60+ बच्चों की पढ़ने वाली कहानी | hindi stories for kids-panchatantra

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बच्चों की पढ़ने वाली कहानी

 hindi stories for kids-panchatantra


आज की इस बच्चों की पढ़ने वाली कहानी मे आप सभी लोग पढ़ने वाले है hindi stories for kids-panchatantra क्यूंकी ऐसी ही चटपटी और मज़ेदार कहानिया पढ्न बच्चो को बहुत अच्छा लगता है और इसी तरह की बच्चों की पढ़ने वाली कहानी बचचो को सुन्न भी अच्छा लगता है । 

इसी बात को ध्यान मे रखते हुए आज हम आप के लिए लाये है 60+ बच्चों की पढ़ने वाली कहानी तो चलिये शुरू करते है hindi stories for kids-panchatantra


गुस्सैल शेर और कछुआ

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बच्चों की पढ़ने वाली कहानी


एक जंगल में एक बहुत ही शक्तिशाली और दुर्जय शेर रहता था। वह शेर जंगल के राजा के रूप में जाना जाता था। उसके साम्राज्य में अन्य सभी जानवर उसकी सेवा करते थे।

एक दिन, शेर जंगल में घूम रहा था, तभी उसने एक छोटे से कछुए को देखा। शेर को कछुआ खाने का मन हुआ। वह छोटे से कछुए को पीछे भागने लगा। कछुआ बहुत ही चतुर था, वह भागते-भागते अपने चालाक और चतुर दिमाग का इस्तेमाल करने लगा।

कछुआ एक छोटे से गुफा में छिप गया। शेर गुफा के दरवाजे पर पहुंचा, लेकिन उसे कछुआ कहीं नहीं दिखाई दिया। शेर कछुए की खोज में यहां-वहां देखने लगा, लेकिन वह नहीं मिला।

कछुआ गुफा के दुसरे सम्मुख दरवाजे से बाहर आ गया। शेर उसे देख लिया और दौड़कर उसके पीछे भागने लगा। शेर काफी प्रयास करता रहा, लेकिन कछुआ उससे हमेशा के लिए छुटकारा पा लिया।

शेर बहुत चिंतित हो गया। उसने सोचा कि कछुआ इतना छोटा होने के बावजूद भी इतना चतुर कैसे हो सकता है? उसे बहुत शर्मिंदा महसूस होने लगा।

फिर शेर कछुए के पास गया और माफी मांगने लगा। शेर ने कहा, "अब मैं आपकी जिंदगी को कभी भी ख़तरे में नहीं डालूंगा। आप बहुत ही चतुर हो। मुझे माफ कर देना।"

कछुआ ने शेर की माफी को स्वीकार कर दिया। उसने कहा, "आपने मुझसे सीखा है कि आकर्षण और साहस से कई समस्याएं हल की जा सकती हैं।"

शेर ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, "हमें हमेशा दूसरों से सीखना चाहिए। हम आकर्षण और साहस से बड़े से बड़े समस्याओं का सामना कर सकते हैं।"

इस घटना से, शेर ने यह सीखा कि अपनी शक्ति से ऊपर उठकर दूसरों से सीखना भी ज़रूरी है। चतुरता और समझदारी हमें आकर्षण और साहस से हर मुश्किल का सामना करने में मदद करती हैं। इसीलिए, हमें हमेशा चतुरता से काम लेना चाहिए और दूसरों से सीखने की कोशिश करनी चाहिए।


बंदर ने बनाया मगरमच्छ का मज़ाक

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एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। उनमें बंदर, पेड़ पर रहने वाला एक मजेदार और शरारती जानवर था। वह बंदर अपने चाल-ढाल से सभी को हंसाने की कला रखता था। उसे खुद पर गर्व था कि वह हर किसी को हंसा सकता है।

एक दिन, उस बंदर ने पेड़ के ऊपर चढ़कर अपनी एक शरारत शुरू की। वह एक बड़े से पत्थर को उछाल कर नदी में गिरा दिया। उसका एक मित्र था मगरमच्छ, जो नदी के किनारे रहता था। मगरमच्छ को पत्थर गिरते देखकर बंदर को चिढ़ाने लगा।

मगरमच्छ ने बंदर से कहा, "हे बंदर, तुम बहुत ही शरारती हो! अब देखो, आज मैं तुम्हें हंसाने वाला हूँ।" मगरमच्छ ने पानी में तालाब बना लिया और अपनी पूंछ को बंदर को दिखाया।

बंदर को देखकर मगरमच्छ बोला, "देखो, मैं बंदर की नकल कर रहा हूँ।" और फिर मगरमच्छ ने पानी में झपकी मारी। उसकी पूंछ ने पानी में अच्छी झलक दी।

बंदर ने खुद को देखा और हंसने लगा। उसे मगरमच्छ की चाल का पता चल गया और वह समझ गया कि मगरमच्छ भी उसी तरह हंसा रहा है जैसे उसने खुद को हंसाया था।

उस समय, एक मगरमच्छ ने एक जानवर को काट लिया और उसे खा गया। यह दृश्य बंदर को देखकर बहुत दुखी कर गया। उसे अपनी शरारत पर खुद पर शर्म आने लगी। उसे लगा कि उसके व्यवहार से दूसरों को दुखी हो रहा है।

बंदर ने मगरमच्छ से माफी मांगी और अपनी शरारत छोड़ दी। उसने मगरमच्छ से कहा, "मुझे खेद है मित्र, मैं अपनी शरारत को छोड़ता हूँ। आपकी चाल मुझे समझ आ गई है कि हमें हमेशा दूसरों को हंसाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।"

मगरमच्छ ने बंदर को गले लगाया और कहा, "धन्यवाद मित्र! आपने समझ लिया कि हमें हंसाने के लिए दूसरों के साथ खेलना ज़रूरी नहीं होता।"

इस घटना से बंदर ने एक महत्वपूर्ण सीख हासिल की। उसे यह ज्ञात हो गया कि हंसी और मज़ाकिया बनाने के लिए हमें किसी और की भावनाओं को छोटा नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा दूसरों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए और उनके साथ मिलकर अच्छा वक्त बिताना चाहिए। हंसी और आनंद का अनुभव करने के लिए हमें सभी जानवरों के साथ मिलकर खेलना चाहिए और एक-दूसरे को हंसाने का मौका देना चाहिए।


खुंकार शेर और चतुर तोता

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एक बहुत ही सुंदर जंगल में एक चुगल खोर तोता रहता था। यह तोता बहुत ही खुशनुमा और शरारती था। वह अपने रंगबिरंगे पंखों से सभी जानवरों को मोह लेता था। उसके खूबसूरत पंखों की वजह से वह जंगल का सबसे प्यारा और आकर्षक तोता था।

एक दिन, जंगल में अचानक एक शेर आया। शेर बहुत शक्तिशाली और भयानक था। जब तोता ने उसे देखा, तो वह घबरा गया। वह जानता था कि शेर उसे खा जाएगा। लेकिन उसके खूबसूरत पंखों को देखकर, शेर अपनी खाली पेट के साथ खेलने का मन बना लिया।

शेर ने तोते को अपने पास बुलाया और कहा, "अरे तोते, तुम्हारे पंख तो सचमुच बहुत खूबसूरत हैं। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आज मैंने तुम्हारा खूबसूरत रंग देखा।"

तोते को शेर की इस तारीफ से बहुत खुशी हुई। उसने शेर का धन्यवाद किया और कहा, "धन्यवाद, महाराज! मुझे आपकी तारीफ से बहुत खुशी हुई।"

शेर ने तोते से कहा, "तुम्हारे पंख बहुत खूबसूरत हैं, लेकिन मुझे इन्हें और नज़दीक से देखने का मन है। क्या तुम मेरे पीछे उड़ सकते हो? मैं तुम्हें एक खास जगह ले जाऊंगा, जहां से तुम आसानी से मेरे पंखों को और अच्छे से देख सकोगे।"

तोते ने सोचा कि शेर उसे खा जाएगा, लेकिन उसके खूबसूरत पंखों को देखने का मन किया। वह बहुत बड़ी उम्र का था और अब तक उसे अपने खूबसूरत पंखों को इतने नज़दीक से नहीं देखा था। इसलिए, उसने अपने दर्दनाक भविष्य के डर को छोड़कर, शेर के पीछे उड़ने की कोशिश की।

शेर ने तोते को बहुत दूर ले जाया और उसे अपने पंखों को बहुत अच्छे से देखने का मौका दिया। तोते को बहुत खुशी हुई। उसने शेर को धन्यवाद दिया और कहा, "महाराज, आपने मुझे एक अद्भुत अनुभव दिया। मैंने अपने पंखों को इतने नज़दीक से कभी नहीं देखा था। आपकी मेहनत के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ।"

शेर ने तोते को अपने सम्मान के साथ वापस जंगल ले जाया और सभी जानवरों को बताया कि तोते कितना ध्यान से उसके पंखों को देखने आया था। सभी जानवर तोते की तारीफ करने लगे और तोते को बहुत खुशी हुई।

इस घटना से तोते ने एक महत्वपूर्ण सीख हासिल की। उसे यह बात समझ में आ गई कि हर इंसान का अपनी अपनी खासियत होती है और हर किसी को अपने तरीके से खुश करने का अधिकार होता है। हमें दूसरों के साथ मिलकर उनके सम्मान करना चाहिए और उन्हें प्रसन्न करने का मौका देना चाहिए। इससे हमारे जीवन में और खुशियां आएगी और हमारे साथी जानवर भी खुश रहेंगे।


दादी की तरकीब


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एक गांव में एक चतुर और मिस्ट्रीफुल दादी रहती थी। वह बच्चों के बीच बहुत प्रसिद्ध थी। वे सभी उन्हें दादीदी के नाम से पुकारते और उनके साथ खेलने का आनंद लेते थे। दादी भी उन सभी बच्चों को अपने अनोखे और मजेदार किस्से सुनाती थीं।

एक दिन, दादी ने एक प्लान बनाया। वह एक बड़े से पेड़ पर जाल बिछाने का सोचा। दादीदी ने सोचा कि जाल में फंसने से बच्चे कितने उतावले और हंसमुख हो जाएंगे।

अगले दिन, दादी ने जाल बिछाने के लिए तैयारियाँ की। वे रंगीन धागे, बेलन और चार-चार बच्चों को लेकर पेड़ के पास पहुंची। दादीदी ने धागे को जाल के ऊपर बिछा दिया और उसे धीरे-धीरे खिंचना शुरू किया। जैसे ही जाल फैलने लगा, बच्चे बड़े उतावले हो गए।

चिंटू नाम का एक बदमाश बच्चा भी दादी के साथ खेलने के लिए पहुंचा। उसे बाकी बच्चों से भी ज्यादा उतावला देखकर दादीदी को खुशी हुई। दादीदी ने चिंटू को बुलाया और कहा, "चिंटू, तुम देखो यह जाल है। इसमें बहुत सारे खजाने छुपे हुए हैं। तुम इस जाल में चले जाओ और उन खजानों को पाने की कोशिश करो।"

चिंटू ने दादीदी की बातों को सुनकर बड़ी उतावले से कहा, "दादी, मुझे खजाने चाहिए, मैं इन जाल में चला जाता हूँ।"

दादी ने चिंटू को जाल में बिछाने के लिए कहा और चिंटू बड़ी उतावले से जाल में घुस गया। जैसे ही वह जाल में घुसा, दादीदी ने धागे को खिंच लिया और चिंटू फंस गया। दादीदी और बच्चे सभी उसे हंसते हुए देखने लगे।

चिंटू बड़े गुस्से में था। उसे यह नहीं पता था कि दादीदी ने उसे चिढ़ाया है। वह बच्चों के सामने बड़ी शर्मिंदगी से जाल से बाहर निकला।

दादीदी ने चिंटू को गले लगाया और कहा, "अब तो तुम भी जान गए हो कि हर दादीदी की बात सच नहीं होती है। तुम इतने उतावले हो गए थे कि अपनी बुद्धिमानी खो बैठे। भगवान ने तुम्हें चतुरता दी है, उसे सभी समझने की कोशिश करो। और अपने दोस्तों के बातों में न आएं, वरना हमें हंसी आ जाएगी।"

चिंटू ने दादी की बातें मान ली और उसके बाद से वह अपने दोस्तों की बातों में आने से बचा और अपनी चतुराई से खेलता रहा। वह अब अपने दोस्तों के साथ और खुश रहता था और सभी उसे अपने बच्चों के बीच एक चतुर दोस्त के रूप में सम्मान करते थे।


आलसी चिंटू

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चिंटू एक मासूम सा बच्चा था। वह खेतों के पास एक छोटे से गांव में रहता था। उसके पिता खेत में मजदूरी करते थे और मां घर के काम करती थी। चिंटू के घर में बड़े-बड़े खेत होते थे, जिनमें उसके पिता बहुत मेहनत करके फसलें उगाते थे।

लेकिन चिंटू बहुत आलसी था। वह रोज़ाना सुबह खुली हवा में नहाने की जगह अपने कमरे में सोता रहता था। उसकी मां उसे कई बार उठाने के लिए कहती थी, लेकिन चिंटू को बार-बार सोने की आदत हो गई थी।

एक दिन, चिंटू के पिता ने उसे एक बड़ी सी सिख दी। उन्होंने चिंटू से कहा, "बेटा, तुम्हें अपनी आलसी आदत से छुटकारा पाना होगा। तुम्हें समय पर उठना सीखना होगा और खेत में मजदूरी करना होगा।"

चिंटू को पिता की बातें समझ में आ गई। उसे अपनी आदत से छुटकारा पाने का मन था। वह सोचा कि वह अब से बहाने बनाने करना बंद कर देगा और खेत में मजदूरी करेगा।

अगले दिन से ही चिंटू समय पर उठने लगा। वह सुबह जल्दी उठकर नहाने जाता और फिर खेत में जाकर मजदूरी करता। उसके पिता बहुत खुश हुए और उसे बड़ा बढ़ी मेहनती बच्चा समझने लगे।

चिंटू ने भी अपनी आलसी आदत से छुटकारा पा लिया था। उसके मां-पापा ने उसकी मेहनत को देखकर उसे बड़ा इनाम दिया। वह अब मेहनती और समझदार बच्चा बन गया था। उसे खेत में मजदूरी करने में बड़ा मजा आने लगा था।

चिंटू के बदले की खेत में मजदूरी करने की मेहनत को देखकर भगवान बहुत खुश हुए। उन्होंने चिंटू के समझदारी और मेहनत को देखकर उसे एक जादूई तोहफा दिया।

एक दिन, चिंटू खेत में मजदूरी कर रहा था। तभी उसे ज़मीन में कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया। चिंटू ने वहां जाकर देखा और वहां एक जादूई चिंटी का दिव्य तोहफा मिला। वह चिंटी बहुत ही प्यारी और चमकदार दिख रही थी।

चिंटू ने उस जादूई चिंटी को अपने साथ घर ले जाकर उससे खेलना शुरू किया। जादूई चिंटी बहुत चतुर थी। वह चिंटू के साथ खेलती और मजाकिया काम करती। चिंटू बहुत खुश था कि उसे भगवान ने एक इतनी प्यारी जादूई चिंटी दी थी।

चिंटू और जादूई चिंटी एक-दूसरे के साथ बहुत खुश रहते थे। वे मिलकर बहुत मस्ती करते और एक-दूसरे के साथ खेलते रहते। चिंटू की जिंदगी बदल गई थी और वह अब खुश रहता था और मेहनत के साथ अपने जीवन को जीता।


शरारती बंदर और शेर हाथी

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एक जंगल में एक बहुत बड़ा और भयानक शेर रहता था। वह शेर जंगल का राजा माना जाता था और सभी जानवर उससे डरते थे। एक दिन, शेर खुले मैदान में घूम रहा था, तभी उसने एक हाथी को देखा।

शेर ने देखा कि हाथी बहुत बड़ा और मज़बूत है। उसे देखकर शेर को ख़ौफ हुआ कि यह हाथी उसकी शक्ल देखने के लिए यहां आया है। और शेर बहुत ज़िद्दी था, उसे यह नहीं दिखना चाहता था कि कोई भी उसे बड़ा समझे। इसलिए उसने सोचा कि उसे इस हाथी को दिखाना होगा कि वह बहुत ख़तरनाक है।

शेर ने एक चालाक योजना बनाई। उसने एक बंदर को ख़रीद लिया और उसे कहा, "जा और उस हाथी के पीछे चला जा। उसे मारने के लिए दिखा देना, लेकिन ज्यादा ज़रूरत पड़ी तो पेड़ पर चढ़ जा।"

बंदर ने शेर की योजना समझी और उसके पीछे चलने लगा। शेर भी पीछे जा रहा था और उसे देख रहा था। जंगल में सभी जानवर इस दिखावे को देखने के लिए एकत्र हो गए।

बंदर और शेर दोनों हाथी के पास पहुंचे। बंदर ने शेर को देखते हुए अपने जोरदार हँसी से कहा, "शेर भैया, आप कितने ख़तरनाक हैं! हाथी आपकी शक्ल देखकर ही दर रहा है।"

शेर ने बंदर को गुस्से से देखा और कहा, "ज्यादा बकवास मत कर! तुम्हारे सामने हाथी है, मार दो उसे।"

बंदर ने दिखावे के लिए हाथी को एक बार देखा और फिर उसे घुमाकर कहा, "हाथी तुम यहां क्या कर रहे हो? तुम्हे तो जंगल में दौड़ना चाहिए, यहां खड़े होकर क्या कर रहे हो?"

हाथी बंदर की बात से हैरान हो गया। उसे लगा कि शायद यह बंदर उसके बारे में कुछ जानता है। इसलिए उसने अपनी धड़कती हुई दिल की आवाज़ को बुलंद किया और बोला, "हाँ, मैं यहां खड़ा हूँ क्योंकि यह जंगल मेरा है। मैं चाहता हूँ कि यह सारे जंगल मेरे कब्जे में हों।"

बंदर ने इस बात को सुनकर अपनी हँसी को रोक नहीं पाया। वह और जोर से हँसने लगा। हाथी ख़ामोश हो गया। उसे अपनी बड़ाई दिखाने का मौक़ा मिला और उसने उसे खूबसूरत शब्दों में धन्यवाद दिया।

शेर और बंदर की मस्ती जारी रही। जंगल में जानवर एकदिवसीय दिखावे को देखने के लिए उत्सुक हो गए। वे दोनों जंगल में ढेर सारी मस्ती करते रहे। और उन्हें देखकर सभी को ख़ुशी मिलती थी।

इस तरह, शेर और हाथी बंदर के साथ बहुत अच्छे दोस्त बन गए। उन्होंने मिलकर जंगल में एकदिवसीय दिखावे का आनंद उठाया और सभी को हंसाया। उनकी दोस्ती का संदेश यह था कि हम सभी अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हम सभी एक-दूसरे के साथ ख़ुशी से मिलकर जी सकते हैं।


राजा के तीन बेटे

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एक दिन एक राजा था जिसके तीन बेटे थे। राजा के बेटे बहुत खुशनुमा और समझदार थे। लेकिन राजा को उनमें से किसी एक को अपने राज्य के बादशाह बनाना था। राजा अपने तीनों बेटों को परीक्षा लेने का फैसला करता है।

एक दिन, राजा अपने तीनों बेटों को संबोधित करते हैं। उन्हें बताते हैं कि उन्हें तीनों के बीच बाँटकर तीन अलग-अलग काम करने होंगे। जो भी अच्छा प्रदर्शन करेगा, वही राजा के राज्य का बादशाह बनेगा।

पहले बेटे को कहा गया कि वह राजा के राजमहल का ख्याल रखेगा और उसे सुन्दरता से सजाएगा। दूसरे बेटे को बाजार के व्यापार के लिए जिम्मेदार बनाया गया। और तीसरे बेटे को कहा गया कि वह लोगों की समस्याओं को सुनेगा और उन्हें समाधान प्रदान करेगा।

तीनों बेटे अपने असामान्य कामों के लिए तत्पर हो जाते हैं। पहले बेटे ने राजमहल को सजाने के लिए सभी तरह के सुंदर सजावटी सामान खरीदे और राजमहल को एक राजदरबार की तरह सजाया। लोग राजमहल की सुंदरता देखकर आश्चर्यचकित हो गए और पहले बेटे की मेहनत की सराहना करते रहे।

दूसरे बेटे ने बाजार में व्यापार के लिए अच्छी खरीदारी की और विशेष रूप से उत्पादों की गुणवत्ता का ध्यान रखा। वह उत्पादों को सस्ते दाम में बेचकर बहुत लाभ कमाने लगा। लोग उसके समझदारी और व्यवसायिक बुद्धि को देखकर प्रशंसा करते रहे।

तीसरे बेटे ने लोगों की समस्याओं को ध्यान से सुना और उन्हें समाधान प्रदान करने का एक सरल और प्रभावी तरीका ढूंढ निकाला। लोग उसके उदारीकरण और भविष्यवाणियों को सुनकर प्रभावित हो गए।

राजा ने समय पर सभी बेटों का मूल्यांकन किया। पहले बेटे ने राजमहल को सजाने के लिए काम में अच्छा प्रदर्शन किया, दूसरे बेटे ने व्यापार में अच्छा प्रदर्शन किया, और तीसरे बेटे ने लोगों की समस्याओं को समाधान प्रदान किया।

राजा को बहुत ख़ुशी हुई कि उसके तीनों बेटे में से हर एक ने अपने काम को सम्पन्न किया। इसलिए राजा ने तीनों बेटों को अपने राज्य के बादशाह बनाने का फैसला किया। तीनों बेटे बहुत ख़ुश हुए और उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाकर ख़ुशी मनाई।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने काम में सच्चे मेहनत करनी चाहिए और अपने क्षेत्र में माहिर बनने के लिए जीवन के अलग-अलग पहलुओं का समान ध्यान रखना चाहिए। हर क्षेत्र में अपनी मेहनत, समझदारी और समर्पण से हम आगे बढ़ सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।


रेगिस्तान में पानी


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एक छोटे से गांव में एक ऊंट रहता था। वह ऊंट बहुत प्यासा था क्योंकि उस गांव में पानी की बहुत कमी थी और रेगिस्तानी जलवायु के कारण पानी की स्तिथि और भी ख़राब हो गई थी। ऊंट बहुत ढूंढने के बाद भी एक बार भी पानी नहीं मिला। उसकी प्यास बढ़ती जा रही थी और वह बहुत दुखी हो गया।

एक दिन, ऊंट ने फिर से पानी ढूंढने की कोशिश की। वह रेगिस्तान के अनजान रास्तों पर भटक रहा था। धूप तपती थी और पानी की ख़ुशबू का कोई पता नहीं था। ऊंट थक गया और छोड़ दिया, लेकिन उसने उम्मीद नहीं हारी।

थोड़ी देर बाद, ऊंट एक गहरे खाई में छोटे से तालाब के पास पहुंचा। उसने तालाब के पानी की ख़ुशबू महसूस की। उसका दिल ख़ुशी से भर गया। वह तालाब के किनारे जाकर पानी पीने लगा। उसकी प्यास बुझ गई और वह ख़ुशी खुशी चल ने लगा।

तालाब के बगीचे में कुछ लोग भी पानी का आनंद उठा रहे थे। जब वे ऊंट को देखा तो वे बहुत हैरान हुए। क्योंकि रेगिस्तान में इतने दिनों बाद पहली बार किसी ने पानी का दौरा किया था।

ऊंट ने ख़ुशी से उसे बताया कि वह बहुत दिनों से पानी ढूंढ रहा था और आज उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। अब जब वह पानी मिला तो उसकी प्यास बुझ गई और वह बहुत खुश हो गया।

बगीचे के लोग भी ऊंट के साथ ख़ुश हो गए और उसके साथ खेलने लगे। उन्होंने ऊंट को अपने साथ खाना खिलाया और उसे बड़ी से बड़ी खुशियाँ दी। ऊंट भी बगीचे के लोगों के साथ बहुत खुश था।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए और हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए। हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए परिश्रम करना चाहिए और हमारे संघर्ष का नतीजा अवश्य हमारे अनुकूल आता है। इससे हमारी मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती और हमें सफलता मिलती है।


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