आज की इस पोस्ट मे आप छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां पढ़ने वाले है क्यूंकी कहानियां अच्छी अच्छी पढ्न बच्चो को बहुत अच्छा लगता है और साथ मे हमने short story in hindi with moral भी लाये है तो इस पोस्ट मे एक गरीब आदमी की कहानियां अच्छी अच्छी है जो एक लकड़ी का ऑटो रिक्शा बनाता है इस कहानी को पढ़कर कर आपको बहुत मज़ा आने वाला है तो चलिये शुरू करते है short story in hindi with moral
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लकड़ी का ऑटो रिक्शा ( short story in hindi with moral )
माधव एक छोटे से गांव में रहता था माधव की एक बीवी और एक बेटी थी लेकिन माधव के पास कोई नौकरी नही थी। एक दिन सुबह माधव की बीवी ने माधव से कहा की ऐसा कब तक चलेगा अब हमारी बेटी बड़ी हो गई है तुम्हे कोई न कोई काम धंधा तो देखना ही पड़ेगा।
इस पर माधव बड़े ही गुस्से से कहेता है की" क्या मुझे घर पर रहने का शौक है अब मुझे कही काम ही नहीं मिल रहा है तो मैं क्या करू।
दूसरे दिन माधव काम ढूंढने के लिए बाहर जाता है पूरा दिन काम ढूंढने के बाद बेचारे माधव को कोई भी काम नहीं मिलता फिर वो उदास हो कर वापस अपने घर लौट जाता है।
माधव की बेटी उससे खेती है " पापा क्या तुम्हे आज भी कोई काम भाई मिला " इस पर माधव कहेता है हा बेटी मुझे आज भी कोई काम नहीं मिला ।
इस पर उसकी बेटी कहती है " क्यों ना तुम हमारे पास के वन विभाग में नौकरी मांगने जाओ शायद वहा उन्हें किसी काम के लिए आदमी की ज़रूरत हो इस पर माधव अपनी बेटी से कहेता है ठीक है मैं कल वन विभाग में काम मांगने के लिए जाऊंगा। ( आप पढ़ रहे है कहानियां अच्छी अच्छी )
दूसरे दिन माधव वन विभाग में नौकरी मांगने के लिए जाता है वहा वन विभाग में ऑफिसर माधव से कहेता है की तुम कौन सा काम जानते हो इस पर माधव कहेता है की मैं बड़ाही का काम जानता हु और लकड़ी से कोई भी चीज़ बना सकता हु।
ये सुन कर माधव को काम मिल जाता है और वो सारा दिन वन विभाग में काम करता है और शाम में कुछ लकड़ी के टुकड़े बच जाते है वो वहा के ऑफिसर से पूछता है की वो इन लकड़ी के टुकड़े का क्या करे।
इस पर ऑफिसर कहेता है की हमे इन लकड़ी के टुकड़ों की कोई ज़रूरत नही तुम चाहो तो यह लकड़ी के टुकड़े अपने घर ले जा सकते हो।
शाम को माधव घर जाते जाते रोजाना वह बची हुई लकड़ी के टुकड़े अपने साथ घर ले जाता और अपने घर पर जमा करता था रोजाना में लकड़ी के टुकड़े अपने घर ले जाया करता था लेकिन ऐसा करता देख 1 दिन उसे पुलिस ऑफिसर ने भी किया और उससे कहा कि तुम वन विभाग की लकड़ियां चुरा रहे हो।
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पर माधव ने कहा कि नहीं नहीं फिर तो लकड़ी के टुकड़े है यह तो मुझे बड़े अक्षर में ही ले जाने के लिए कहा था लेकिन उस पुलिस ऑफिसर ने माधव की एक भी बात नहीं मानी तो माधव को नौकरी से निकाल दिया माधव बेचारा बहुत परेशान था जो कुछ पैसे उसने कमाए थे वह ले जाकर उसकी बेटी को देता है और कहता है।
यह लो बेटी मैंने इतने ही पैसे कमाए हैं और मुझे नौकरी से ही निकाल दिया गया था इस पर उसकी बेटी कहती है मुझे तो ट्यूशन क्लास के लिए पैसे चाहिए थे अब मैं क्या करूं इस पर माधव होता है फिर ठीक है तुम यह पैसों से अपनी ट्यूशन पूरी कर लो।
1 दिन माधव घर पर बैठकर सोचते हैं क्यों ना जो घर पर रख लिया है उससे कुछ किया जाए तो उसने एक हाथ गाड़ी बनाई पर हाथ गाड़ी पर वह सवारियों को ले जाता और पैसे कमाता था लेकिन वह हाथ गाड़ी पैदल ही ले जाता था जिसकी वजह से लोगों को शहर पहुंचने में बहुत टाइम लग जाता था।
थोड़ी दिन के बाद माधव को सांवरिया कम मिलने लगी क्योंकि वह पैदल ही गाड़ी चलाता था और लोग उसके गाड़ी में हम बैठे लगे इसी बात पर टेंशन में वह एक पहाड़ी पर खड़ा था कि उसे अचानक एक वहां एक्सीडेंट हुई कार दिखाई दी वहां जाकर उसने देखा तो उस गाड़ी का इंजन अच्छा था उसने सोचा क्यों ना इस उनको मैं अपने हाथ गाड़ी में लगा दू।
फिर उसने वह इंजन को घर लाया और वह इंजन आदमी को लगा दिया और उसका थोड़ा सा नक्शा बदल दिया तो उसमें लकड़ी का एक ऑटोरिक्शा ही बना दिया उस लकड़ी पर ऑटो रिक्शा में इंजन बैठने की वजह से भी बहुत तेज चलता था जिसकी वजह से वह सवारियों को 2 घंटे में ही शहर पहुंचादिया करता था अब बहुत सी सवारिया माधव के लकड़ी के ऑटो में बैठने लगी। ( आप पढ़ रहे है कहानियां अच्छी अच्छी )
दूसरे ऑटो वालों ने माधव के खिलाफ कंप्लेंट लिखा कि पुलिस स्टेशन में है कि इसमें वह इंजन कहीं से चुराया है यह बात सुनकर पुलिस इंस्पेक्टर ने तुरंत हुआ इंजन हाथों से निकलवा दिया और माधव को बेचारे को बिना इंजन के ऑटो चलाना बहुत कठिन हो गया था।
उसके बेटी की नौकरी लग जाती है पर वह जॉब करने लगती है एक महीना गुजर जाते हो और उसे पहली तनख्वाह मिलती है और कल भी पंखा से वह माधव के लिए एक नया इंजन खरीदती है और उसे लाकर दे देती है।
और माधव से कहती है कि पापा जी एक बस रेसिंग कार का इंजन है इससे आपका आप तो हवा से बातें करेंगे फिर माधव वह इंजन अपने हाथों में उठा लेता है और 1 घंटे में ही सवारियों को शहर छोड़ देता है इसकी वजह से माधव का धंधा बढ़ जाते हैं और माधव खुशी खुशी जिंदगी जीता है।
चालाक बंदर और गधा
एक समय के बाद, एक छोटे से गांव में एक गरीब परिवार रहता था। इस परिवार में दो बहनें थीं - राधा और रिया। राधा बड़ी थी और बहुत मेहनती, जबकि रिया छोटी थी और काम न करने के कारण बहुत आलसी थी।
एक दिन, राधा जंगल में घूमने गई। वह जंगल में बहुत देर तक घूमती रही और बहुत खुश थी। वह जंगल के एक छोटे से झरने के पास पहुंची और वहां उसने एक जादुई परी को देखा। परी बहुत सुंदर थी और उसके पास एक छोटी सी झोली थी जिसमें सिक्के और चमकीली गहने थे।
राधा को जादुई परी ने देख लिया और उसने राधा से कहा, "ओह! कितनी खुशनसीब हो तुम, मैं तुम्हारे मन की इच्छा पूरी करूँगी। क्या तुम्हें भी एक जादुई झोली चाहिए?"
राधा ने खुशी से हाँ कह दी। परी ने राधा को एक झोली दी और कहा, "जब भी तुम चाहो, इस झोली में से कोई भी वस्तु निकल सकती हो। यह झोली तुम्हारे लिए संपूर्ण समृद्धि लाएगी।"
राधा बहुत खुश थी और वह झोली लेकर अपने घर लौटी। उसने अपनी बहन रिया को झोली के बारे में बताया। रिया भी बहुत खुश हुई और उसने राधा से कहा, "तुम मेरे लिए कुछ धन और गहने निकालने के लिए उस झोली का उपयोग कर सकती हो?"
राधा ने सोचा कि उसने भी अपने बहन की मदद करनी चाहिए। इसलिए, उसने झोली से कुछ सिक्के और गहने निकाल दिए और रिया को दे दिए।
परन्तु रिया ने अपने अंदर के आलस्य को नहीं समझा और उसे वह झोली वापस कर दी। उसका कहना था, "मुझे इतने ख़र्चे करने की ज़रूरत नहीं है, राधा। मैं तो अपने आलस्य में रहना पसंद करती हूँ।"
राधा बहुत दुखी हुई और वह झोली को वापस परी के पास ले जाकर बोली, "आपकी झोली मेरे लिए बहुत संपदा लाने वाली थी, पर देखो आपकी झोली का उपयोग आपने तो संपदा के लिए किया ही नहीं। मैं आलसी रिया को देखकर अब आपसे कुछ नहीं चाहती।"
परी ने राधा की बात से सिख लिया और उसने राधा को धन, संपदा और खुशियाँ दी। राधा और उसकी बहन रिया दोनों खुश रहने लगीं और उनके घर में खुशियों का वातावरण छाया। राधा और रिया ने साथ मिलकर भगवान का धन्यवाद किया कि उन्होंने उन्हें एक बड़ी सीख दी - अपने आलस्य को छोड़कर मेहनत करना और दूसरों की मदद करना अपार समृद्धि लाता है।
भोला हाथी और चीटी
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एक जंगल में भोला हाथी रहता था। वह बड़ा और मस्ताना हाथी था और सभी जंगल के जानवर उसे प्यार से भोला हाथी कहते थे। वह अपने दोस्तों के साथ बड़ी खुशियों से रहता था।
एक दिन, भोला हाथी जंगल में घूम रहा था और अचानक उसकी नजर एक चालाक चींटी पर पड़ी। चींटी बड़ी मस्तानी थी और वह भोले हाथी के पास आकर ख़ुशी से बोली, "हाथी राजा, क्या आप मुझे एक सवारी पर ले जाएंगे?"
भोला हाथी ने प्यार से चींटी की बात सुनी और उसे सवारी पर बिठा लिया। चींटी बड़ी ख़ुश थी और वह भोले हाथी को बहुत सारे जंगल का दिखाया। उसने उसे वहां-वहां घुमाया और जंगल की खूबसूरती का आनंद उठाया।
धीरे-धीरे चींटी ने हाथी से कहा, "हाथी राजा, आपने मुझे बड़ा आनंद दिया। अब मुझे अपने घर वापस ले जाइए।"
भोला हाथी ने चींटी की बात मान ली और उसे अपने घर वापस ले जाने लगा। चींटी को ख़ुशी थी कि उसने भोले हाथी के साथ एक अच्छा समय बिताया और उसकी मदद की।code: ola pasword 2555
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों की मदद करने में ख़ुशी मिलती है और विश्वासघाती नहीं होना चाहिए। भोला हाथी और चालाक चींटी की मित्रता हमें सच्ची दोस्ती की मिसाल देती है।
बुद्धिमान शेर की कहानी
कहानियां अच्छी अच्छी
एक जंगल में एक बुद्धिमान शेर रहता था। वह शेर बहुत विद्वान और समझदार था। जंगल के सभी जानवर उसकी बुद्धिमता को सराहते थे और उससे सलाह लेने के लिए उसके पास आते थे। वह हमेशा जानवरों की मदद करता और उन्हें समस्याओं का समाधान ढूंढने में मदद करता।
एक दिन, जंगल के एक भाग में एक गुरुकुल खुला। गुरुकुल में विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती थी और उन्हें विभिन्न विषयों में पढ़ाया जाता था। बुद्धिमान शेर भी इस गुरुकुल में गया और वहां अपने बुद्धिमानी का प्रदर्शन करने लगा।
एक दिन, गुरुकुल के अध्यापक ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को एक उत्तरदायी प्रश्न पूछा और जिस विद्यार्थी को सही उत्तर देता, उसे एक खास पुरस्कार देने का निर्णय किया।
सभी विद्यार्थी अपनी बुद्धिमानी से उत्तर देने की कोशिश करने लगे, लेकिन किसी को भी सही उत्तर नहीं मिल रहा था। फिर बारी बुद्धिमान शेर की आई।
अध्यापक ने एक चुटकुला सुनाया और पूछा, "कौन सा जानवर ऐसा है जिसके पास सबसे ज्यादा बुद्धिमानी है?"
बुद्धिमान शेर ने बिना सोचे ही उत्तर दिया, "सिर्फ और सिर्फ मनुष्य ही ऐसा जानवर है जिसके पास सबसे ज्यादा बुद्धिमानी है।"
उसके उत्तर ने सभी को चकित कर दिया। अध्यापक ने ख़ुशी से बुद्धिमान शेर को पुरस्कार दिया। शेर की बुद्धिमानी और ज्ञान ने सभी को प्रभावित किया और उन्हें यह सिखाया कि अच्छे विचार करने वाले और ज्ञानी बनने का महत्व है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अध्ययन का महत्व समझना चाहिए और हमेशा ज्ञान और बुद्धिमानी को प्रशंसा करनी चाहिए। बुद्धिमान शेर की खोज ने हमें यह दिखाया कि ज्ञान का मूल्य अनमोल है और हमें हमेशा अध्ययन के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
समझदार बगुला के बच्चे
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एक जंगल में एक समझदार बगुला रहता था। वह बगुला बहुत ही चतुर और समझदार था। वह हमेशा अपने विचारों को समझता था और सभी जानवरों के समस्याओं का समाधान करता था। उसके समझदारी के कारण सभी जंगल के जानवर उसे राजा का सम्मान करते थे।
एक दिन, बगुला के पास एक बुजुर्ग बगुला आया। बुजुर्ग बगुला को देखकर वह बहुत खुश हुआ और उसका सम्मान किया। बुजुर्ग बगुला ने बताया कि वह अपने बच्चों के साथ एक और जंगल में रहता था, जहां वह बहुत खुश रहता था। लेकिन वहां एक बड़ा समस्या आ गई थी। जंगल में एक भयानक शेर रहता था जो जंगल के सभी जानवरों को परेशान कर रहा था।
बुजुर्ग बगुला ने कहा, "मेरे पास समाधान नहीं है, क्योंकि मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ। लेकिन मेरे बच्चे बहुत ही समझदार हैं और वे आपकी मदद कर सकते हैं।"
बगुला ने बुजुर्ग बगुला के बच्चों को बुलाया और उन्हें समस्या के बारे में बताया। बच्चे ने समस्या को समझा और सोचा कि कैसे उस भयानक शेर का सामना किया जा सकता है।
बच्चों ने एक योजना बनाई और सभी जानवरों को एकत्र किया। वे सभी मिलकर मिले और साथ में काम किया। बगुला ने भयानक शेर को दिखाया और सभी ने मिलकर उसे भगाने की कोशिश की।
बच्चों की समझदारी और समर्थन से, सभी जानवर मिलकर भयानक शेर को भगा दिया। जंगल में एक बड़ी खुशियों का माहौल था। बुजुर्ग बगुला बच्चों को धन्यवाद देने के लिए बहुत खुश थे।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि अगर हम एकजुट होकर मिलकर काम करें, तो हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। समझदार बगुला और उसके बच्चे ने भयानक शेर को पराजित किया और सभी जानवरों को सुरक्षित रखा। हमें यह सिख मिलती है कि समझदारी, समर्थन, और साथ मिलकर हम हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं और समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
( आप पढ़ रहे थे कहानियां अच्छी अच्छी )
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