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दूध वाला भूत | bhoot ki kahani in hindi | bhoot ki kahani bhoot ki kahani

वैसे तो असली भूतो की कहानिया कुछ ज़्यादा ही डरावनी होती है लेकिन बच्चो को  bhoot ki kahani in hindi पढ्न इस लिए पसंद है क्यूंकी कार्टून की  bhoot ki kahani in hindi बहुत ही मज़ेदार होती है इसी लिए इस त्राह की bhoot ki kahani पढ्न बच्चो को बहुत पसंद होता है। 

तो इसी बात को ध्यान मे रखते हुए आज हम आपके लिए लाये है bhoot ki kahani तो चलिये पढ़ते है bhoot ki kahani bhoot ki kahani


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    दूध वाला भूत ( bhoot ki kahani in hindi )

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    एक बार की बात है एक गांव में बहुत खुशहाली थी और वहां पर लोग बहुत ही चैन हो आराम से रहते थे लेकिन वहां पर दूध बेचने वालों को ही नहीं था वहां के लोगों को दुख की बहुत समस्या होती थी जिसकी वजह से वह पड़ोस के गांव से बहुत ही महंगे दामों में दूध खरीद कर लाते थे।


    इस गांव में एक बुद्धि अम्मा रहती थी वह पूरे घर में अकेली ही रहती थी वहां पर एक लड़का तो है और बुद्धि अम्मा से कहता है मुझे पहचाना बुद्धि अम्मा कहती है नहीं बेटा मैं तुम्हें नहीं पहचाना यह सुनकर वह कहता है मैं गगन हूं तुम्हारी बहन का पोता यह सुनकर बुद्धि अम्मा कहती है तो फिर बेटा बाहर क्यों खड़े हो जल्दी से अंदर आओ।

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    बुद्धि अम्मा कहती है बेटा तुम्हारा यहां कैसे आना हुआ यह सुनकर गगन करता है माझी मुझे कोई काम धंधा चाहिए इसलिए मुझे पता लगा कि यहां पर दूध की बहुत कमी है इसीलिए मैं अपनी गाय भैंस के साथ में लेकर आया हूं ताकि इस गांव में दूध बेच सको और पैसे कमा सकूं।

    यह सुनकर बुद्धि अम्मा कहती है अरे बेटा तो तुमने बहुत अच्छा किया वैसे भी इसका वालों को दूध की वजह से बहुत ही परेशानी उठानी पड़ती है अच्छा हुआ तुमने यह दूध का काम शुरू किया और गाय भैंसों को साथ में ही लेकर आ गए।

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    जब बुढ़िया मां सो जाती है तो गगन अपने रूम में जाता है और भूत बन जाता है क्योंकि गगन एक भूत था।

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     और फिर वह दो बाल्टी लेता है और गाय भैंस का दूध निकालने के लिए जाता है जब वह गाय भैंसों का दूध निकाल लेता है तब वह उसे चांद के रोशनी में रखकर कुछ मंत्र पढ़ना है जिसकी वजह से दूध थोड़ी देर के लिए लाल हो जाता है।


    और यह देखने के बाद गगन भूत कहता है अरे वह यह तो कमाल हो गया मैं जैसा सोचा था वैसे ही हो गया अब मैं यह दूध पूरे गांव वालों को पिलाऊंगा और पूरे गांव वाली भी खून के पैसे हो जाएंगे और एक दूसरे को काट काट कर खाएंगे फिर एक दिन पूरा गांव खाली हो जाएगा और मैं पूरे गांव पर राज करूंगा।

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    सुबह होती है और गगन भूत और दूध बेचने पूरे गांव में घर-घर जाता है गांव वाले तो दंग ही रह जाते हैं कि कौन भला भटका उनके घर दूध देने आया है।

    लेकिन सभी गांव वाले बहुत खुश हो जाते हैं क्योंकि अब उन्हें दूध लेने के लिए पड़ोस के गांव में नहीं जाना पड़ेगा और उनका टाइम भी बच जाएगा लेकिन उन्हें क्या पता था कि इस दूध में क्या मिला हुआ है और अब उन्हें कौन सी समस्या का सामना करना है।

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    उसे दिन सारे गांव वाले दूध पी लेते हैं और अगले दिन बुद्धि अम्मा के पास एक औरत आती है और कहती है हमारे पड़ोस की जो विमल थी ना उसका बेटा कुछ अलग ही बर्तन कर रहा है और वह खून और मांस खाने के लिए तड़प रहा है और उसने तो विमला की हाथ पैर काटकर खून पीना शुरू कर दिया अब उसे विमला ने बंद कर रखा है डॉक्टर को भी समझ नहीं आ रहा कि क्या करें।

    यह सुनकर बुद्धि अम्मा कहती है कि यह क्या हुआ हमारे गांव को क्या हुआ और हमारे गांव को कोई किसी की नजर तो नहीं लग गई लेकिन बुद्धि अम्मा को क्या पता था कि यह सब कुछ हो रहा है गगन भूत की वजह से हो रहा है क्योंकि बुद्धि अम्मा को पता ही नहीं था कि गगन भूत है।

    रात होती है और गगन बहुत दोबारा ऐसा ही करता है गाय भैंसों से दूध निकलता है और उसे बाल्टी में भरकर चांद की रोशनी के सामने रखकर मंत्र बढ़ता है और वैसे ही थोड़ी देर के लिए दूध लाल हो जाता है और फिर वह सुबह होते ही पूरे गांव में बांट करते हैं जिसकी वजह से गांव के हद से ज्यादा लोग खून और मांस खाने लगते हैं जिसकी वजह से सभी उन्हें बंद बंद कर रखते हैं।

    अब तीसरा दिन निकलता है जैसे ही सुबह होती है बुद्धि अम्मा के दरवाजे पर कोई खटखटाता है बुद्धि अम्मा जैसे ही दरवाजा खुलता है तो देखी है कि उनकी बहन वह आई है यह देखकर बुद्धि अम्मा कहती है तुम बहुत सालों के बाद मेरे घर आई हो लेकिन मुझे पता है तुम मेरे लिए नहीं बल्कि अपने पोते गगन के लिए आई हो यह सुनकर बुढ़िया मां कहती है गगन के लिए लेकिन मैं तो गगन की शादी का कार्ड लेकर आई हूं।


    यह सुनकर बुद्धि अम्मा कहती है लेकिन गगन ने तो मुझे नहीं बताया कि वह शादी कर रहा है यह सुनकर उसकी बहन रहती है लेकिन वह तुम्हें कैसा बताया वह तो शादी की तैयारी में लगा है यह सुनकर बुद्धि अम्मा हकचक रह जाती है और कहती है कि यह कैसे हो सकता है वह तो कई दिनों से मेरे घर पर रह रहा है।

    अब बुद्धि अम्मा को समझ आ जाता है कि गगन उनका पोता नहीं बल्कि कोई बहरूपिया है और फिर दोनों बहनें मिलकर गगन पर नजर रखने लगती है रात होती है और गगन और दूध निकालने जाता है और मंत्र पढ़ कर दूध को जादू कर देता है और भूत के रूप में आ जाता है गगन को बहुत के रूप में देखकर बुद्धि अम्मा बहुत डर जाती है और कहती है कि इतने दिनों से मैं एक भूत के साथ रह रही थी।

    हम बुद्धि अम्मा अपनी बहन के साथ मिलकर तांत्रिक बाबा के पास जाते हैं और तांत्रिक बाबा को यह सारी घटना बताते हैं तांत्रिक बाबा यह सब सुनने के बाद कहते हैं कि यह लोग यह बहुत ही पवित्र जल है और यह पवित्र जल तुम गांव के सभी लोगों को पिला दो वह सभी ठीक हो जाएंगे और बाद में यह चल तुम उस भूत को भी पिला देना तो वह चलकर खाक हो जाएगा।

    फिर बुद्धि अम्मा अपनी बहन के साथ मिलकर पूरे गांव में वह पवित्र जल एक शरबत के रूप में बना देती है और सारे गांव वालों से कहती है कि शरबत है पी लो पूरे गांव के लोग वह पवित्र जल का शरबत पीकर ठीक हो जाते हैं और आखिर में बुद्धि अम्मा गगन भूत को शरबत पिलाती है गगन भूत जैसे ही शरबत पिता है वह जल जाता है और जलकर खाक हो जाता है।

    इसी तरह बुद्धि अम्मा ने अपनी बहादुरी से पूरे गांव को गगन भुत से आजाद करवाया और पूरे गांव में बहुत मशहूर हो गई।


    भूतिया छाता  bhoot ki kahani in hindi )

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    एक गांव में मनोज नाम का आदमी अपनी बीवी कविता के साथ रहता था वह अपने सुंदर से घर में रहता था एक दिन उसकी बीवी से कहती है कि चलो तुम्हें आज छुट्टी है हम किसी बाग में टहल करते हैं वैसे भी हम बहुत दिनों से बाहर घूमने नहीं गए।

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    मनोज को छुट्टी होती है इसीलिए वह अपनी बीवी की बात मानकर पास के बैग में घूमने के लिए चला जाता है।

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    वह दिन भर बाग में घूमते हैं टहलते हैं लेकिन जैसे ही शाम के वक्त आने की कोशिश करते हैं वैसे ही जोरदार हवा चलने लगती है और मनोज के बीवी को भी तो उसे रहती है कि चलो हमें जल्दी से घर जाना चाहिए लेकिन इतने ही जोर से बारिश होने लगती है और मनोज और कविता एक पेड़ के नीचे खड़े हो जाते हैं।

    तकरीबन एक घंटा गुजर जाता है लेकिन बारिश बंद होने का दम ही नहीं लेती मनोज की बीवी कहती है चलो अभी हमें जिला होते हुए ही घर जाना पड़ेगा तभी उसे वहां एक छाता पड़ा दिखाई देता है उसे छाते को देखकर कविता कहती है चलो हम इस छाते को लेकर घर जाते हैं और जब वापस आएंगे तो इसे यहीं रख देंगे।

    इसके बाद मनोज उसे छतरी को जमीन से उठता है और दोनों पति-पत्नी उसे छतरी के नीचे हो जाते हैं और अपने घर पहुंच जाते हैं।


    घर पहुंच कर मनोज की बीवी मनोज से कहती है आज तो इस छतरी ने हमें गीला होने से बचा लिया वरना हम पूरे गीले हो जाते और हमें सर्दी बुखार भी हो जाता यह सुनकर मनोज कहता है हा हा चलो अब मुझे एक कप चाय पिला दो।

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    यह सुनकर कविता कहती है ठीक है ठीक है तुम्हें चाय के साथ पकोड़े भी खिलाती हूं और जैसे ही कविता रसोई घर में जाती है उसे एक आवाज सुनाई देती है जिसकी वजह से वह बहुत डर जाती है और अपने पति मनोज को बुलाती है और कहती है मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई मुझे बुला रहा है।

    यह सुनकर मनोज कहता है शायद तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है मुझे तो कोई आवाज़ सुनाई नही दी।

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    लेकिन जब वापस से कभी तो अपने कमरे में जाती है तभी उसे आवाज सुनाई देती है तो वह गौर करती है कि उसे वह आवाज छतरी में से आ रही है और जैसे हो कुछ करवाती छतरी में से एक चुड़ैल निकलती है और कविता से कहती है मैं तुम्हारे पति से प्यार करती हो और मैं तुम्हें मार कर तुम्हारे पति के साथ रहूंगी तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर कर।


    वहां से कविता भागने की कोशिश करती है लेकिन चुड़ैल उसका गला दबा देता है और उसे ऊपर उठा देती है यह देखकर कविता बहुत डर जाती है और वह अपने पति का आवाज देती है मनोज जल्दी से वहां जाता है और यह देखकर बहुत डर जाता है।

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    इससे पहले की मनोज कुछ करता चुड़ैल ने उसे अपनी शक्ति से जमीन पर पटक दिया मनोज को कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी उसे समझ आया की चुड़ैल छतरी में से आई है उसने अपने जेब से लाइटर निकाला और छतरी को जला दिया जैसे ही छतरी जली चुड़ैल भी चल कर राख हो गई और मनोज और उसकी बीवी को चुड़ैल से राहत मिली।


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