AC ढाबे वाली चुड़ैल | भूत की कहानियां | bhoot ki kahaniyan

आज मैं लाया हु भूत की कहानियां क्योंकि इसी तरह की भूत की कहानियां पढ़ना सभी को और खास तौर से बच्चो को बहुत अच्छा लगता है और bhoot ki kahaniyan बहुत मज़ेदार भी होती है तो चलिए पढ़ते है भूत की कहानियां


AC ढाबे वाली चुड़ैल

AC ढाबे वाली चुड़ैल | भूत की कहानियां | bhoot ki kahaniyan

 भूत की कहानियां

चंदू का गांव में एक बहुत बड़ा खेत था और वो साल भर अपने खेत में अपने पिता के साथ मजदूरी करता था और साल के आखिर में पूरी फसल एक साथ बेच कर अपना साल भर का खर्च चलाता था।


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 भूत की कहानियां

हर बार की तरह चंदू और इसके पिता सुबह सुबह खेत गए और काम करने लगे धूप का समय था और तड़ाके की गर्मी थी अब खाने का समय हो गया था दोनो खाने के लिए बैठे लेकिन चंदू ने जैसे ही उसका डब्बा खोला खाना गर्मी की वजह से पूरा खराब हो गया था और रोटियां भी गीली हो गई थी।


चंदू अपने पिता से कहेता है " पिताजी खाना का हाल गर्मी की वजह से बहुत बुरा हो चुका है " इसपर उसके पिता कहेते है ठीक है लेकिन हमे तो खेत में और भी बहुत सारा काम करना है और हमारे पास खाने के लिए और कुछ नही है तुम एक काम करो हमारे पास के खेत में आम का पेड़ है वहां से आम तोड़कर लो और आम खा लो इससे तुम्हारी भूख शांत हो जाएगी।


चंदू ऐसा ही करता है पास के खेत में जाता है लेकिन वहां जाकर देखा है कि सारे आम पेड़ से तोड़ लिए गए और बाजार में बेचने के लिए भी चले गए यह देखकर चंदू बहुत दुखी हो जाता है और दुखी दुखी वापस लौटता है तो वह देखता है कि एक जगह पर बहुत भीड़ लगी है और वहां लिखा है ढाबा।

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और उसे ढाबे में से बहुत ही ठंडी ठंडी हवा आ रही थी चंदू सोचता है कि इतनी धूप में इतनी गर्मी में यह ठंडी ठंडी हवा कहां से आ रही है तभी वह वहां खड़े एक आदमी से पूछता है तो वह आदमी कहता है कि यह ऐसी ढाबा है यहां ढाबे में खाना खाते वक्त ऐसी शुरू होती है जिसकी हमें ठंडी ठंडी हवा आती है।


चंदू कहता है यह ऐसी वाला ढाबा है तो फिर इस ढाबे में बहुत महंगा खाना मिलता होगा यह सुनकर वह आदमी करता है नहीं नहीं यहां बहुत सस्ता खाना मिलता है सिर्फ ₹5 में पेट भरकर खाना मिलता है।


ये सुनकर चंदू सोच में पड़ जाता है की आखिर कोई ac में बैठाकर खाना दे रहा है और वो भी 5 रुपए में, फिर वो सोचता है चलो मुझे भी बहुत भूख लगी है और वो भी खाना खाने के लिए लाइन में लग जाता है।


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अब चंदू का नंबर आ जाता है और वो खाने खाने के लिए टेबल पर बैठ जाता है और फिर एक औरत वहा पर खाना लेकर आती है और कहती है ठंडी ठंडी AC ki हवा में गरम गरम खाना खाओ।

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चंदू बड़े ही मज़े से खाना खाता है और उसे बहुत ही मज़ा आ जाता है। अब चंदू अपने घर जाता है घर जाने के बाद उसके पिता कहेता तुम कहा गए थे चंदू AC waale ढाबे की पूरी बात बताता है ये सुनकर उसके पिता भी चौंक जाते है और कहते है सच में कोई 5 रुपए में खाना कैसे दे सकता है।


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अब चंदू रोजाना वही ढाबे पर खाना खाने के लिए जाता है पर बहुत मजे से पेट भरकर खाना खाकर आता है लेकिन एक बार चंदू जब धागे से खाना खाकर आया और अपने बिस्तर पर सोया तो उसका पेट बहुत तेजी से दिखने लगा इतनी तेजी से दिखने लगा कि उसे अस्पताल जाना पड़ा।


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धीरे-धीरे पूरे गांव के लोगों का पेट दर्द होने लगा और सभी अस्पताल में जाने लगे।

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 डॉक्टर भी यह जानकर हैरान रह गया के सभी का एक साथ इतना पेट दर्द कैसे हो रहा है लोगों के समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।


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एक दिन एक तांत्रिक बाबा उसे गांव में आए और बाबा को गांव के इस समस्या की खबर हुई तो बाबा सारे लोगों को देखने के लिए जा रहे थे कि तभी रास्ते में तांत्रिक बाबा को भूख लगी तो जो उनके साथ थे उन्होंने कहा कि यहां ऐसी ढाबे है वहां जाकर खाना खाते हैं तांत्रिक बाबा भी खाना खाने के लिए ऐसी ढाबे में चले गए।

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और खाना खाने के लिए टेबल पर बैठे तो वही औरत खाना लेकर आई तो तांत्रिक बाबा ने औरत को गौर से देखा तो उन्हें औरत के देश में एक चुड़ैल दिखाई दी वह चुड़ैल बाबा बहुत अच्छे से देख सकते थे यह देखकर बाबा ने ढाबे की एक रोटी उठाई और अपने जेब में रख दी।

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और बताओ गांव में आ गए और गांव के लोगों से कहा कि तुम जी ऐसी धागे का खाना खाते हो दरअसल वह एक चुड़ैल का ढाबा है और वह चुड़ैल ने खाने में कुछ मिलाया है इसकी वजह से वह जादू खाना हो गया है और उसकी जादुई खाने को खाकर सभी के पेट में दर्द है यह सुनकर गांव के लोग कहने वालों के बाबा अब हमें क्या करना होगा।

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बाबा ने कहा मैंने उसे धागे से एक रोटी लाया हूं मैं एक यज्ञ करके वह रोटी उसमें डाल दूंगा जिसकी वजह से उसका ढाबा जल जाएगा ,

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और वह चुड़ैल भी जल जाएगी सारे लोगों ने भी तैयारी की पर बाबा ने यज्ञ में वह रोटी दाल दी जिसकी वजह से ऐसी जल गया और चुड़ैल की जल कर राख हो गई।


दूसरे दिन गांव में बहुत तेजी से बारिश हुई और लोगों की बारिश की समस्या भी खत्म हो गई अब सभी लोग गांव में खुशी-खुशी रहने लगे और उन्हें चुड़ैल से भी छुटकारा मिल गया।




मक्खी बनी चुड़ैल

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नेहा घर से तैयार होकर स्कूल के लिए निकली नेहा एक बहुत ही हो हर लड़की थी और वह अपनी मम्मी का कहना मानती थी एक बार जरूर स्कूल के लिए जा रही थी तभी रास्ते में से बहुत सारे बच्चे दिखे जो बलून खरीद रहे थे नेहा को बैलून बहुत पसंद है इसीलिए उसने भी एक बलून खरीदा।


लेकिन जब नेहा बलून लेकर अपने स्कूल गई तो वहां उसकी टीचर ने नेहा को बहुत डांटा और कहा कि तुम स्कूल में बैलून लेकर नहीं आ सकती इसीलिए नेहा ने वह बलून स्कूल के बाहर ही छोड़ दिया।


लेकिन नेहा का दिल दिन भर इस बलून में लग रहा हूं यही सोचते रही कि उसका बलून कहीं कोई लेकर तो नहीं जाएगा कहीं वह बलून उड़ तो नहीं जाएगा लेकिन जब स्कूल की छुट्टी हुई तो नेहा अपना बैलून लेने के लिए वहां पहुंची जहां उसने वहां बलून रखा था।


बलून नेहा को वहां नहीं दिखा इस पर नेहा बहुत रोई जोर-जोर से हुई और रोटी-रोटी अपने घर चली गई और घर जाकर अपने मम्मी से कहा कि मैं सुबह एक बलून खरीदा था लेकिन वह बलून मुझे वहां नहीं मिला क्योंकि टीचर ने मुझे बलून बाहर रखने के लिए कहा था।


नेहा की मम्मी ने कहा तुम एक बलून की वजह से क्यों रो रही हो मैं तुम्हें और भी कई सारे बलून और रंग-बिरंगे बलून लाकर दूंगी यह सुंदर नेहा बहुत खुश हो गई और अपनी मम्मी से कहा कि आप मुझे कब बलून लाकर दोगे तभी नेहा की मम्मी ने कहा मैं तुम्हें कल सुबह बाजार से जाकर बहुत सारे रंग-बिरंगे बलून लाकर दूंगी।


नेहा ने अब खुशी-खुशी खाना खाया और सो गई और सुबह का इंतजार करने लगी। अब सुबह हुई और नेहा बलून के इंतजार में बैठ गई तभी नेहा की मम्मी ने कहा कि तुम स्कूल चले जाओ स्कूल से आए बाद तुम्हें घर में बलून जरूर दिखाई देंगे।


अब नेहा तैयार होकर स्कूल चली गई और जब वह स्कूल से वापस लौटी तो उसे घर पर बहुत सारे बलून दिखाई दिए नीले पीले हरे सफेद यह देखकर नेहा बहुत खुश हो गई और जोर-जोर से चिल्लाने लगी और कहने लगी मेरे पास बहुत बलून है मेरे पास बहुत बलून है।


तभी उनमें से एक बलून कोटा और उसे बलून में से एक मक्खी निकली उसे मक्खी को देखकर नेहा कहने लगी अरे यह इतनी सी मस्ती बलून में कैसे गई और यही कहना था कि मक्खी झट से मर गई मक्खी को माता देख नेहा बहुत रोने लगी और अपने मम्मी से कहने लगी मेरी प्यारी मक्खी मार गई है यह इस बलून में से निकली है तभी नेहा की मम्मी ने कहा तुम इसे पानी पिलाओ शायद ये जिंदा हो जाए अगर बेहोश ही हुई होगी तो।


नेहा ने जैसी ही मक्खी को पानी पिलाया वह मक्खी जीवित हो गई और उड़ने लगी यह देखकर नेहा बहुत हैरान हो गई और उसे अपने मनपसंद मस्ती बना ली वह मक्खी रोजाना नेहा के साथ इसकी स्कूल जाती थी और उसके साथ ही स्कूल से वापस आती थी लेकिन एक लड़का जब नेहा खेल रही थी तभी उसके मम्मी ने झाड़ू मार और झाड़ू की वजह से मक्खी मर गई।


नेहा को यह देखकर बहुत दुख हुआ क्योंकि वह मक्खी उसकी बहुत अच्छी दोस्त बन गई थी और वो उसके साथ बहुत घुल मिल गई थी।


नेहा ने दो दिन तक खूब रोया लेकिन जब अगले दिन उसकी आंख खुली तो वो।क्या देखती है की नेहा की वही मक्खी उसके सामने उड़ रही है और वो पहले से काफी बड़ी भी हो गई थी लेकिन अब वो भूत बन गई थी।


भूत मक्खी को देख कर नेहा बहुत डर जाती है लेकिन नेहा को देखकर मक्खी करती है कि मैं तुम्हारी ही मक्खी हूं लेकिन मैं मरने के बाद अब बहुत बन गई हूं और मैं भूत बन गई हूं लेकिन तुम मुझसे डरो नहीं मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी नेहा तो बोलती हुई मक्खी को देखकर दंग रह गई और कहने लगी कि सच में तुम मेरी ही प्यारी मक्खी हो।


यह सुनकर मक्खी रहती है हम मैं तुम्हारी ही मक्खी हूं और फिर वह भूत मक्खी नेहा के साथ रहने लगी और उसी के साथ खेलने लगी और उसी के साथ स्कूल जाने लगी और मक्खी और नेहा का साथ और बना रहा और उन दोनों की अच्छे से दोस्ती भी हो गई अब नेहा को बहुत खुशी थी की भूत मक्खी उसके साथ है उसकी  बहुत अच्छी दोस्त भी है।


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