आज हम आपके लिए लाये है हिंदी कहानी मजेदार क्यूंकी ऐसी ही छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां या छोटे बच्चों की कहानियां पढ्न बच्चो को अच्छा लगता है इस पोस्ट मे हमने छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां लायी है ताकि आप लोगो का मनोरंजन हो सके तो चलिए शुरू करते है छोटे बच्चों की कहानियां
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1)बंदर की अक्लमंदी
शहर के बहुत दूर एक छोटा सा गांव था। उस गांव में बहुत सारी बकरियां बकरियां और गाए थी। उस गांव के जंगल में एक शेर रहता था जो रोजाना वहां आकर गांव वालों की बकरी और मुर्गियों को खा जाता था।
गांव वालों में से तंग आकर शेर को पकड़ने का इरादा किया और जहां से शेर आता था उसके रास्ते में एक पिंजरा रख दिया।
रात को जब शेर गांव की तरफ बढ़ने लगा तो अंधेरे में सिर्फ मेरा दिखाई नहीं दिया और वह जाकर पिंजरे में फस गया।
उसने वहां बहुत चिल्लाया लेकिन उसकी आवाज सुनने वाला वहां पर कोई मौजूद नहीं था सुबह हुई सुबह एक ब्राह्मण वहां से गुजरने लगा तो उसे शेर दिखाई दिया शेर ने ब्राह्मण से कहा कि मैं यहां फस गया हूं प्लीज मुझे यहां से बचा लीजिए ब्राह्मण को बेचारे शेर पर दया आ गई और उसने पिंजरा खोल कर शेर को बाहर निकाल दिया।
जैसे ही शेर पिंजरे से बाहर निकला उसने भ्रमण पर झपट्टा मारने की कोशिश की और इतने में ब्राह्मण झाड़ पर चढ़ गया। शेर झाड़ के नीचे बैठ गया ताकि ब्राह्मण विचित्र और गुस्से साले यह सब बंदर एक झाड़ पर बैठकर देख रहा था बंदर ने ब्राह्मण से कहा भाई क्या हुआ।
ब्राह्मण ने कहा कि मैंने शेर की जान छिड़ गया और उसे पिंजरे से बाहर निकाला है लेकिन अब यह मुझे भी खाना चाहता है यह सुनकर बंदर कहने लगा कि इतना बड़ा शेर इतना ताकतवर शेर इस पिंजरे में कैसे आ सकता है।
ब्राह्मण कहता है हां मेरे सामने यह पिंजरे में था इस पर बंदर कहता है कि मैं तो यह मान ही नहीं सकता इतना बड़ा शेर के पिंजरे में जा सकता है और इतनी देर तक रह सकता है यह सुनकर शेर ने कहा हां मैं इस पिंजरे में था यू सुनकर बंदर कहता है कि नहीं यह तो मैं मान ही नहीं सकता।
अब शेर के सब्र का बांध टूट गया और उसने सोचा कि ऐसा कैसा मैं नहीं जा सकता यह देखो मैं दोबारा तुम्हें जाकर बदला तो हूं और जैसे ही दोबारा शेर पिंजरे के अंदर गया बंदर ने झट से झाड़ पर से छलांग लगाई और पिंजरे का गेट बंद कर दिया और भ्रमण से कहा जाओ जल्दी अपनी जान बचाकर भागो।
2)पपीते का पेड़ और भालू
एक घने जंगल में बहुत बड़ा तालाब था उस तालाब का पानी बहुत मीठा था और गर्मी में भी वह पानी खत्म नहीं होता था इसलिए जंगल के सारे जानवर वह मीठा मीठा और ठंडा ठंडा पानी पीने आया करते थे।
उस तालाब के किनारे से एक बहुत बड़ा पपीते का झाड़ था उस झाड़ पर बहुत ही पीले पीले और स्वादिष्ट पपीते लगे हुए थे लेकिन वह पपीते का झाड़ बहुत ही लंबा था जिसकी वजह से उससे ज्यादा जानवर तोड़ नहीं पाते थे और लबालब पपीते उस झाड़ पर लगे हुए थे।
एक बार एक भालू उस तालाब पर पानी पीने के लिए आया और वहां पपीते के ठंडी छांव में खेलने लगा तो अचानक वहां पर पानी में एक बड़ा पका हुआ पपीता गिरा और धड़ाम से आवाज आई भालू धड़ाम आवाज सुनकर डर गया और भागने लगा।
भागते भागते उसे एक खरगोश मिला खरगोश ने पूछा कि क्या हुआ भाई भालू ने कहा भागो धड़ाम आ रहा है यह सुनकर खरोच भी उसके साथ भागने लगा आगे चलकर उसे एक हाथी मेरा हाथी ने कहा क्यों भाग रहे हो तो भालू ने कहा भागो धड़ाम आ रहा है भागते भागते हाथी को एक लोमड़ी मिली लोमड़ी ने कहा क्यों भाग रहे हो हाथी ने कहा भागो धड़ाम आ रहा है।
लोमड़ी भी जोर से भागने लगी भागते भागते उसे एक शेर मिला शेर ने कहा क्या हुआ मम्मी ने कहा भागो धड़ा मारा है शेर ने कहा धड़ाम मैं इतना ताकतवर हूं मेरे पास इतने ताकतवर पंजे है मैं धड़ाम से नहीं डरता बताओ धड़ाम कहां है दम निकलती है मुझे नहीं पता हाथी से पूछो।
शेर हाथी से पूछता है हाथी कहते हैं मुझे नहीं पता तुम रुक उससे पूछो खरगोश कहता है मुझे नहीं पता तुम भालू से पूछो मुझे भी उसी बताया है।
शेर भालू के पास जाता है भालू कहता है मैं तालाब के पास खेल रहा था मुझे वहां पर धड़ाम करके आवाज सुनाई दी शेयर कहता है मुझे वहां पर ले चलो। भालू और सारे जानवर शेर के साथ तालाब पर पहुंचते हैं और वहां पहुंचते ही एक और पपीता धड़ाम से तालाब में गिर जाता है शेर कहता है अरे यह तो पपीते के गिरने की आवाज है जो धड़ाम आ रही है।
भालू कहते हैं हां आवाज होगी जिसे सुनकर मैं डर गया।
कहानी से मिलने वाली सीख : हमें किसी भी की भी सुनी सुनाई बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए जब तक के हम उस बात की अच्छी तरह छानबीन ना कर ले।
3)सिक्कों की थैली
एक बहुत ही मालदार सेठ था उसके पास कई सारी दौलत थी लेकिन वह बहुत कंजूस था उसे सारे गांव में लोग महा कंजूस के नाम से जानते थे उसके पास इतने पैसे होने के बावजूद भी वह गरीबों की तरह रहता था और अपने बीवी बच्चों पर भी ज्यादा खर्च नहीं करता था और अपनी बीवी बच्चों को नए नए कपड़े और अच्छे खाने के लिए तरसा आता था।
और उसी के घर के बगल में ही एक कल्लू मल रहता था कल्लू मल एक मजदूर था लेकिन वह एकदम बादशाहो जैसी जिंदगी जीता था जितने भी उसके पास पैसे आते थे वह अपने लिए और अपने बच्चों के लिए नए नए कपड़े सिलवा तथा और रोज उसके घर पर हलवा पूरी और नए नए पकवान बनते थे और वह पूरे पत्नी कमाई अपने बीवी बच्चे और खुद के खर्चे पर उड़ा देता था।
आमिर सेठ के बच्चे उन्हें देखकर लाल जाते थे और यह सोचते थे कि यह गरीब होने के बावजूद भी बादशाहों की जिंदगी जीता है लेकिन हमारे बाप के पास इतने पैसे होने के बावजूद भी हम गरीबी की जिंदगी जीते हैं।
1 दिन सेठ का बड़ा बेटा इसमें अपने बाप के पास गया और कहा कि हमारे पास इतने पैसे होने के बावजूद भी हम गरीबों की तरह जिंदगी जीते हैं और वह देखो कल्लू मल इतना गरीब होने के बावजूद भी नए नए कपड़े पहनता है और अच्छे अच्छे खाने खाता है यह सुनकर सेट ने कहा कि ठीक है आज रात तुम मेरे तिजोरी से 99 सिक्कों की एक थैली चुपके से उसके घर में डाल कर आ जाना उसका बेटा ऐसे ही करता है और वह थैली जाकर कल्लू मल के यहां डालकर आता है।
सुबह होती है कल्लू मल देता है कि उसके घर में 99 सोने के सिक्को की थैली पड़ी है। सिक्के गिनने के बाद वह कहता है कि हे भगवान अगर देना ही था तो पूरे 100 सिक्के देता 99 क्यों दिए।
अब वह सोचता है क्यों ना मैं इनको 100 सिक्कों में बदल दो और इसमें एक सिक्का और डाल दो और पूरे 100 सिक्के होने के लिए वह दिन भर मेहनत करता है और उत्सव सिक्के कर लेता है लेकिन वह घर में पकवान नहीं बनाता।
फिर वह सोचता है क्यों ना मैं इसे 101 सिक्के कर लो फिर ऐसे ही चलता है 101 सिक्के 102 सिक्के 110 के 200 सिक्के, लेकिन इस के चक्कर में अब वो अपने परिवार पर खर्च करना बंद कर देता है और उन्हें नए कपड़े भी लाकर नही देता और अच्छा अच्छा खाना भी नहीं बनाता और खुद गरीबों की तरह रहता है।
कहानी से मिलने वाली सीख:
इंसान के पास जितना ज्यादा दौलत आती है वह उतनी ही ज्यादा बटोरने की कोशिश करता है बल्कि इंसान को ऐसा नहीं करना चाहिए।
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