जादुई टमाटर का खेत
एक गांव में मोहन नाम का एक आदमी रहता था उसके पास एक खेत था अब वह सोच रहा था कि इसमें किस चीज की बुवाई की जाए।
तभी उसे उसके पिताजी कहते है की तुम इस बार टमाटर की दवाई करो यह बात सुनकर मोहन सहमत हो जाता है और अपने ग्रुप में टमाटर की बुवाई करने लगता है।
अब निबंध टमाटर की बुवाई करने के बाद रोजाना टमाटर के पेड़ों को पानी देते हैं और उनकी देखभाल करता है और सही से निकाल देता है ऐसा करते करते कभी दिन भी छोटी है और मोदी के समाचार के छोटे-छोटे झाड़ उग जाते हैं पर यह देखकर में मोहन बहुत खुशी होती है।
अब कुछ वक्त बीत जाता है और मोहन का खेत टमाटर से लबालब भर जाता है और मोहन का पूरा फेस टमाटर से लाल लाल दिखाई देता है।
शाम का वक्त था मोहन अपनी बीवी से कहता है कि कल सुबह होते हैं हम अपने टमाटर के खेत में से सारे टमाटर निकाल लेंगे और उसे बाजार में बेच देंगे बाद में मैं तुम्हारे लिए एक नई साड़ी ला दूंगा मां के लिए और चश्मा ला दूंगा जो हमारे घर में जो भी जरूरत की चीज है वह हम भर लेंगे।
मोहन की बीवी कैसी है ठीक है ठीक है कल सुबह होते ही हम सभी मिलकर टमाटर को बाजार में बेचने ले जाएंगे पर अच्छे खासे पैसे कमा लेंगे।
लेकिन उसी रात बहुत जोर से तूफान चलता है और बहुत जोर से बारिश होने लगती है बारिश की वजह से पूरे खेत में तहस-नहस हो जाता है यह सोचकर मोहन करता है अपने दीदी से कि इतनी तेज बारिश में तो हमारे खेत में एक भी टमाटर अच्छा नहीं रहेगा सारे टमाटर खराब हो जाएंगे यह सुनकर उसकी बीवी कैसी है अब जाने दो जो होगा तो देख लेंगे।
आंधी और तूफान की रात निकल जाती है और मोहन सुबह अपने खेत में जाकर देखता है तो एक भी कमा कर वहां नहीं दिखता बाकी पूरे टमाटर खराब हो जाते हैं तेज बारिश की वजह से यह देखकर मोहन को बहुत दुख होता है और वह उदास होकर अपने घर लौटता है तो रास्ते में उसे दो लड़के दिखाई देते हैं जो एक लड़की को छेड़ रहे थे।
यह देखकर मोहन वाहन जाता है पर वह लड़कों को मारकर भगा देता है वह लड़की मोहन को धन्यवाद देती है और कहती है कि तुमने मेरी जान बचाई है यह लड़की मुझे बहुत चर्चित परेशान कर रहे थे यह सुनकर मन कहता है नहीं नहीं यह तो मेरा कर्तव्य था पर यह सही पर मोहन वहां से जा रहा होता है तो लड़की कहती है कि तुम मुझे बहुत उदास दिख रहे हो क्या हुआ।
यह सुनकर मोहन कैसा है मेरे टमाटर का खेत कल तक लबालब भरा हुआ था लेकिन कल रात तेज बारिश की वजह से मेरा पेट खराब हो गया है और मुझे बहुत नुकसान हुआ है यह सुनते ही वह लड़की एक परी बन जाती है मोहन कहता है अरे यह क्या हुआ वह लड़की कहती है मैं एक परी हूं तुमने मेरी जान बचाई है इसलिए मैं तुम्हारे खेत को वापस से लाल लाल टमाटर से भर दूंगी।
पर वह परी अपनी छड़ी घुमा दी है उनको मोहन का खेत का मोटर से भर जाता है पर वह परी करती है तुम जब भी इस खेत से टमाटर तोड़ोगे तभी भी तभी वह दूसरा टमाटर आ जाएगा इसी तरह तुम अपने खेत से काफी सारे पैसे कमा सकोगे अभी तुम्हारा जादू ही खेत बन चुका है।
यह सुनकर मोहन बहुत खुश हो जाते हैं और तभी अचानक वहां से वह परी गायब हो जाती है मोहन अपने खेत में जा कर देखता है तो उसे सच में टमाटर का खेत लबालब भरा हुआ दिखता है और वह बहुत खुश हो जाता है और वो टमाटर को बेचकर अपने परिवार को उनकी पसंद की जगह दिलाता है तो वह खुशी-खुशी रहने लगता है।
सोने का दही देने वाली गाय :
एक गांव में रामू नाम का एक आदमी रहा करता था उसके पास एक गाय थी उसी गाय के भरोसे अपना घर चलाया करता था और रोजाना अपने गाय का दूध निकालता और पूरे गांव में देश का था उससे जितने पैसे जमा हो जाते हैं उससे वह अपने घर के जरूरत है पूरी करता था।
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रंगीन जादुई छड़ी
एक समय की बात है, एक गांव में एक छोटी सी लड़की नामकृति रहती थी। नामकृति बहुत मस्तिष्कशक्ति और उत्साह से भरी हुई थी। वह हमेशा सपने देखती थी कि एक जादूई छड़ी मिल जाए, जो उसे सारे रंगों में घूमाती है।
एक दिन, नामकृति जंगल में घूम रही थी। वह खुशी से झूल रही थी और फूलों के संगीत को सुन रही थी। अचानक, वह एक चमकदार छड़ी को देखी। छड़ी का हंसमुख था और उसकी कलाओं से पूरा जंगल रंगीन हो गया।
नामकृति बहुत खुश हुई और उसने छड़ी को उठाया। जैसे ही वह छड़ी को छू ली, एक अद्भुत जादू हुआ। छड़ी से निकले सवारी रंगों की चमकती धारें और उजाले नामकृति के चारों ओर फैल गए।
नामकृति कायाकल्प कर रही थी! वह छड़ी के साथ घुमने लगी, और जब छड़ी को इच्छा होती तो वही रंग निकालती थी। उन्होंने अपनी यात्रा में चमत्कारिक नदियों, फूलों और पशु-पक्षियों के साथ बहुत सुंदर स्थानों को देखा।
एक दिन, नामकृति और छड़ी एक छोटे बच्चे को देखा जो उदास दिख रहा था। बच्चा बताता था कि उसकी पंखों में रंग नहीं होने के कारण उसे अलग महसूस हो रहा है। नामकृति उसके पास गई और छड़ी को उठाकर बच्चे को दिखाई।
छड़ी से निकले रंगीन धारे बच्चे के ऊपर छिड़क गए और उसे रंगीन बना दिया। बच्चा बहुत खुश हुआ और उसने ख़ूब खेलना शुरू कर दिया।
नामकृति और छड़ी बच्चे के साथ दौड़ने लगे और सभी बच्चों को रंगीन बना दिया। वे देख रहे थे कि बच्चों की आंखों में रोशनी चमक रही थी और उनका मन ख़ुशी से झूम रहा था।
छड़ी ने नामकृति को बताया कि रंग की शक्ति उन्हें समझ देती है कि हर व्यक्ति की ख़ासियत उसके अंदर होती है, और हर रंग उनकी ख़ुदरा होती है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं और उन्हें ख़ुशी देते हैं, तो हम अपनी सबसे बड़ी कला का उपयोग करते हैं।
जादुई कहानियां अच्छी अच्छी
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सोने की जादुई परी
एक समय की बात है, एक छोटा सा गांव था जहाँ एक छोटी सी लड़की रहती थी। उसका नाम गिनी था। गिनी बहुत ही खुशनुमा और मस्तिष्कस्वी होती थी और हर रोज़ अपने माता-पिता के साथ विचारधारा का पालन करती थी।
एक दिन, गिनी जंगल में घूमने गई। जंगल बहुत ही खूबसूरत था और गिनी को उसकी सुंदरता कायल कर देती थी। वह खुशी से झूम रही थी जब वह एक छोटे से पेड़ के पास पहुंची।
पेड़ पर एक जादूगर परी सोई हुई थी। वह बहुत ही सुंदर और चमकीली थी। गिनी बड़ी रोमांचक थी, इसलिए वह परी के पास जा बैठी और उसे जगाने का प्रयास करने लगी।
"उठो, उठो, जादूगर परी! कृपया उठ जाओ," गिनी ने पुकारा। परी की आंखें खुल गईं और वह गिनी के पास मुस्कुराई।
"धन्यवाद, बच्ची। तुमने मुझे जगाया।" परी ने कहा। "तुम बहुत साहसी हो! मैं तुम्हें एक विशेष उपहार दूंगी।"
परी ने अपनी जादुई छड़ी निकाली और उसे गिनी को दिया। "यह छड़ी सोने की बनी हुई है। जब तुम इसे चलाओगी, वह सब कुछ सोने में बदल जाएगा। यह तुम्हारे जीवन को चमकाएगी।"
गिनी ने धन्यवाद कहकर परी को छड़ी वापस कर दी। वह घर वापस आई और अपने माता-पिता को उस जादुई छड़ी के बारे में बताया।
गिनी ने खुशी से छड़ी को चलाया और देखो, सब कुछ सोने का हो गया। उसका घर सोने की महल की तरह दिखने लगा।
गिनी और उसके परिवार को बहुत खुशी हुई। लोग उनके घर देखने आने लगे और उनसे हैरान हो गए। गिनी के घर में आये हर चीज़ सोने की बन गई थी।
गिनी ने सोचा, "यह जादूगर परी की वजह से मेरे पास इतनी धन-दौलत है। अब मैं दूसरों की मदद करना चाहती हूँ।"
इसके बाद से, गिनी ने गरीब बच्चों की मदद करना शुरू कर दी। वह उन्हें खाना, कपड़ा और शिक्षा प्रदान करने में मदद करती थी। उसने सोचा, "धन से अधिक महत्वपूर्ण है कि हम दूसरों की मदद करें और उनके जीवन में चमक लाएं।"
गिनी जब बड़ी हुई, तो उसने जादूगर परी से मिलने का फैसला किया। जब वह उसे मिली, तो उसने उसे धन्यवाद दिया और कहा, "आपकी जादूई छड़ी ने मेरे जीवन को बहुत ही ख़ास बना दिया। अब मैं दूसरों की मदद करके उनके जीवन में चमक लाना चाहती हूँ।"
जादूगर परी खुश हो गई और गिनी को धन्यवाद दिया। उसने कहा, "गिनी, तुम बहुत ही साहसी और नैतिक हो। तुमने सही काम किया है। धन के माध्यम से दूसरों की सहायता करने का एक श्रेय तुम्हें देती हूँ।"
उसके बाद से, गिनी ने ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की मदद करना शुरू कर दिया और सबको एक-दूसरे के साथ मिलकर ख़ुश रहने का संकल्प लिया।
इसी तरह, गिनी ने ज़िंदगी में सच्ची ख़ुशियों का पाठ पढ़ाया। उसका दिल सोने की जादूई परी के उपहार से नहीं, बल्कि उसने दूसरों की सहायता करके प्राप्त की है। और गिनी ने समझ लिया कि वास्तव में सबसे बड़ा जादू उसके अंदर ही है।
जादुई कहानियां जादुई मटका
एक गांव में शंभू नाम का एक आदमी रहा करता था वह गरीब था और मजदूरी कर कर अपना घर चलाया करता था लेकिन दिन भर मजदूरी करने के बाद भी शंभू को थोड़े ही पैसे मिल पाते थे जिससे कि उसका गुजर-बसर ठीक से नहीं हो पाता था।
शंभू वैसे तो एक सीधा साधा आदमी था लेकिन उसे उल्टी बातें करने का बहुत शौक था कभी भी हो किसी से सीधी बात नहीं करता था इसी वजह से उसे बहुत ही कम काम मिला करता था एक दफा शंभू अपने दोस्त के साथ एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था।
तभी वह अपने दोस्त से कहता है मुझे अब तो मजदूरी नहीं मिल रही है अभी जो भी मुझे मजदूरी मिलेगी मैं उस काम को अच्छे से करूंगा यह बातें चल ही रही थी कि एक गांव का सेट वहां से गुजर रहा था गांव के सेट ने शंभू से कहा तुम्हारे लिए मेरे पास एक काम है करोगे शंभू ने कहा हां हां मैं करूंगा।
सेठ ने कहा मेरे खेत में खुदाई करनी है वह खुदाई कर लो यह सुनकर शंभू ने कहा पैसे कितने दोगे यह सुनकर सेट ने कहा अगर तुम अच्छा काम करोगे तो मैं तुम्हें पैसे भी दे दूंगा शंभू दूसरे दिन से सेठ के खेत में मजदूरी करने लगा और खड्डा खोदने लगा।
शंभू सुबह से गड्ढा खोद रहा था गड्ढा होते-होते दोपहर हो गई तभी उसे एक चीज की आवाज सुनाई दी शंभू ने कहा यह किस चीज की आवाज है फिर उसने और खुदाई की तो उसमें से एक बहुत बड़ा मटका निकला मटका बहुत बड़ा था इसमें 100 लोगों का खाना बन सकता था इतना बड़ा मटका था।
शंभू ने सोचा यह मटका किस चीज का है लेकिन इतने में उसकी कुल्हाड़ी जिससे वह गड्ढा खोद रहा था वह मटके में गिर गया इतने में सारे मटके में कुल्हाड़ी हो गए एक कुल्हाड़ी से 100 की लड़ी बन गई यह देखकर शंभू हैरान रह गया।
उसने दोबारा अपने पास का एक सिक्का मटके में डालो तो तभी अचानक जादू हुआ और एक सिक्के के 100 सिक्के बन गए शंभू ने सोचा अरे यह तो बड़ी काम की चीज है उसे जादुई मटका मिल गया है।
उसने अपने मटके को घर ले गया और घर ले जाकर एक कुल्हाड़ी डाली मटके में, तो तभी एक कुल्हाड़ी के वापस से शौक कुल्हाड़ी बन गई वह कुल्हाड़ी शंभू बाजार में बेचने के लिए गया अब उसने मजदूरी छोड़ दी और कुल्हाड़ी बेचने का काम शुरू किया।
अब कुल्हाड़ी बेचकर जो पैसे आए थे शंभू ने वह पैसे ही डायरेक्ट मटके में डाल दिए अब वह पैसे 10 गुना 100 गुना हो गए इस तरह शंभू पैसे डालता गया और गांव का सबसे अमीर आदमी बन गया।
यह खबर गांव के सेठ तक पहुंची गांव का शिव शंभू किया गया और कहा तुमने आखरी बार मेरे खेत में काम किया था तभी से तुम अमीर बन गए हो बताओ सच-सच तुम्हें मेरे खेत में क्या मिला है यह सुनकर शंभू भक्षक रह गया और उसने सोचा तो मैं अमीर बन गया हूं चलो इससे यह मटका दे देता हूं शंभू ने जादुई मटका सेट को दे दिया।
सेठ ने वह मटका अपने घर ले गया और उस मटके में अपने सारे जेवर डाल दिए सारे जेवर जादू से 100 गुना हो गए फिर से अपने वह 100 गुना जेवर और वापस मटके में डाल दिए ऐसी ही वह जेवर हजार गुना हो गए।
लेकिन सिर्फ को बहुत लाला सा गया था उसने सोचा एक मटके में क्या हो सकता है जो 100 गुना चीज कर देता है उसने जैसे ही उस मटके में झांका तो अचानक से ज्यादा हुआ और 100 सेठ आ गए उसने सोचा अरे यह मैंने क्या कर दिया।
सारे सेट एक दूसरे को मारने लगी और कहने लगी कि मैं से हूं मैं सेट हूं ऐसे में उस गांव के सेट को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि लालच बुरी बला होती है।
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बादलों की दुनिया
बहुत समय पहले की बात है, एक बच्चा नामकरण एक छोटे से गांव में रहता था। वह बादलों से बहुत प्यार करता था और हर दिन उनको देखने के लिए ऊँची ऊँची चट्टानों पर चढ़कर जाता था।
एक दिन, जब नामकरण अपनी बादलों की खोज में था, वह एक अद्भुत चीज़ देखा। उसने एक छोटे से पड़ोसी गांव के ऊपर बड़े-बड़े बादल देखे। वे बादल अलग-अलग रंगों में चमक रहे थे और उनकी बारिश बहुत ही सुंदर थी। नामकरण को वह देखने में बहुत खुशी हुई और वह उसे जानने के लिए आगे बढ़ा।
नामकरण ने बड़े बड़े बादलों के पास जाकर पूछा, "आप कहाँ से आए हो? और आपका यह सब कैसे हो रहा है?"
बादलों ने मुस्कान के साथ कहा, "हम बादलों की दुनिया से आते हैं। हम स्वर्ग के ऊपर के इलाकों में बसते हैं और वहां से नीचे उतरते हैं जब हमें ज़मीन की जरूरत होती है। हम बादलों का काम है बारिश करना और पृथ्वी को पोषण देना। हमारी बारिश से पौधों को पानी मिलता है, झरने बहते हैं, और जीवन को नई उमंग देते हैं।"
नामकरण बहुत आश्चर्यचकित हुआ और उसने कहा, "क्या मैं भी आपके साथ बादलों की दुनिया में जा सकता हूँ?"
बादलों ने आपातता के साथ कहा, "हमें बहुत खुशी होगी तुम्हारे साथ जाने की, परंतु तुम्हें ध्यान रखना होगा कि तुम ऊँचाई तक पहुंचो। हमेशा ध्यान रखें कि सुरक्षित रहो और स्वतंत्रता के साथ उड़ो।"
नामकरण ने खुशी के साथ कहा, "धन्यवाद, मैं पूरी कोशिश करूंगा!"
वह खुशी से उड़ने लगा और बादलों की दुनिया में पहुंच गया। वह ऊँची ऊँची चट्टानों पर चढ़कर और खुशी से घूमता रहा। उसने बादलों की संगत में बहुत कुछ सीखा।
बादलों की दुनिया में नामकरण ने अनेक देशों, पहाड़ों, झरनों और घाटियों को देखा। वह बारिश के बूंदों को महसूस करता और खुश होता था जब वे पृथ्वी पर टपकते थे। वह भी अपने आसपास के लोगों को रंग देता और उन्हें ख़ुशी देता।
जब नामकरण अपने गांव लौटा, तो वह देखा कि लोग बारिश की प्रतीक्षा कर रहे थे। उनके खेतों को पोषण मिलने से वे अनुदानित हो रहे थे और प्रकृति नया जीवन प्राप्त कर रही थी।
नामकरण को यह महसूस हुआ कि बादलों की दुनिया न सिर्फ रंगीन बल्कि महत्वपूर्ण होती है। वे हमारे लिए जीवनदायी हैं, हमें पृथ्वी की संतुलन रखने में मदद करती हैं, और वातावरण को सुंदर और स्वच्छ बनाती हैं।
नामकरण ने खुशी से यह बात सभी के साथ साझा की और सभी लोग बादलों की महत्त्वपूर्णता को समझ गए। वे बादलों का सम्मान करने और उनकी सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हुए।
इस तरह, नामकरण ने बादलों की दुनिया का अनुसरण किया और उसकी ज़िन्दगी में रंग और ख़ुशी भर दी। वह समझ गया कि जब हम प्रकृति के साथ मेल ख़ाते हैं, हमें अद्वितीय और ख़ुशहाल अनुभव मिलता है।
जादुई कहानियां परियों की
जादुई कंघी
एक बार की बात है एक घर में चार परियों रहा करती थी चार परियां बहुत ही खुश रहती थी आपस में लेकिन उनमें से तीन परियों के बाल बहुत ही लंबे लंबे थे लेकिन एक परी के बाल बहुत ही छोटे थे इस बात का उस परी को बहुत दुख था।
वह रोजाना तीनों परियों को कंघी करते हुए देखकर ललचाती थी।पर कहती थी कि काश मेरी भी इतने बड़े बाल होते और मैं इतनी ही बड़ी चोटी डाल पाती।
लेकिन उसे इस बात को बहुत दुख था कि उसके बाल इतने छोटे हैं लेकिन एक बार वह यह बात सोच कर बहुत रोने लगी इतने में वहां रानी परी और रानी परी ने कहा कि तुम क्यों रो रही हो यह सुनकर उस परी ने कहा मेरे 3 महीने हैं मेरे तीनों बहनों के बाल बहुत लंबे लंबे है जिसकी वजह से वह बहुत ही अच्छी और खूबसूरत चोटी दाल पाती है लेकिन मेरे बाल बहुत ही छोटे हैं।
जिस वजह से मेरे भाइयों की छोटी नहीं पड़ती और मेरे भाई ने मेरे ऊपर हंसती है कि मेरी इतने से बाल है यह सुनकर रानी परी ने कहा ठीक है तुम कल तक इंतजार करो मैं तुम्हारे लिए एक चीज का इंतजाम कर रही हो जिसकी वजह से तुम्हारे बाल लंबे हो जाएंगे और तुम भी लंबी लंबी चोटी दाल पाऊंगी।
यह सुनकर वह परी बहुत खुश हो गई और दूसरे दिन का इंतजार करने लगी दूसरे दिन रानी परी आई और उसे एक कंगी दे दी यह कंगी देखकर परी नाराज हो गई और कहा इसका अंगिका मुझे क्या काम मेरे तो छोटे-छोटे ही बाल है यह सुनकर रानी परी ने कहा तुम इस कंघी से कंघी करो और यह कहकर रानी परी वहा से चली गई।
उस परी ने जैसे ही कंगी की उसके बाद उसकी बहनों से भी ज्यादा लंबे हो गए और उसकी छोटी बहुत ही लंबी हो गई यह देखकर वह परी बहुत खुश हो गई और उसने रानी परी का धन्यवाद अदा किया और अपनी लंबी चोटी से अपने बहनों को और भी जलाने लगी उनके सामने और भीतर आने लगी इस तरह उस पर ही के बाल लंबे हो गए और जादुई कंगी भी उसके पास थी।
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हाथी और मूंगफली का जादू
एक बार की बात है, एक जंगल में एक बहुत बड़ा हाथी रहता था। वह हाथी अपने बड़े आकार और मजबूत संरचना के लिए मशहूर था। हर जानवर उसकी ताकत और सामरिक क्षमता की प्रशंसा करता था।
एक दिन, जब हाथी जंगल में फिर रहा था, उसने एक छोटे छोटे बच्चे को देखा जो मूंगफली खा रहा था। छोटा बच्चा बहुत खुश दिख रहा था और उसका चेहरा मूंगफली की मिठास से भरा हुआ था। हाथी उसके पास गया और उससे पूछा, "तुम मूंगफली बहुत पसंद करते हो?"
बच्चा खुशी से उच्चारण करते हुए बोला, "हाँ, मैं मूंगफली से बहुत प्यार करता हूँ! यह मेरी पसंदीदा स्नैक है और इसका स्वाद बेहतरीन है।"
हाथी ने सोचा कि वह बच्चा खुश और प्रसन्नता से खा रहा है लेकिन वह बहुत सारी मूंगफली खा नहीं सकता क्योंकि उसका मुंह छोटा है। उसने छोटे बच्चे को बताया, "तुम मूंगफली खाने का बहुत शौकीन हो, लेकिन तुम्हारे मुंह में सिर्फ छोटी मूंगफली ही फिट होती है। क्या तुम चाहोगे कि मैं तुम्हें बड़ी मूंगफली दूं?"
बच्चा उत्साहित हो गया और हाथी की बात सुनकर हंसते हुए बोला, "हाँ, कृपया! मैं बड़ी मूंगफली खाना चाहूंगा।"
हाथी ने बच्चे के लिए एक बड़ी मूंगफली ले आई और उसे उसके सामने रख दी। बच्चा खुशी से चिढ़ाते हुए उसे खाने लगा। वह बड़ी मूंगफली के स्वाद का आनंद लेने लगा और खुशी से हंस रहा था।
बच्चा खुश होकर हाथी के पास आया और धन्यवाद देते हुए बोला, "धन्यवाद, आपने मेरी मनचाही मूंगफली दी। यह बड़ी मूंगफली खाने से मैं अपनी ख़ुशी और संतुष्टि का एहसास कर रहा हूँ।"
हाथी भी खुश हुआ और बच्चे की प्रसन्नता देखकर कहा, "मैं खुश हूँ कि तुम्हें बड़ी मूंगफली पसंद आई। मूंगफली की छोटी-छोटी बीजों में भी एक छोटा सा जादू होता है जो हमें खुश करता है।"
बच्चा और हाथी मिलकर खुश और प्रसन्न रहने लगे। हाथी ने उसके लिए एक खास रिश्ता बनाया और बच्चा ने मूंगफली के स्वाद को और अधिक मज़ेदार बनाया। इस तरह, हाथी और मूंगफली के जादू ने एक प्यारा संबंध बनाया और सबको खुशी और आनंद दिया।
परियों की जादुई कहानियां
जादुई ढाबा
एक बार की बात है मीना एक गरीब लड़की थी उसके घर में बहुत गरीबी थी उसके पिता बाहर गांव गए थे पैसे कमाने के लिए लेकिन अभी उसकी मां की तबीयत खराब थी उसकी मां लोगों के यहां काम कर कर अपना घर चलाती थी लेकिन अभी उसकी तबीयत खराब होने की वजह से घर में पैसे नहीं आ रहे थे और मीना इसी वजह से बहुत परेशान थी।
एक बार जब मीना हाईवे पर बैठी थी तभी उसे वहां पर बहुत सी गाड़ियां उतरते हुए देखी और बहुत से गाड़ियों के लोग मीना से पूछते थे यहां आस-पास कोई ढाबा है मीना कहती थी या आसपास कुछ खबर नहीं है इसके लिए तुम्हें आज 10 किलोमीटर आगे जाना पड़ेगा।
मीना 1 हफ्ते तक रोजाना ऐसे ही करती रही फिर उसके दिमाग में एक ख्याल आया क्यों ना मैं एक ढाबा खोलू जिसकी वजह से मेरी कमाई हो जाए लेकिन उसने कहा मेरे पास तो इतने पैसे नहीं है कि मैं ढाबा खोलो और लोगों को नौकरी पर रखो यह सोचकर उसने ढाबा खोलने की जिद छोड़ दी।
और बहुत रोने लगी और कहने लगी कि मेरे पास पैसे होते तो मैं ढाबा खुलती और अपने घर में पैसे ले जा कर देती और मेरी मां की तबीयत खराब है उसे अच्छे अस्पताल में बताती यह सुनकर वह एक परी आती है वह परी वहीं से गुजर रही थी लेकिन वह मीना की बात सुनकर वहां पहुंचती है और कहती है कि मैं तुम्हें एक जादू से ढाबा खोल कर दूंगी और उस ढाबे में काम करने के लिए मैं अपनी प्रिय दोस्त लाऊंगी हम पर या और तुम मिलकर ढाबा चलाएंगे और तुम्हें अच्छी खासी ऐसे मिल जाएंगे।
परी अपनी जादू से एक ढाबा बनाती है और उस डब्बे को अच्छी तरह से जाती है और उस ढाबे में मीना अच्छा-अच्छा और टेस्टी टेस्टी खाना बनाती है बहुत सारे लोग ट्रक ड्राइवर बाहर होते हैं ढाबे में खाना खाते हैं इस तरह मीना की बहुत कमाई हो जाती है और नींद अपनी मां का छह अस्पताल में इलाज करवा करती है और इस तरह मीना उन पर यू से धन्यवाद देती है ।
अब पर्यावाची चली जाती है मीना के पास बहुत सारे पैसे आ जाते हैं अब मीना उन पैसों से नौकर भी लगती है अपने दावे पर काम करने के लिए रोने सैलरी भी देती है इस तरह अब मीना खुशी से जिंदगी बिताती है।
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चमत्कारी साइकल
एक छोटे से गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम राजू था। राजू के पास बहुत सारी खिलौने थे, लेकिन उसकी प्रियतम खिलौना उसकी पुरानी साइकल थी। वह साइकल से खेलने का बहुत शौकीन था।
राजू की साइकल बहुत पुरानी हो गई थी और अब वह ठीक से चलती नहीं थी। राजू बहुत ही उदास हो गया क्योंकि उसकी प्रिय साइकल को ठीक करवाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था।
एक दिन, जब राजू दुखी होकर बैठा था, उसने एक चमत्कारी संगठन के बारे में सुना। यह संगठन बच्चों को अपनी प्रिय खिलौने फिर से देता था। राजू की आशा फिर से जगी और उसने संगठन की ओर दौड़ लगाई।
राजू ने संगठन के द्वारपाल से मिला और अपनी साइकल के बारे में बताया। उसने अपने दिल की बात सुनाई कि वह अपनी पुरानी साइकल को फिर से चलाना चाहता है।
द्वारपाल ने राजू की योजना सुनी और उसे चमत्कारी साइकल दी। यह साइकल चमत्कारी थी क्योंकि इसे धक्का लगाने पर यह खुद से चलने लगती थी।
राजू बहुत खुश हुआ और साइकल पर बैठकर दौड़ने लगा। यह थी वास्तव में चमत्कारी साइकल! उसका चेहरा खुशी से चमचमाया और वह अपने गांव की सड़कों पर चमत्कारी साइकल के साथ दौड़ता गया।
राजू और चमत्कारी साइकल ने गांव में बड़ी चमत्कार मचा दी। लोग उन्हें देखकर हैरान और आश्चर्यचकित हो गए। राजू के दोस्त भी चमत्कारी साइकल के बारे में सुनकर हैरान हो गए और चाहने लगे कि वे भी ऐसी साइकल प्राप्त करें।
राजू ने दोस्तों को बताया कि चमत्कारी साइकल केवल विशेष व्यक्तियों को ही दी जाती है जो अपनी खिलौनों को सच्चे दिल से प्यार करते हैं।
इस तरह, राजू और उसकी चमत्कारी साइकल ने बच्चों को चमत्कार और खुशी का आनंद दिया। राजू को अपनी पुरानी साइकल के साथ खुशी मिली और वह दौड़ते हुए, खेलते हुए और आनंद लेते हुए अपने बचपन को बसार करता रहा।
जादुई घोड़ा और उसका सफर :
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बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब लड़का रहता था। उसका नाम राजू था। वह घोड़ों के बहुत दीवाना था और हर दिन उन्हें देखकर सपने देखता था कि वह भी एक जादूई घोड़े पर सवार हो रहा है। परंतु उसके परिवार में इतना पैसा नहीं था कि वह एक असली घोड़े को खरीद सके।
एक दिन, राजू अपनी माता-पिता से अपनी इच्छा के बारे में बात करने गया। वह उनसे कहने लगा, "माता-पिता, मुझे जादूई घोड़ा चाहिए। क्या आप मुझे एक दे सकते हैं?"
माता-पिता ने उसके ख्वाबों को समझा और उन्होंने कहा, "राजू, हम तुम्हारी यह इच्छा पूरी करना चाहते हैं, लेकिन हमें इतना पैसा नहीं है जो असली जादूई घोड़ा खरीद सके। हालांकि, यदि तुम मेहनत करोगे और ईमानदार रहोगे, तो शायद तुम्हारी यह इच्छा पूरी हो सकती है।"
राजू को समझ आ गया कि उसे अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए काम करना होगा। उसने गांव के पास एक सरकारी फसली खेत में काम शुरू किया। वह दिनभर मेहनत करता और फसलों की देखभाल करता रहता।
एक दिन, जब वह खेत में काम कर रहा था, वह एक बड़े बटेर में छोटे से घोड़े को देखा। उसे वह घोड़ा बहुत प्यारा लगा और उसने उसे पास बुलाया। बटेर ने कहा, "यह घोड़ा मैं कहीं छोड़कर आया हूँ, क्या तुम उसका ध्यान रख सकते हो?"
राजू ने उसे धन्यवाद किया और उस छोटे घोड़े का ख्याल रखना शुरू कर दिया। उसने उसे प्यार से पाला और देखभाल की। घोड़ा धीरे-धीरे राजू के साथ बहुत प्रेम करने लगा।
एक दिन, जब राजू और घोड़ा साथ में थे, उन्होंने एक बंदर को देखा। बंदर बहुत मुसीबत में था क्योंकि उसकी एक पैर चोट लग गई थी। राजू ने बंदर की मदद की और उसे ठीक करने में सहायता की। बंदर ने बड़ी खुशी महसूस की और धन्यवाद दिया।
उस दिन के बाद, राजू को एक अजीब सी ताकत महसूस होने लगी। उसकी मेहनत और ईमानदारी ने उसे एक अद्भुत शक्ति दी थी। वह समझ गया कि यही वह जादू है जिसकी उसे तलाश थी।
बड़े खुशी के साथ, राजू घोड़े के पास गया और उसे धन्यवाद दिया। वह अब समझ गया था कि जादूई घोड़ा हर व्यक्ति में नहीं होता है, बल्क यह उनके अंदर की मेहनत, ईमानदारी और दया की शक्ति होती है।
वह घोड़ा और राजू का सफ़र इसी तरह आगे बढ़ता रहा, और राजू ने अपनी इच्छा पूरी कर ली। वह एक सम्पन्न और खुशहाल जीवन जीने लगा और इसकी ज़िम्मेदारी अदालती रूप से निभाने लगा। इस तरह, जादूई घोड़ा ने उसे न केवल खुद को संतुष्ट किया, बल्क उसे अन्य लोगों की सहायता करने की प्रेरणा भी दी।
परी की कहानियां
jadui kahani pariyon ki
परी की प्रशंसा
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटा सा गांव था जहां बहुत सारे बच्चे रहते थे। यह गांव खूबसूरत प्राकृतिक वातावरण से घिरा हुआ था।
गांव के एक छोटे से बच्चे का नाम राजू था। वह बहुत ही मस्तिष्कशक्ति और उत्साह से भरा हुआ था। राजू बादलों की दुनिया के बारे में बहुत सपने देखता था। उसकी सबसे प्रिय प्राणी परी थी। राजू को परियों की सुंदरता और उनकी जादुई शक्तियों में विश्वास था।
एक दिन, राजू अपने दोस्तों के साथ उद्यान में घूमने गया। वह एक छोटे पेड़ के नीचे बैठ गया और ख्यालों में खो गया। अचानक, उसने एक चमकदार परी को देखा जो पेड़ के ऊपर बैठी हुई थी। उसकी सुंदरता और चमक राजू को बहुत प्रभावित कर रही थी।
राजू उठा और परी के पास गया। उसने परी की प्रशंसा की और कहा, "आप बहुत ही सुंदर दिख रही हैं। आपकी प्रेमिका आपकी तरह ख़ुदरा होना चाहेगी।"
परी ने मुस्कान के साथ राजू को धन्यवाद दिया। वह उसे बताया, "मैं एक परी हूँ और मेरी जादुई शक्तियां हैं। हम परियों का काम है प्रकृति की संरक्षा करना और सभी प्राणियों की देखभाल करना। हम सबके लिए सुंदरता, आनंद और सुख लाते हैं।"
राजू बहुत खुश हुआ और परी के पास आकर बोला, "मुझे यह बहुत अच्छा लगता है कि आप प्रकृति की रक्षा करती हैं और सबकी देखभाल करती हैं। मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ और आपके लिए आभारी हूँ।"
परी ने राजू को गले लगाया और कहा, "तुम्हारा आभारी होना मेरे लिए एक महान सम्मान है। हम परियों का कार्य हमेशा चाहिए कि हम प्रकृति की रक्षा करें और सभी प्राणियों की सुरक्षा करें। तुम भी इस कार्य को कर सकते हो और प्रकृति के साथ मिलकर एक बेहतर दुनिया बना सकते हो।"
राजू और परी मिलकर मित्रता का बंधन बनाए रखते हैं और साथ में प्रकृति की रक्षा करते हैं। उनकी प्रशंसा और सहयोग से गांव की सुंदरता और समृद्धि में वृद्धि होती रहती है।
तीन जादुई मछली
एक छोटा सा झील था जहां तीन जादुई मछलियाँ रहती थीं। इन मछलियों की अद्भुत शक्तियाँ थीं जो उन्हें खास बनाती थीं। पहली मछली की जादू से वह जल के ऊपर उड़ सकती थी, दूसरी मछली थलस्सेमिया शक्ति रखती थी और वह सभी रंगों में छमक सकती थी, और तीसरी मछली थोड़ी सी मात्रा में पानी को पवन में बदल सकती थी।
एक दिन, उन तीनों मछलियों को एक छोटी सी बच्ची ने झील में देख लिया। बच्ची ने उन्हें देखकर बहुत चमत्कारिक हो गई और चाहती थी कि वह भी ऐसी शक्तियों से सुसज्जित हो सके।
उस बच्ची ने अपनी खाली जादूई पुस्तक में एक जादू स्पेल ढूंढ़ी और उसे पढ़ा। उसे मालूम पड़ा कि वह तीनों मछलियों को जादूई शक्तियों से सुसज्जित करने के लिए विशेष मन्त्र का उपयोग कर सकती है।
बच्ची ने मन्त्र को याद किया और झील के पास खड़ी हो गई। उसने मछलियों के पास जाकर मन्त्र का उपयोग किया और तीनों मछलियों को जादूई शक्तियों से सुसज्जित कर दिया।
अब पहली मछली जल के ऊपर उड़ सकती थी और उसे आकाशीय यात्रा का आनंद लेने में मदद मिलती थी। दूसरी मछली सभी रंगों में चमक सकती थी और अपनी चमक से सभी को प्रभावित कर सकती थी। तीसरी मछली पानी को पवन में बदल सकती थी और उसे जहां चाहे वहां ले जा सकती थी।
बच्ची खुशी से उछलती हुई जल में कूद गई और तीनों मछलियों के साथ खेलने लगी। उसे अपनी जादूई मछलियों के साथ बहुत मज़ा आ रहा था।
वह जीवन के नए अनुभवों को खोजती रही और अपनी जादूई मछलियों की सहायता से दुनिया में चमत्कार ला रही थी। वह खुश और प्रसन्न रहती थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके पास एक अद्वितीय और जादूई साथी है जो उसकी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता है।
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लकड़ी का स्लेंडर जादुई
एक छोटे से गांव में गुप्ता नाम का एक आदमी रहा करता था गुप्ता कारीगरी में बहुत ही मगन था वह लकड़ी के कोई भी चीज बना सकता था वह इतना कुशल कारागीर था कि दूसरे गांव से भी लोग उसके पास लकड़ी की चीजें बनवाने के लिए आया करते थे।
लेकिन उस गांव में लकड़ी की बहुत कमी थी और उस गांव के लोग खाना बनाने के लिए चूले का इस्तेमाल किया करते थे और चूल्हे में बहुत ज्यादा लकड़िया जलाई जाती थी जिसकी वजह से गुप्ता को लगता था कि सारी लकड़ियां खत्म हो जाएंगे दिन और मुझे कारा गिरी करने के लिए लकड़ी के नहीं मिलेगी।
यह बात सोच कर वह बहुत दुखी हो जाता था लेकिन वह कर भी क्या सकता था लोगों को चूला जलाने के लिए लकड़ी अतुल लगेंगे।
एक बार की बात है तो रास्ते से जा रहा था तभी उसे एक बकरी वहां बहुत ही तड़पती हुई दिखाई दी उस बकरे को बहुत ही चोट लगी थी और बहुत ही खून जा रहा था गुप्ता वहां गया और उस बकरीद के चोट पर पट्टी बंधी और उसे पानी भी पिलाया यह देखकर बकरी बहुत खुश हो गई और गुप्ता के सामने एक उजाला हुआ और वह बकरी परी बन गई।
उस बकरी ने कहा मुझे एक पंडित ने शराप दिया था और मुझसे कहा था कि अगर कोई सच्चे दिल का आदमी तुम्हारे मदद करेगा फिर तुम परी बन जाऊंगी इस तरह तुमने मेरी मदद की बताओ तुम्हें मुझसे क्या चाहिए।
गुप्ता ने सोचा यही सही वक्त है उसकी समस्या बताने का गुप्ता ने पति से कहा देखो मैं लकड़ी की कार गिरी करता हूं लेकिन मेरे गांव में बहुत ही कम लकड़िया है और लोग चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं क्या तुम मुझे कुछ ऐसी चीज दे सकती हो जिससे कि लकड़िया खत्म ना हो यह सुनकर परी कहने लगी।
तुम्हारे पास कुछ लकड़ी है तो वह यहां पर लाकर दो गुप्ता जल्दी से कुछ लकड़िया वहां लाकर रख देता है परी अपनी छड़ी घुमा दी है और उस पर जादू चला देती है और परी कहती है तो मिस लवली के सिलेंडर बनाओ गैस सिलेंडर और यह गैस सिलेंडर कैसे होंगे कि इसमें से कभी गैस खत्म ही नहीं होगी।
और यह सब सिलेंडर बनाकर तुम अपने गांव में बांट दो जिसकी वजह से लोग इस सिलेंडर पर खाना बनाएंगे और लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करेंगे और वह लकड़ियां तुम्हें अपनी कारा गिरी के लिए इस्तेमाल करने में आ जाएंगे।
गुप्ता ने ऐसे ही किया वह बहुत कुशल कारागिर था उसने जल्दी-जल्दी उन लकड़ी के सिलेंडर बनाए और पूरे गांव में भेज दिए उन सिलेंडरों को बेचकर गुप्ता का अच्छा खासा बिजनेस हो गया था और इस तरह गुप्ता खुशी से रहने लगा।
और जो लकड़िया थी उससे अपनी कारीगरी पर कर और भी पैसे कमाता और खुशी-खुशी रहता था।
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