आज हमने आपके लिए लाये है चिड़िया और बढ़ई की कहानी और साथ ही भूखी चिड़िया और बढ़ई की कहानी क्यूंकी ऐसी ही भूखी चिड़िया और बढ़ई की कहानी पढ्न बच्चो को बहुत अच्छा लगता है तो चलिये शुरू करते है भूखी चिड़िया और बढ़ई की कहानी
बारिश में चिड़िया का मिट्टी का घर
एक छोटी सी चिड़िया जंगल के पेड़ों में रहती थी। वह बहुत प्यारी और मस्तिष्कशील थी। वह हर दिन उड़ती फिरती और अपने पंखों की मदद से खूबसूरत गाने गाती थी। लोग उसकी आवाज़ से बहुत प्रभावित होते थे और उसे देखने के लिए जंगल के अनेक लोग अपने-अपने घर से निकल आते थे।
एक दिन, बड़ी बारिश हुई। जंगल में सब प्रकृति का नज़ारा सबसे खूबसूरत था। जंगल के पेड़-पौधों पर घने-घने पत्ते चमक रहे थे। धरती ने नया रंग पहन लिया था। छोटी चिड़िया ने भी खुशी के साथ उड़ने का सोचा।
लेकिन उड़ने की इच्छा से पहले उसने देखा कि एक छोटी सी तितली बारिश की वजह से बहुत परेशान हो रही थी। तितली बारिश के पानी से भीगी हुई थी और उसके पंख भी बिखरे थे। वह चिड़िया बहुत चिंतित हो गई।
चिड़िया ने तितली से पूछा, "क्या हुआ, तुम इतनी परेशान क्यों हो?"
तितली ने रोते हुए कहा, "मेरे घर को बारिश ने बिगाड़ दिया है। मेरा मिट्टी का घर पूरी तरह से नष्ट हो गया है।"
चिड़िया ने तितली की मदद करने का निर्णय किया। उसने तितली को अपने पंखों के नीचे बिठा लिया और उसको अपनी परों के साथ ढक दिया। उसके इस कारण तितली को ठंड नहीं लगी और वह धन्यवाद देकर आगे बढ़ गई।
चिड़िया ने अपनी मेहनत से एक नया और सुंदर सा मिट्टी का घर बनाया और तितली को वहां बिठा दिया। तितली बहुत खुश थी।
बारिश के बाद, जब सभी चिड़ियां और पंखी उड़ने के लिए तैयार हो गए, तो चिड़िया ने तितली से कहा, "तुम्हारे लिए मेरे पंखों में स्थान है। अब तुम भी हमारे साथ उड़ सकती हो।"
तितली बहुत खुश थी और चिड़िया के पंखों पर बैठ कर उड़ गई। वह खुशी से झूम उठी और चिड़िया को धन्यवाद दिया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं और समस्याओं में एक-दूसरे का साथ देते हैं। हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमारी खुशियां भी दुगनी हो जाती हैं।
बंदर और मगरमच्छ
एक जंगल में एक बंदर रहता था। वह बहुत चालाक और शरारती था। वह दूसरे जंगली जानवरों के साथ खेलना और मस्ती करना पसंद करता था। एक दिन, उसे शेर और मगरमच्छ से मिलने का मौका मिला।
शेर एक बहुत बड़ा और भयानक शेर था। वह जंगल का राजा माना जाता था और सभी जानवर उसके सामने डर से काँपते थे। दूसरी ओर, मगरमच्छ भी बड़ा और खतरनाक था। वह जल में रहता था और जंगल के जानवरों को आकर्षित करने के लिए अपनी चालें चलता था।
बंदर ने देखा कि शेर और मगरमच्छ दूसरे जानवरों को डराने में मजा कर रहे हैं। उसे यह देखकर मजा आने लगा और उसने भी उनके साथ खेलने का सोचा।
एक दिन, बंदर ने शेर और मगरमच्छ से कहा, "मुझे भी आपके साथ खेलना है।"
शेर और मगरमच्छ में उसे देखकर हँस पड़े। शेर ने कहा, "तुम? हमारे साथ खेलने के लिए? तुम तो छोटे और नाचने-गाने वाले बंदर हो। हमारे साथ खेलने के लिए तो बहुत हिम्मत चाहिए।"
बंदर ने अपनी चालें चलते हुए कहा, "हाँ, मैं छोटा हूं, लेकिन मैं भी खेल सकता हूं।"
शेर और मगरमच्छ ने उसके साथ खेलने की इजाज़त दी। वे तीनों जंगल में भागने और कूदने लगे। बंदर अपनी चालें दिखाते रहता था और दूसरे जानवर उसकी चालों को देखकर भागने लगते थे।
धीरे-धीरे, बंदर ने शेर और मगरमच्छ को बेहोश कर दिया। फिर उसने उनसे मजाक किया और उन्हें सिखाया कि हर जानवर को अपनी चालें नहीं दिखानी चाहिए। दूसरे जानवरों के सामने अपनी शक्ति और चालें नहीं दिखानी चाहिए, वरना वे हमें पकड़ लेते हैं।
बंदर ने शेर और मगरमच्छ से कहा, "अब से हम दोस्त रहेंगे और मिलकर खेलेंगे। लेकिन हमेशा एक-दूसरे की मदद करेंगे और दूसरे जानवरों को भी मदद करेंगे।"
शेर और मगरमच्छ ने बंदर को धन्यवाद दिया और उन्होंने भी बंदर से सीखा कि सभी जानवरों का साथ देना और मदद करना बहुत महत्वपूर्ण है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों के साथ मिलकर रहना चाहिए और उन्हें सहायता करनी चाहिए। हमें दूसरे जानवरों के साथ मिलकर खेलना और मजा करना चाहिए, लेकिन हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमारे प्रदर्शन को दूसरे जानवरों को चिढ़ाने के लिए नहीं उपयोग किया जाना चाहिए। हमें दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए और सबकी मदद करने की कोशिश करनी चाहिए।
सांप और चिड़ियां की कहानी
एक जंगल में एक सांप रहता था। वह सांप बहुत ही दुष्ट और खतरनाक था। वह अपनी लम्बी सीढ़ीयों से पेड़ों पर चढ़कर चिड़ियों के घरों में घुस जाता था और उन्हें खाने की कोशिश करता था। चिड़ियां बहुत डरती थीं और उन्हें यह सांप बहुत परेशान करता था।
एक दिन, एक बहुत बुद्धिमान और समझदार चिड़िया ने अपने साथी चिड़ियों को बुलाया और कहा, "हमें इस सांप से छुटकारा पाना होगा। हम उसके चक्कर में नहीं पड़ने देंगे।"
चिड़ियां सभी एकजुट हो गईं और सांप को घेरने की योजना बनाई। उन्होंने सोचा कि सांप को उलटे दिशा में भगाना होगा। इसलिए, जब सांप उनके पास आया, तो वे सभी एक साथ उड़कर उलटे दिशा में भाग गईं। सांप हेरान हो गया और उसको समझ में नहीं आया कि चिड़ियां कहाँ गईं।
चिड़ियां समझदारी से अपनी योजना काम में लाने में कामयाब हो गईं। सांप बहुत देर तक वहां ढूंढता रहा, लेकिन चिड़ियां छिपी हुई थीं और सांप को नहीं मिलीं।
उसके बाद से, सांप ने देखा कि चिड़ियां अकेले नहीं हैं। उसे इस बात का विश्वास हो गया कि वे सभी एकजुट होकर उसे धोखे में डालने की कोशिश कर रहीं थीं। इससे सांप की नींद उड़ गई और उसने दूसरे जंगल में रहने का निर्णय किया।
चिड़ियां बहुत खुश थीं कि उन्होंने सांप को धोखे में नहीं डालने दिया और उसे खतरे से बाहर निकला दिया। उनकी समझदारी का फल मिल गया। सांप ने अपनी दुष्टता और खतरनाकता की सीख ली और वह अब अपनी दुर्बलता को छोड़कर एक सामाजिक और अनुशासित जीवन जीने लगा।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि समझदारी से हम कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं और धैर्य से समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। अगर हम सही योजना बनाएं और अपनी समझदारी का इस्तेमाल करें, तो हम हर मुश्किल को आसानी से पार कर सकते हैं।
गरीब मछुआरा
एक गरीब मछुआरा अपने परिवार के साथ एक छोटे से गांव में रहता था। वह अपने छोटे से नाव में रोज़ मछलियों को पकड़ने के लिए झील में जाता था और उन्हें बेचकर अपने परिवार को पालता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था।
एक दिन, जब उसने झील में जाकर अपनी मछलियों को पकड़ने की कोशिश की, तो उसे एक बड़ी सी मछली दिखाई दी। वह मछली बहुत ही सुंदर और भव्य दिख रही थी। मछुआरे को देखकर उसकी आंखों में आशा की किरण चमक उठी।
मछुआरे ने धीरे से नाव को बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन वह मछली जाल से बचने के लिए बहुत ही तेज़ थी। वह नाव को बढ़ाने की कोशिश करते-करते थक गया और उसे लगा कि वह मछली पकड़ने में नाकामयाब हो जाएगा। उसने हार मान ली और वापस घर की ओर लौटने की तैयारी करने लगा।
लेकिन तभी उसके मन में एक सोच उठी। उसने सोचा कि यदि वह उस मछली को पकड़ लेता है, तो उसे बहुत अच्छी कीमत मिलेगी और वह और उसका परिवार धनवान हो जाएगा। उसने फिर से मेहनत की और सफलता हासिल की।
गरीब मछुआरे के धैर्य और समर्पण का फल हुआ। उसे वाकई उस मछली को पकड़ लिया और उसे बेचकर बहुत अच्छी कीमत मिली। उसने उस पैसे से अपने घर की सुध-भुध की और अपने परिवार को सुख-शांति से रहने की सुविधा प्रदान की।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत, समर्पण, धैर्य और सच्चे मन से किए गए काम का फल हमेशा मिलता है। हमें किसी भी कठिनाई और परेशानी के सामना करने में हिम्मत और साहस रखना चाहिए और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
लालची मंत्री
एक गांव में एक बहुत ही ईमानदार और मेहनती किसान रहता था। उसके खेतों में फसलें बहुत ही अच्छी उगती थीं और उसका गांव के लोगों के बीच बहुत मान-सम्मान था। वह किसान बहुत गरीब था, लेकिन उसका मन धन कमाने के चक्कर में कभी नहीं छा जाता था। उसका मोतीवेशन था कि वह अपने मेहनत से कमाए गए पैसे से अपने परिवार को खुश रखे और उन्हें आराम से जीने की सुविधा प्रदान करे।
एक दिन, गांव में नए मंत्री का चुनाव हुआ। लोग उम्मीद से भरे हुए थे कि नए मंत्री उनके गांव के विकास के लिए काम करेंगे। लेकिन बड़ी उम्मीदों के बावजूद, नए मंत्री ने बस अपने लाभ की सोची और धन कमाने के लिए तरीके ढूंढने लगे। वह अपनी लालची सोच के कारण गांव के विकास को नजरअंदाज़ करने लगे।
मंत्री ने सोचा कि गांव में ईमानदार और मेहनती किसान को ध्यान में रखकर उससे कुछ पैसे वसूले जा सकते हैं। उसने एक योजना बनाई और उस ईमानदार किसान को धोखे से भरा प्रस्ताव पेश किया। मंत्री ने उस किसान को बहुत सारे पैसे वादे किए और कहा कि वह उसे देगा जब उसका परिवार उसे एक बड़ी रकम देगा।
ईमानदार किसान ने सोचा कि यह एक बहुत बड़ा मौका है और उसे बहुत सारे पैसे मिलेंगे। इसलिए उसने उस मंत्री की बातों में आकर उससे सारे पैसे ले लिए। परिणामस्वरूप, उसे उसी दिन रात को बड़ा पछतावा हो गया।
मंत्री ने उसे पैसे नहीं दिए और उसे धोखे से बेवकूफ बना दिया। उसे गांव के बीच एक कुएं में ढकेल दिया गया। गरीब किसान ने बहुत प्रयास किया लेकिन वह अकेला था और उसे कोई मदद नहीं मिली।
लेकिन भगवान के आशीर्वाद से, उस ईमानदार किसान को बहुत ताक़त मिली। उसने अपने धैर्य, मेहनत और सच्चे मन से काम किया और खुद को कुएं से बाहर निकाल निकाल कर बहार आ गया। वह मंत्री को चाहते-चाहते सच्चे मन से धोखेबाज़ का सामना कर लिया।
आख़िरकार, गरीब किसान ने अपनी सच्चाई से लालची मंत्री की धोखेबाज़ी को सामने लाया। लोगों ने उसे सम्मान दिया और उसके बारे में अधिक जानकारी जुटाई। मंत्री को इसकी सजा मिली और उसे गांव से निकाल दिया गया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें लालच के चक्कर में धोखेबाज़ नहीं बनना चाहिए। सच्चे और ईमानदारी से काम करने की ताक़त हमें अनेक बार दुर्भाग्य से चिंताओं और कठिनाइयों का सामना करने में मदद करती है। हमें हमेशा ईमानदारी से काम करना चाहिए और धैर्य रखना चाहिए क्योंकि सच्चाई की विजय हमेशा होती है।
जादुई तालाब
गांव के पास एक छोटा सा तालाब था। तालाब के पानी की गहराई बहुत कम थी और वहां पर कुछ बच्चे रोज़ाना खेलते थे। एक दिन, गांव के एक नाना-नानी के घर के बच्चा रमेश तालाब के पास खेलने गया।
रमेश के बड़े भाई ने उसे देखा कि वह बच्चा तालाब के पानी के ऊपर कुद रहा था। रमेश बहुत ही हैरान हो गया और उसने देखने के लिए अपने दोस्तों को भी बुलाया।
जैसे ही सभी बच्चे तालाब के किनारे पहुंचे, उन्हें भी बड़ी आश्चर्य चकिती हुई। वे सभी सोचने लगे कि कैसे तालाब के पानी पर चलने वाला बच्चा हो सकता है।
एक दोस्त ने पूछा, "रमेश, तू यह कैसे कर रहा है? तालाब के पानी पर तू कैसे चल सकता है?"
रमेश ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "मेरे पापा ने मुझे एक साइंस किताब दी है जिसमें बताया गया है कि जिन्हें जल भारी वस्तुएँ होती हैं, वे पानी पर तैर सकते हैं।"
दूसरा दोस्त भी रोमांचित होकर पूछा, "सच में? वाह, यह तो बहुत ख़ास बात है।"
रमेश ने सबको अपनी साइंस किताब दिखाई और बताया कि जल भारी वस्तुओं के लिए अभागा अपने पैरों को तालाब के पानी के ऊपर रखना होता है। फिर वह धीरे-धीरे चलता जाता है जैसे कि जल पर भारी वस्तुएँ उपरती हैं।
सभी बच्चे रमेश को बहुत ही आदर से देख रहे थे। उन्हें उस छोटे से बच्चे की जिज्ञासा और नौकरी में लगाव ने बड़ा आश्चर्य किया। उन्हें बड़ी ही ख़ुशी हुई कि एक छोटे से बच्चे ने इतनी ख़ूबसूरत सी सीख दी।
वह दिन बड़ी ही यादगार रहा। सभी बच्चे ने एक साथ मिलकर खेला और मज़े किए। रमेश को भी बहुत अच्छा लगा कि उसकी साइंस किताब ने सभी को ख़ुश किया और वे सब उसके बारे में अधिक जानने के लिए उससे बहुत सारे सवाल पूछ रहे थे।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि ज्ञान और सीखने की भावना से हम कितनी ख़ुशियाँ प्राप्त कर सकते हैं। छोटी-छोटी बातों से हमें बहुत सीख मिल सकती है और हम अपने जीवन में उन्हें अमल करके अच्छे इंसान बन सकते हैं।
सांड और घोड़ा
दिनभर के खिलाफ घमंडी बनते जा रहे थे। जंगल में एक सांड और एक घोड़े के बीच दोस्ती की जगह विरोध हो गया था। दोनों अपनी ताक़त का गर्व करते थे और दूसरों को अपने बढ़ेबाप के समझते थे। इस अहंकार के चक्कर में, दोस्ती की मीठी और सच्ची रस्सी टूट गई।
एक बार जंगल के सभी जानवरों ने एक तारीख़ तय की कि आज शाम को जंगल में सांड और घोड़े की लड़ाई होगी। यह सुनकर जंगल में उत्साह की लहर उमड़ आई। सभी जानवर बड़े उत्साह से आयोजन की तैयारियाँ करने लगे।
सांड और घोड़े को भी लड़ाई के बारे में सुना। उन्होंने एक-दूसरे को चुनौती दी और बढ़े ही गर्व से इस लड़ाई की तैयारी की। लड़ाई के दिन, जंगल में इतनी भीड़ जम गई कि उसके आसपास का भी पता नहीं था।
आख़िरी घड़ी में, सांड और घोड़े का सामना होता है। दोनों अपनी ताक़त दिखाने के लिए तैयार हो जाते हैं। लड़ाई बहुत तेज़ चलती है और दोनों जानवरों को बड़ी मेहनत से परास्त किया जाता है।
लड़ाई के दौरान, एक छोटा सा चिड़िया बिलबिलाती है और दोनों को रोकने की कोशिश करती है। उसने दोनों को कहा, "आप दोनों बड़े शक्तिशाली हो और दूसरों को दिखाने के लिए तैयार हो, लेकिन लड़ाई से क्या मिला? अपनी ताक़त का दिखावा करने की जगह, आप दोनों को एक-दूसरे के साथ मिलकर जंगल में रहने वाले सभी का भला करना चाहिए।"
उस समय सांड और घोड़े ने एक-दूसरे को एक लम्बी नज़र से देखा। उनके दिल में एक नया जज़्बा उठा और वे आपसी लड़ाई भूल गए। उन्होंने दोनों को गले लगाया और वचन दिया कि वे अब से मिलकर काम करेंगे और सभी की मदद करेंगे।
उस दिन से उन दोस्तों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया और सभी जानवरों की मदद की। उन्होंने देखा कि जब सभी मिलकर काम करते हैं, तो उन्हें बहुत आसानी से सभी काम हो जाते हैं। उन्होंने सीखा कि सभी की मदद करने से आपकी ताक़त और भी बढ़ जाती है।
इस छोटे से घमंडी व दोस्ती की कहानी से बच्चे सीखते हैं कि अपने दोस्तों के साथ मिलकर काम करना और उनकी मदद करना कितना महत्वपूर्ण है। असली शक्ति और सफलता तो साझेदारी में है, और इसके लिए आपको अहंकार को छोड़कर एकजुट होने की आवश्यकता होती है। यह कहानी बच्चों को सच्ची दोस्ती और साझेदारी के महत्व को समझाती है।
चिड़िया की समोसे की दुकान
एक समय की बात है, एक छोटी सी चिड़िया जो बहुत ही मेहनती और उत्साही थी। उसे खुद पर और अपनी मेहनत पर गर्व था। वह बड़े बड़े परिंदों के ऊपर समोसे बेचने का विचार करती है। उसे लगता है कि इससे उसके परिवार को भी आराम से रोज़गार मिल जाएगा।
चिड़िया ने एक सुन्दर सी दुकान सजाई और उसमें समोसे रख दिए। उसने खुद परिंदों के साथ अपने दोस्तों को भी दुकान के बारे में बताया। उसके दोस्तों ने उसे बधाई दी और समर्थन भी किया।
लेकिन दुखद है, एक दिन कव्वा दुकान में आया। उसने एक समोसा खाकर आत्मविश्वास से चिड़िया के सामने खड़ा हो गया और कहा, "चिड़िया, तुम्हारे समोसे तो बहुत अच्छे हैं, लेकिन मुझे आज उनके लिए पैसे नहीं हैं। मैं तुम्हें कल पैसे दूंगा।"
चिड़िया ने धैर्य बनाए रखते हुए कहा, "ठीक है, आप कल आना।" और उसे दिन कव्वा वापस आने का इंतज़ार करती रही।
लेकिन कल के दिन भी चिड़िया को कव्वा ने पैसे नहीं दिए। चिड़िया बहुत निराश हो गई। उसे लगता है कि उसने खुद को और अपनी मेहनत को धोखा दिया है। वह रोते-रोते अपने परिवार के पास चली गई।
चिड़िया के परिवार ने उसको देखा और पूछा, "बेटा, क्या हुआ? तुम इतनी निराश क्यों हो?"
चिड़िया ने बताया, "मैंने अपनी दुकान में समोसे बेचने की कोशिश की, लेकिन कव्वा ने मुझे पैसे नहीं दिए। अब मुझे लगता है कि दुनिया में ईमानदारी का कोई मोल नहीं है।"
चिड़िया के परिवार ने उसे समझाया, "बेटा, तुम्हारे द्वारा दिखाई गई ईमानदारी और मेहनत का मोल आपकी आत्मा में है। इससे आपका कोई छोटा नहीं कर सकता। जो लोग आपके ईमानदारी को नहीं समझते, वे अपने आप को धोखेबाज बनाते हैं, न कि आपको। अपनी मेहनत और ईमानदारी से काम करो, क्योंकि यह आपके सफलता का रास्ता है।"
चिड़िया ने अपने परिवार के बात सुनकर आत्मविश्वास की क़ामयाबी से समोसे की दुकान फिर से खोली। इस बार उसे बहुत सारे ग्राहक मिले, और सभी ने उसके समोसे की तारीफ की। वह अब खुशी खुशी अपनी मेहनत के फल का आनंद ले रही थी।
इस कहानी से बच्चे सीखते हैं कि सच्ची मेहनत और ईमानदारी कभी न कभी ज़रूर फल देती हैं, चाहे वो थोड़ी देर में ही क्यों न हो। धैर्य रखने, विश्वास बनाए रखने और मेहनती बने रहने से सफलता कभी दूर नहीं होती।
बारिश और चिड़िया का घर
एक बार की बात है, एक जंगल में बहुत ज़ोर की बारिश हो रही थी। बारिश की बूँदें धरती पर टपक रही थीं और सभी पेड़-पौधों को खुशी मिल रही थी।
इस जंगल में एक छोटी सी चिड़ियां रहती थी। वह भी बारिश के मौसम में बहुत खुश थी। लेकिन जैसे ही बारिश ज़ोर बढ़ती गई, चिड़ियां के घर के आस-पास पानी भरने लगा। वह घबराई हुई चिड़िया अपने घर से बाहर उड़ने की कोशिश करने लगी, लेकिन बारिश बहुत ज़ोरदार थी और उसे बाहर उड़ने में काफी मुश्किल हो रही थी।
तभी, एक बड़ा सा कव्वा उस चिड़ियां के पास आया। कव्वा ने देखा कि चिड़िया काफी परेशान और घबराई हुई है। उसने देखा कि चिड़ियां का घर पानी से भर गया है और वह उड़ने की कोशिश कर रही है।
कव्वा ने तुरंत निर्णय किया कि उसे चिड़ियां की मदद करनी चाहिए। वह उस चिड़ियां के पास गया और कहा, "आप घबराइए मत! मैं आपकी मदद करूँगा।"
कव्वा ने अपनी पंखों से उस चिड़ियां के घर के आस-पास के पानी को बहार निकालना शुरू किया। वह बड़ी मेहनत से पानी को बहार निकाल रहा था। चिड़ियां ने धीरे-धीरे अपनी घबराहट गई और वह भी कव्वा की मदद करने लगी।
कुछ समय बाद, कव्वा की मेहनत से चिड़ियां का घर पानी से भरा हुआ था। चिड़ियां खुशी से चिल्लाई, "धन्यवाद कव्वा! आपकी मदद से मेरा घर अब पानी से भरा नहीं है।"
कव्वा ने प्यार से मुस्कराते हुए कहा, "कोई बात नहीं चिड़िया, मैं सिर्फ अपनी दोस्त की मदद करने आया था। दोस्ती में सहायता करना हमारा कर्तव्य होता है।"
चिड़ियां और कव्वा ने एक-दूसरे को धन्यवाद किया और साथ में मिलकर खुशी से उड़े। उन्होंने सीखा कि एक-दूसरे की मदद करना और दोस्ती का महत्व है। वे सबके दिलों में एक-दूसरे के लिए ख़ास जगह बना लिये
एक बार की बात है, एक जंगल में बहुत ज़ोर की बारिश हो रही थी। बारिश की बूँदें धरती पर टपक रही थीं और सभी पेड़-पौधों को खुशी मिल रही थी।
इस जंगल में एक छोटी सी चिड़ियां रहती थी। वह भी बारिश के मौसम में बहुत खुश थी। लेकिन जैसे ही बारिश ज़ोर बढ़ती गई, चिड़ियां के घर के आस-पास पानी भरने लगा। वह घबराई हुई चिड़िया अपने घर से बाहर उड़ने की कोशिश करने लगी, लेकिन बारिश बहुत ज़ोरदार थी और उसे बाहर उड़ने में काफी मुश्किल हो रही थी।
तभी, एक बड़ा सा कव्वा उस चिड़ियां के पास आया। कव्वा ने देखा कि चिड़िया काफी परेशान और घबराई हुई है। उसने देखा कि चिड़ियां का घर पानी से भर गया है और वह उड़ने की कोशिश कर रही है।
कव्वा ने तुरंत निर्णय किया कि उसे चिड़ियां की मदद करनी चाहिए। वह उस चिड़ियां के पास गया और कहा, "आप घबराइए मत! मैं आपकी मदद करूँगा।"
कव्वा ने अपनी पंखों से उस चिड़ियां के घर के आस-पास के पानी को बहार निकालना शुरू किया। वह बड़ी मेहनत से पानी को बहार निकाल रहा था। चिड़ियां ने धीरे-धीरे अपनी घबराहट गई और वह भी कव्वा की मदद करने लगी।
कुछ समय बाद, कव्वा की मेहनत से चिड़ियां का घर पानी से भरा हुआ था। चिड़ियां खुशी से चिल्लाई, "धन्यवाद कव्वा! आपकी मदद से मेरा घर अब पानी से भरा नहीं है।"
कव्वा ने प्यार से मुस्कराते हुए कहा, "कोई बात नहीं चिड़िया, मैं सिर्फ अपनी दोस्त की मदद करने आया था। दोस्ती में सहायता करना हमारा कर्तव्य होता है।"
चिड़ियां और कव्वा ने एक-दूसरे को धन्यवाद किया और साथ में मिलकर खुशी से उड़े। उन्होंने सीखा कि एक-दूसरे की मदद करना और दोस्ती का महत्व है। वे सबके दिलों में एक-दूसरे के लिए ख़ास जगह बना लिये।
हमारी और भी कहानिया पढे
0 Comments