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10+ chuhe ki kahaniyan


आज की इस कहानी मे आप लोगो के लिए हम लाये है chuhe ki kahaniyan क्यूंकी इसी तरह की chuhe ki kahaniyan पढ्न सभी को अच्छा लगता है और खास कर के chuhe ki kahaniyan पढ्न बच्चो को बहुत अच्छा लगता है इस कहानी मे न आप chuhe ki kahaniyan पढ़ने वाले हो बल्कि 2023 की बिलकुल नयी chuhe ki kahaniyan पढ़ने वाले हो 

तो चलिये शुरू करते है 2023 की बिलकुल नईऔर मज़ेदार chuhe ki kahaniyan


 चतुर चूहा 

(chuhe ki kahaniyan )


एक छोटे से गांव में एक बहुत ही चतुर और चालाक चूहा रहता था वो रोजाना खेतों में जाकर अपने मनपसंद की चीजें खाता और बहुत ही धूम मस्ती मचाया करता था और कभी-कभी तुम्हें दूसरों के घरों में जाकर भी उनके खाने की चीजें खाजा करता था और शाम को अपने घर वापस लौट आता ।

एक बार की बात है जो चूहा अपनी दिन भर की मस्ती मजाक कर कर वापस लौटा तो उसने देखा कि उसके घर में जो भी उसने खाने पीने की चीजें ला कर रखी थी वहां मौजूद नहीं थी शायद उसे किसी ने खा लिया था।


यह देखकर चूहे को बहुत गुस्सा आया और उसने तय कर लिया कि जिसने भी उसके खाने की चीजें चुराई है वह उसे कभी नहीं छोड़ेगा और वह उसकी तलाश में लग गया।


वह सबसे पहले चिड़िया के पास गया और चिड़िया से कहा चिड़िया बहन चिड़िया बहन क्या तुमने किसी ऐसे जानवर को देखा है जिसने मेरे खाने की चीजें चुराई है यह सुनकर चाहिए कहने लगी नहीं मैं तो अपना घोंसला बनाने में व्यस्त थी मैंने ऐसे किसी भी जानवर को नहीं देखा।


इसके बाद चूहा मेंढक के पास गया और मेंढक से कहा तुम तो दिन भर पानी में रहते हो और गुटर गू करते हो क्या तुमने में ऐसे जानवर को देखा है जिसने मेरे खाने की चीजें चुराई है मेंढक ने कहा कौन-कौन से खाने की चीज है चूहे ने कहा मेरी मूंगफली मेरी रोटी और मेरे बहुत से खाने की चीजें उसने चुराई है यह सुनकर मेंढक ने कहा नहीं मैं ऐसे किसी को नहीं जानता।


फिर बेचारा चूहा तोते के पास गया तोते ने कहा कि मैंने इस दिल्ली को यहां से जाती है अभी देखा है और उसके पास बहुत सी ऐसी चीजें दिखाने की शायद उसी ने ही तुम्हारा खाना चुराया है।


यह सुनकर चूहे की सिट्टी पिट्टी गुल हो गई क्यों किया करो बिल्ली के पास अपना खाना बनने गया तो शायद बिल्ली उसे खा ले इसका उपाय निकालने के लिए वह कव्वे के पास जाता है और कोई वैसे कहता है क्या मुझे दिल्ली के पास जाना चाहिए अपना खाना मांगने के लिए।


कौवा बहुत चालाक था कवि ने कहा हां हां बिल्ली के पास जाओ और उसे कहोगे मेरा खाना वापस दो यह सुनकर चूहा डरने लगा चूहे को डरते हैं देकर कव्वे ने कहा चलो मैं तुम्हारे साथ आता हूं और कौवा और शिवा दोनों भी बिजली के पास गए बिल्ली वहां आराम से बैठकर चूहे का खाना खा रही थी मूंगफली रोटी और बहुत सारे चीजें।


लेकिन जैसे ही बिल्ली ने देखा कि कौवा और चूहा उसके पास आए हैं बिल्ली ने झट से झपट मारा यह देखकर कौवा बहुत होशियार था वह उड़ गया और बेचारा शोभा कुछ नहीं कर पाया और बिल्ली का शिकार बन गया और बिल्ली ने चूहे को भी खा लिया।


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों की बातों में नहीं आना चाहिए चूहे ने कौवे की बातों में आकर अपनी जान गवा दी।





छोटे चूहे का रहस्य

(chuhe ki kahaniyan )


 एक गांव में छोटा चूहा रहता था वह चूहा बहुत ही समझदार और बुद्धिमान था सारे गांव के लोग चूहे की बुद्धिमानी को चाहते थे और कहते थे कि यह बहुत बुद्धिमान है।


एक मर्तबा चूहा खेत में बैठकर ताजे ताजे अमरुद खा रहा था अमरुद खाते-खाते उसे वहां एक बड़ा सबूत दिखा उसे लगा इस बॉक्स में कोई खजाना है यह देखकर वह बहुत ही खुश हो गया और उस बॉक्स को लेकर घर आने की सोचा।


लेकिन उसके दिल में यह ख्याल आया कि पहले मैं इस बॉस को खोल कर देखता हूं इसमें क्या है लेकिन बॉक्स में पासवर्ड का लॉक लगा था और पासवर्ड दबाने के बाद लॉक नहीं खुला चूहे ने कहा मैं इतना बुद्धिमान हूं मुझे तो इस बॉक्स का पासवर्ड मालूम ही होना चाहिए और यह कहकर वह पासवर्ड खोलने लगा लेकिन उससे पासवर्ड नहीं खुला।


वहीं से एक बूढ़ा चूहा गुजरने लगा उस बूढ़े चूहे ने छोटे चूहे से कहा क्या हो गया तुम क्या कर रहे हो छोटी छुए ने कहा देखो ना मैं इतना बुद्धिमान हूं फिर भी मुझे इस बॉक्स के पासवर्ड नहीं पता है पता नहीं इसका पासवर्ड क्या है यह सुनकर बुरा चूहा कहने लगा।


इस बॉस के पासवर्ड तो उसको ही पता होगा जिसने यह पासवर्ड सेट कर आऊंगा और यह तुम्हारा सोचना बिल्कुल गलत है कि तुम बुद्धिमान हो तो तुम्हें सब कुछ बताऊंगा ऐसा नहीं होता है हर किसी को हर चीज मालूम नहीं होती है हमें इसके लिए एक दूसरे का सहारा लेना ही पड़ता है।


इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपनी सारी समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए चालाकी से नहीं, बल्कि सही ज्ञान और समझदारी से करना चाहिए। हमें खुद को अपनी बुद्धिमानी से सबकुछ समझने की कोशिश करनी चाहिए और अगर कभी भी हम किसी भी मुश्किल में फंस जाएं, तो हमें दुसरों की मदद लेनी चाहिए। इससे हमारी समस्याएँ आसानी से हल हो सकती हैं।



चूहे की चालाकी

(chuhe ki kahaniyan )


जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे उनमें एक चूहा भी था चूहा बहुत चतुर और चालाक था और वह अपने आप को बहुत चालाक समझता था और कभी भी अपने आप को दूसरों से बढ़ चढ़कर मानता था और इसके देंगे सारे जंगल में मारता था।


ठंड से पहले सारे जानवर अपना खाना जमा करते थे और उसे एक जगह जमा कर कर रखते थे और ठंड के मौसम में उन्हें बाहर जाना ना पड़े इसलिए थोड़ा-थोड़ा वह कहते थे लेकिन चूहा बहुत चतुर और चालक था वह अपनी चालाकी से बाकी जानवरों का खाना चुराता था।


जब बाकी जानवर अपना खाना इकट्ठा करने के लिए जंगल में घूमते थे तब चूहा आराम से सोता था और जब बाकी जानवर इकट्ठा कर लेते थे अपना खाने पीने का सामान और वापस इकट्ठा करने जाते थे सामान तो चूहा उनके बिल में जाता और उनका खाना चुरा लेता था और मस्त खाता पीता और सो जाता था।


बाकी जानवर मेहनत से अपना सामान इकट्ठा करते खाने का और चूहा उसे चुरा लेता था यह बात धीरे-धीरे पूरे जंगल में पहले गई अब पूरे जानवरों को चूहे की इस चतुराई और चलेगी का पता चल चुका था।


एक मर्तबा लोमड़ी ने मूंगफली जमा की और अपने बिल में रह कर रख दी और उसे पता था कि चूहा वहां आने वाला है उसने एक लड़की पीछे से देखना शुरू किया तो सच में वह आंसू आया और लोमड़ी की मूंगफली चुराने लगा इतने में लोमड़ी आई और झट से चूहे को झपट ली और चूहे को मार डाला चूहा अपनी चतुराई और चालाकी की वजह से मारा गया।


इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि चालाकी से काम नहीं चलता, और हमें चालाकी के बजाए ईमानदारी और सच्चाई का मार्ग अपनाना चाहिए। चालाकी से हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते, बल्कि ईमानदारी और सच्चाई से हमें सफलता मिलती है।



चूहे का सफर

(chuhe ki kahaniyan )


एक बार की बात है एक चूहा अपने जंगल से निकला और उसने सुन रखा था कि जंगल से बहुत दूर एक बहुत अच्छी जगह है जहां रहने खाने के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था है लेकिन अभी चूहा जा रहा था वह जंगल में खाने पीने की चीजें बहुत कम थी जिसकी वजह से चूहे को बहुत ही तकलीफ का सामना करना पड़ रहा था।


लेकिन इससे छुटकारा पाने के लिए चूहे ने सोचा कि वह कहीं और जाता है जहां खाने पीने की चीज से अच्छी है तो और आसानी से मिल जाती है तो उसे जिंदगी जीने में बहुत आसानी होगी।



लेकिन चूहे ने यह भी सुना था कि वह जगह बहुत दूर है और वहां जाने में बहुत वक्त लगता है लेकिन चूहे ने सोचा कि अगर एक बार मैं वहां पहुंच गया तो मुझे बहुत सारी खाने की चीजें मिल जाएंगी और मैं आसानी से रह सकूंगा।


यह सोचकर चूहा निकल पड़ा लेकिन चलते-चलते रास्ते में उसे एक कव्वा मिला काव्वे ने कहा चूहे भाई छुए भाई कहां जा रहे हो चूहे ने कौवे से कहा मैं एक ऐसी जगह जा रहा हूं जहां बहुत सारी चीजें मिलती है खाने के लिए और ज्यादा ढूंढना भी नहीं पड़ता लेकिन इस पर कव्वे ने कहा वह तो बहुत दूर है और सुना है रास्ते में शेर भी पड़ता है और वहां जाने वाले लोगों को खा लेता है।


यह सुनकर चूहे ने कहा ठीक है ठीक है मैं भी देख लूंगा मैंने वैसे भी बहुत दिन से शेर नहीं देखा यह सुनकर का हुआ वहां से चला जाता है और चूहा भी अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता जाता है लेकिन रास्ते में उसे एक चालाक लोमड़ी मिलती है लोमड़ी चूहे से कहती है कि तुम कहां जा रहे हो चूहा कहता है मैं ऐसी जगह जा रहा हूं जहां बहुत सारी चीजें खाने को मिलती है यह सुनकर लोग नहीं करती है लेकिन वह जगह तो बहुत दूर है तो वहां कैसे जा पाओगे चूहे ने कहा अपने पैरों से और यह कहकर चूहा वहां से चला जाता है।


जैसी ही चूहा और आगे बढ़ता है सच में उसे एक शेर दिखाई देता है जो बहुत ही खूंखार था और जोर-जोर से दहाड़ रहा था जैसे ही चूहा शेर के सामने गया शेर ने कहा तुम कहां जा रहे हो चूहे ने कहा मैं ऐसी जगह जा रहा हूं जहां बहुत सारी खान की चीज होती है।


शेरनी की संदेशा कहा अब मैं तुम्हें खा जाऊंगा और जैसे ही शेर ने चूहे पर झपट्टा चूहा जमीन के अंदर एक छोटे से बिल में छुप गया और शेर अंदर नहीं घुस पाया और बाहर ही बैठा रहा थोड़ी देर के बाद फिर वहां से चला गया और चूहा भी बिल से निकलकर अपने रास्ते हो लिया।


आगे चलकर बहुत ही तूफान आता है और चूहा बेचारा इधर-उधर उड़ने लगता है लेकिन वह एक पेड़ को बहुत मजबूत से पकड़ लेता है और वैसे ही पकड़े रहता है थोड़ी देर के बाद तूफान टल जाता है और चूहा अपनी मंजिल की तरफ और आगे बढ़ते जाता है और आखिरकार वह अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है।


अब उस जंगल में उसे बहुत सारी खाने की चीजें मिल जाती है और उसे ज्यादा खोजना नहीं पड़ता और वह अपना बिल भी बना लेता है एक पेड़ के नीचे एक और वह बहुत खुशी-खुशी रहने लगता है।


इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत से काम करना चाहिए और हार न मानने की क्षमता रखनी चाहिए। चुनौतियों का सामना करने में हारने से बेहतर है कि हम अपने लक्ष्य की तलाश करते रहें और अपने उत्साह को सात समुन्दर पार करें।



चूहे की मज़ेदार कहानी

(chuhe ki kahaniyan )


एक बहुत पुराने समय की बात है एक छोटा सा जंगल था जिसमें बहुत सारे जानवर रहते थे जैसे की हाथी घोड़ा मिट्ठू ,तोता, हिरण और एक चूहा भी रहता था।


और उसे जंगल में एक बहुत बड़ा कुआं था और यह बात मशहूर थी कि उसे कुएं में बहुत सारा खान का समान है जो भी उसे कुएं में जाएगा वह सारा सामान उसी का हो जाएगा।


रोजाना जंगल के सभी जानवर उस कुएं में उतरने की कोशिश करते थे लेकिन वह कुआं बहुत गहरा था और उसमें कोई उत्तर नहीं पता था।


लेकिन फिर भी रोजाना जंगल की सभी जानवर इस कुएं में उतरने की कोशिश करते थे ताकि उन्हें एक साथ बहुत सारा खाना मिल जाए और वह अपनी जिंदगी आसानी से गुजार सके और वह एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते थे।


लेकिन उसी जंगल में बहुत सारे पेड़ भी थे जिस पर बहुत सारे फल लगे होते थे चूहा उन सारे फलों को तोड़कर एक जगह जमा करता था वह उसी के पीछे नहीं जाता था बल्कि जंगल में जितने भी पेड़ थे उन पेड़ों पर से ही थोड़े थोड़े फल तोड़कर अपने बिल में जमा करता था।


ऐसे ही चलता रहा और जंगल के आधे से ज़्यादा जानवर मारे गए क्योंकि वह कुए के अंदर जाने की कोशिश करते थे और पांव फिसल कर अंदर ही गिर जाते थे और मर जाते थे लेकिन चूहा तोड़ थोड़े-थोड़े फल तोड़कर रखता था और वह बहुत सारे फल जमा कर पाया और उसके पास इतने सारे फल खाने की चीजें हो गई कि कुवैत से ज्यादा हो गई।


अब छुआ आसानी से खुशी-खुशी अपनी जिंदगी जीने लगा और थोड़े थोड़े फल दूसरे जानवरों को भी देने लगा।


इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपने छोटे-छोटे सपनों और खुशियों को खोजने में लगना चाहिए और उन्हें पूरा करने में खुशी मिलनी चाहिए। वास्तविकता में खुशियों की खोज करना हमें जीवन में अधिक संतुष्टि और सुख देता है।




चूहे की राजकुमारी

(chuhe ki kahaniyan )


एक छोटे से गांव में एक चूहा रहता था। वह बहुत ही खुशनुमा और मस्तिकरने वाला था। उसके गांव के सभी चूहे उसे देखकर प्रशंसा करते थे। वे उसे "राजकुमार चूहा" कहकर बुलाते थे। राजकुमार चूहा अपने रंगीन और शानदार कपड़ों में बहुत अच्छा दिखता था। वह अपने दोस्तों के साथ खेलता और मस्ती करता।


एक दिन, राजकुमार चूहा गांव के बाहर एक छोटे से झील के पास जा रहा था। उसे झील के पास एक सुंदर सी चूहानी दिखाई दी। वह चूहानी बहुत प्यारी और सुंदर दिखती थी। राजकुमार चूहा ने उससे बात करने का मन बनाया।

राजकुमार चूहा ने चूहानी से पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?"


चूहानी ने प्यार से मुस्कराते हुए कहा, "मेरा नाम राजकुमारी चूहानी है। और तुम्हारा?"


राजकुमार चूहा ने खुशी से बताया, "मेरा नाम राजकुमार चूहा है।"


दोनों चूहे बहुत दिनों तक बातचीत करते रहे। वे दिनभर मिलते और खेलते रहते और एक-दूसरे की मस्ती का हिस्सा बनते गए।


धीरे-धीरे, राजकुमार चूहा राजकुमारी चूहानी में खो गया। उसे चूहानी से एक खास बातचीत करने का मन हुआ। लेकिन उसे डर था कि शायद वह उसे पसंद न करे और वह उससे दूर चली जाए।


एक दिन, राजकुमार चूहा ने अपने दोस्तों से सलाह ली कि वह राजकुमारी चूहानी को प्रपोज़ करे। उसके दोस्तों ने उसे हिम्मत दी और कहा, "जाओ और उसे बताओ कि तुम उससे बहुत प्यार करते हो।"


राजकुमार चूहा ने बड़े धैर्य से राजकुमारी चूहानी के पास जाकर उसे अपने दिल की बात बताई। राजकुमारी चूहानी भी बहुत खुश हुई और बिना सोचे समझे उसे गले लगा लिया।


इस तरह, राजकुमार चूहा और राजकुमारी चूहानी की दिलचस्प कहानी गांव के सभी चूहों के बीच फैल गई। उनकी प्रेम कहानी के बारे में सभी चूहे बहुत चर्चा करने लगे। वे दोनों दिनभर एक-दूसरे के साथ खेलते और मस्ती करते रहे। उनका प्रेम सच्चा और निःस्वार्थ था और उन्हें दोनों को खुश रखने का खास तरीका पता था।


इस तरह, राजकुमार चूहा और राजकुमारी चूहानी की खुशनुमा प्रेम कहानी गांव के हर चूहे को प्रेरित करती रही। उन्होंने सिखाया कि प्रेम में कोई न्याय नहीं होता है, और एक सच्चे दिल से किए गए प्रेम की कभी हा

र नहीं होती। राजकुमार चूहा और राजकुमारी चूहानी एक-दूसरे के साथ हमेशा खुश रहे और उनकी प्रेम कहानी गांव के चूहों के दिलों में सदा के लिए बस गई।


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