईमानदार लड़का राहुल रहता था। उसके माता-पिता ने उसे सदा अच्छे संस्कार दिए थे और राहुल सभी लोगों के दिलों में प्यारा होता था। वह अपने दोस्तों के साथ खेलना पसंद करता था और सभी के साथ मिलजुल करता रहता था।


    एक दिन, राहुल के गांव में एक नया लड़का आया। उसका नाम विकास था। राहुल ने विकास को बड़े प्यार से स्वागत किया और उसके साथ दोस्ती की। विकास भी बहुत ही मिठा और खुशमिजाज लड़का था। दोनों लड़के एक-दूसरे के साथ बहुत मस्ती करते और खेलते रहते।


    लेकिन समय के साथ, राहुल को धीरे-धीरे विकास के असली चेहरे का पता चलने लगा। विकास अपने पापा को झूठ बोलता और अच्छा बनने की कोशिश करता था। वह राहुल को बहुत मजाक बनाता और उसे धोखे से भरा जीवन दिखाता था।


    एक दिन, राहुल के दोस्तों ने उसे बताया कि विकास उसके पापा को झूठ बोलकर अपनी चोरी-छिपे की हुई चीजें ले जाता है। राहुल बहुत दुखी हुआ और उसने अपने पिता को सच्चाई बता दी।


    राहुल के पिता बहुत खुश हुए कि उनके बेटे ने सच्चाई बता दी और उन्होंने विकास के पिता को भी सच्चाई बताने की सलाह दी।


    विकास के पापा ने उसे बहुत समझाया और उससे कहा कि धोखेबाजी करना बहुत बुरा है और यह दूसरों को भी बहुत दुख पहुंचाता है। उसे यह समझ में आ गया कि धोखेबाजी का रास्ता सही नहीं है और वह अपने गलती को सुधारने का निर्णय लिया।


    इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धोखेबाजी करना बहुत बुरा है और यह हमेशा अच्छा नहीं होता। हमें हमेशा सच्चे और ईमानदार रहना चाहिए, क्योंकि सच्चाई हमेशा जीवन में सफलता और खुशियाँ लाती है।



    सच्चाई का परिणाम

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    एक गांव में रामू नामक एक छोटे से लड़के रहता था। रामू बड़ा चालाक और नाटकीबाज था। वह पढ़ाई में भी ध्यान नहीं देता था और हर वक्त खेलने में व्यस्त रहता था।


    एक दिन, रामू के दोस्त उसे एक सोने के अंडे के बारे में बताते हैं। वे कहते हैं कि एक जादुई मुर्गा है जो हर दिन सोने के अंडे देता है। रामू उस जादुई मुर्गे के अंडे को पाने के लिए बहुत उत्साहित हो जाता है।


    रामू जादू के अंडे को पाने के लिए अपने दोस्तों की मदद लेता है। वे सभी मिलकर जादू के अंडे की खोज करते हैं, लेकिन नहीं मिलता। रामू बहुत निराश हो जाता है और वह खुद अपनी मेहनत न करने के लिए खुद को कोसता है।


    फिर एक दिन, रामू एक बुजुर्ग व्यक्ति से मिलता है। वह बुजुर्ग रामू को बताते हैं कि सच्ची मेहनत का फल हमेशा मिलता है। वे कहते हैं कि जादूई मुर्गे के अंडे नहीं मिले लेकिन अगर रामू मेहनत करेगा और अपने काम में ध्यान देगा तो उसे जरूर फल मिलेगा।


    रामू को बुजुर्ग के शब्दों से प्रेरणा मिलती है। वह सोचता है कि अब उसे जादूई मुर्गे के अंडे की ज़रूरत नहीं है। वह अपने पढ़ाई में ध्यान देने लगता है और मेहनत करने लगता है।


    कुछ वक्त बाद, रामू की पढ़ाई में सुधार होता है और उसके परिणाम में भी सुधार आता है। वह अब अपने काम में ज्यादा उत्साहित रहता है और मेहनत से काम करता है।


    धीरे-धीरे, रामू के जीवन में खुशियाँ आने लगती हैं। उसके परिवार और दोस्त उसके सफलता पर गर्व करते हैं। रामू समझ जाता है कि सच्ची मेहनत का फल बहुत मीठा होता है और यह हमेशा हमारे साथ रहता है।



    सफलता का राज़

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    एक छोटे से गांव में रहता था एक लड़का नाम है रमेश। वह एक बहुत ही समझदार और मेहनती लड़का था। उसके माता-पिता भी उसकी मेहनती और बुद्धिमानी को देखकर बहुत खुश थे।


    रमेश के पास एक बड़ा सपना था। वह अपने गांव के सभी बच्चों को एक बड़ी स्कूल में पढ़ाना चाहता था। वह जानता था कि शिक्षा उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।


    एक दिन, रमेश ने अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना शुरू किया। वह रोज़ सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करता था। उसके दोस्त उसे मजाक करते और खेलने के लिए बुलाते, लेकिन रमेश हमेशा अपने सपने को याद रखता और मेहनत करता रहता।


    समय बितते-बितते, रमेश की मेहनत और धैर्य का फल मिलने लगा। उसने एक बड़े स्कूल में अपने गांव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। उसके सपने को पूरा करने के लिए उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी और सफलता की राह पर अग्रसर रहा।


    रमेश के सपने को देखकर उसके गांव के लोग भी उसके प्रति गर्व महसूस करने लगे। उसके माता-पिता भी उसकी सफलता से बहुत खुश थे। रमेश को यह दिखा कि मेहनत और समझदारी से हर सपना सच हो सकता है।


    इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि सफलता के रहस्य में मेहनत, समझदारी, और धैर्य का बहुत महत्व होता है। हमेशा अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करना और निरंतर प्रयास करना चाहिए। आधुनिक जीवन में भी, ये मूल गुण हमें सफलता की राह दिखा सकते हैं और हमें आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं।



    Focus का महत्व

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    एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक बड़ी जंगली बिल्ली रहती थी। वह बिल्ली बहुत ही शिकारी और चतुर थी। वह हमेशा जंगल में अपना शिकार करने के लिए घूमती रहती थी। उसका एक दोस्त छोटा सा चूहा भी उसके साथ रहता था।


    एक दिन, जंगली बिल्ली और उसका दोस्त चूहा जंगल के पास ही खेल रहे थे। तभी वह दोनों एक खुदरा बिल में घुस गए। वहां उन्हें देखा वृक्ष पर एक गर्मियों का खजाना रखा हुआ था। बिल्ली और चूहा बहुत खुश हुए।


    परंतु जब वे उस खजाने की ओर बढ़ने लगे, तो उन्हें एक दुसरे चूहे ने देख लिया। वह दुसरा चूहा उनसे बहुत बड़ा था और उसकी आंखों में एकाग्रता दिखती थी। वह बिल्ली और चूहा की तरफ ध्यान से देख रहा था।


    जब वे खजाने के पास पहुंचे, तो उस दुसरे चूहे ने उन्हें सावधान किया। उसने कहा, "हाँ, आप दोनों खुदरा बिल में घुस गए हो, लेकिन यह खजाना आपका नहीं है। यह मेरा खजाना है और मैं इसे रखता हूँ।"


    बिल्ली और चूहा ने जबरदस्ती करने की कोशिश की, परंतु दुसरा चूहा बहुत ही ध्यानी और एकाग्र था। उसने उन्हें आसानी से परास्त कर दिया।


    इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि ध्यान और एकाग्रता का महत्व हमारे जीवन में होता है। हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ध्यान एवं एकाग्रता से काम लेना चाहिए। विचारशील और ध्यानी होकर हम अपने जीवन के कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं और सफलता को हासिल कर सकते हैं।



    समझदारी की कीमत

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    एक गांव में एक बड़ा सा पेड़ खड़ा था। उस पेड़ के नीचे एक छोटी सी गुफा थी। गुफा में एक बड़ा सा सिंह रहता था। सिंह बड़ा समझदार था। वह गांव के सभी जानवरों का सर्वाधिक सम्मानीय और बुद्धिमान होता था।


    एक बार, गांव में अचानक बड़ा संकट आ गया। एक जलजमाव आया और सभी जानवर बहुत परेशान हो गए। जलजमाव के नाम पर बाढ़ ने गांव को घेर लिया। लोगों को भूख और प्यास का सामना करना पड़ रहा था। जंगल के जानवर भी बहुत परेशान हो गए।


    उस समय, सिंह ने जानवरों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "दोस्तों, हमें एक-दूसरे के साथ मिलकर मिल जुलकर काम करना होगा। हमें बौखलाहट में नहीं आना चाहिए। समझदारी से और सामर्थ्य से काम करेंगे तो हम सभी को समस्याओं से निकलने में सफलता मिलेगी।"


    सभी जानवर सिंह के इस विचार को मान लिया। वे सभी मिलकर एक-दूसरे की मदद करने लगे। उन्होंने मिलकर अपने घरों को बचाने के लिए जुट गए। सिंह ने सभी जानवरों को अपने साथ मिलकर अपनी समझदारी और बुद्धिमत्ता से बाढ़ का सामना किया। उन्होंने भूख से लड़ना सीखा और पानी का सही इस्तेमाल करना सीखा। जलजमाव आने के बाद भी उन्होंने सही रणनीति बनाकर बाढ़ को दूर कर दिया।


    धीरे-धीरे, बाढ़ समाप्त हो गई और गांव को फिर से सुरक्षित बना दिया गया। सभी जानवर खुश थे क्योंकि सिंह की समझदारी ने उन्हें बचाया।


    इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि अगर हम समझदारी से और सामर्थ्य से काम करेंगे तो हम हर समस्या का सामना कर सकते हैं और सफलता को हासिल कर सकते हैं। समझदारी हमें सही रास्ते पर चलने में मदद करती है और हमें अच्छे निर्णय लेने में साहाय्य करती है। इसलिए, हमें समझदार और बुद्धिमान बनने का प्रयास करना चाहिए।




    कठिनाइयों का सामना

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    एक छोटे से गांव में एक बड़े ही मिठासी आदमी रहता था। उसकी मिठाइयों की दुकान गांव के सभी लोगों के बीच मशहूर थी। वह बड़ी मेहनत से और पूरी मेहनत के साथ अपनी दुकान चलाता था।


    एक दिन, गांव के एक बच्चे ने उसकी दुकान पर देखा कि एक बड़ा सा विशालकाय मिठाई विशेष रूप से तैयार की गई है। वह बच्चा बहुत चाहता था कि वह मिठाई खाए। उसने उस आदमी से पूछा, "आपकी दुकान पर वह विशालकाय मिठाई कितने का है?"


    आदमी ने जवाब दिया, "वह मिठाई बहुत खास है और इसकी कड़ी मेहनत से तैयार की गई है। इसलिए इसकी कीमत थोड़ी महंगी है, 100 रुपये की है।"


    बच्चे ने अपने पास से जुटा हुआ पैसे दिखाए और कहा, "मुझे वह मिठाई चाहिए। लेकिन मेरे पास सिर्फ 50 रुपये हैं। क्या आप इतने में दे सकते हैं?"


    आदमी ने देखा कि बच्चे की आँखों में उत्साह और चाहत देखकर। उसका दिल मेल गया और उसने कहा, "ठीक है, मैं तुम्हें इस मिठाई के लिए अपने दूकान की कड़ी मेहनत से तैयार की गई इतनी स्पेशल मिठाई कम कीमत में दे दूंगा।"


    बच्चे ने धन्यवाद कहकर उस मिठाई का आनंद लिया। वह जानता था कि उसने एक अच्छा सौदा किया है। उसके लिए वह मिठाई भले ही महंगी हो गई, लेकिन उसने अपनी इच्छाओं की पूर्ति की और सही विकल्प के साथ सौदा किया।


    यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम ध्यानपूर्वक और समझदारी से किसी चीज का सामना करते हैं, तो हम सही निर्णय लेते हैं और सफलता हासिल करते हैं। इसमें सब्र और सहनशीलता का महत्व होता है जो हमें कठिनाइयों का सामना करने में मदद करता है। इसलिए, हमें सब्र के साथ काम करना चाहिए और अपनी मेहनत के फल को निश्चित रूप से प्राप्त करना चाहिए।

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