तो दोस्तो फाइनली हम आपके लिए अच्छी अच्छी कहानीया ले कर आ गए है क्योंकि acchi acchi kahaniyan पढ़ना बच्चो को बहुत अच्छा लगता है और साथ ही में अच्छी अच्छी कहानीया सुनाना बड़ो को भी पसंद होता है तो चलिए शुरु करते है अच्छी अच्छी कहानीया
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आयिना और कुत्ता ( acchi acchi kahaniyan )
अच्छी अच्छी कहानीयाएक बार एक म्यूजियम में एक शीशे का कमरा बनाया गया जिसे दीवारें छत और सर सभी शीशे के थे। अगर कोई इंसान उस कमरे में प्रवेश करता है तो उसे एक से ज्यादा उसके ही अक्स दिखता था।
एक बार म्यूजियम का सिक्योरिटी गार्ड उस कमरे को लॉक करना भूल गया। और उससे खुला ही छोड़कर रख दिया। एक कुत्ता वहां से गुजर रहा था उसे उस कमरे का दरवाजा खुला दिखाई दिया तो वह उस आईने वाले कमरे में घुस गया।
मर जाते हैं उसे उसके अक्स चारों तरफ दिखाई दिया। मानो उसे ऐसा लग रहा था की उसे चारो तरफ से कुत्ता ने घेर लिया हो।
ऐसा दिखाई देते ही उसने ज़ोर से भौंका उसके ऐसा करने पर शीशे में उसके अक्स ने भी भौंका। अब कुत्ते को और भी गुस्सा आ गया और उसने ज़ोर ज़ोर से भौंकना शुरू कर दिया।
अब सुबह हुई और जब न्यू जिनके घर में कमरे में जाकर देखा तो कुत्ता वहां मरा पड़ा हुआ था। खुद से ही लड़ते-लड़ते मर गया।
acchi acchi kahaniyan से सीख!
हमारे आस पास की हर चीज़ घटनाए और हमारे साथ होने वाले कार्य ये सब हमारी सोच और नज़रिये के ही अक्स होते है। और दुनिया भी एक बड़े से आईने की तरह ही काम करती है। इसी लिए हमे दूसरो के प्रति सकारात्मक और अच्छे रहेने की कोशिश करना चाहिए।
मेहनत की आदत ( acchi acchi kahaniyan )
अच्छी अच्छी कहानीयाएक गांव में रामू नाम का एक आदमी रहता था उसके तीन बेटे थे रघुपति राघव राजा राम। रामू बहुत मेहनती इंसान था उसने बचपन से ही बहुत मेहनत की थी और खेत बगीचा पर एक कपड़े की दुकान लगाई थी।
अच्छी अच्छी कहानीयाएक दिन रामू अपने दोस्त से कहता है कि मेरी अब तबीयत खराब रहने लगी है पता नहीं मैं कब तक रहूंगा लेकिन मुझे इस बात की चिंता है कि मेरे तीनों बेटे बहुत आलसी है और वह मेरे काम में हाथ नहीं बताते और मेरे बिजनेस को आगे बढ़ाना नहीं चाहते।
यह सुनकर रामू का दोस्त कहता है यह तुम्हारी ही गलती है कि पहले से ही अपने बेटे को काम की आदत नहीं लगाई रोने पैसे देकर कहने लगे कि जाओ घूम के आए हो यही आदत उन्हें बिगाड़ रही है और इसीलिए वह आलसी हो रहे हैं।
रामू ने कहा हां मुझे लगा मैंने जितनी मेहनत और मशक्कत की है मेरे बेटे ना करें इसीलिए मैंने उन्हें पहले से ज्यादा मदद नहीं करने दी लेकिन अब इसका परिणाम मुझे अब् उठाना पड़ रहा है कि अभी वह बहुत आलसी हो गए हैं और मेरे एक भी काम में हाथ नहीं बटा रहे हैं।
रामू ने अपने घर में ही एक बगीचा भी बनाया था जिसकी वह अच्छी तरह से रक्षा करता था। अब उसने अपने कपड़ों की दुकान उसके रिश्तेदार को चलाने के लिए दे दी उससे वह अपना हिस्सा ले लिया करता था।
पर अपने खेत को उसने दूसरे को दे दिया खेती करने के लिए बहुत से वह आधी फसल लिया करता था और अपने बगीचे को वह खुद ही देख रहे किया करता था।
उसके पड़ोस में एक महेश नाम का आदमी रहने के लिए आया। और बाबू से आकर कहने लगा कि मैं आपके पड़ोस में नया हूं मैं बिजनेस करता हूं मेरे पास 100 बकरियां है मेरे दो बेटे हैं वह भी बिजनेस करते हैं दूसरे गांव में उसने रामू से कहा कि तुम्हारे कितने बेटे हैं रामू ने कहा तीन बेटे और बिना कुछ कहे वहां से चला गया।
महेश को समझ नहीं आया क्या रामू यहां से क्यों चले गए उसने सोचा कि शायद उसे कोई परेशानी होगी और उसने इसके बारे में उससे कुछ नहीं पूछा।
थोड़े दिनों में ही महेश और रामू की अच्छी खासी दोस्ती हो गई फिर जाकर रामू ने महेश को बताया कि उसके तीनों बेटे बहुत आलसी है और उसके बिजनेस में कुछ हाथ नहीं बताते और यह कहते-कहते वह रोने भी लगा।
कुछ दिनों बाद महेश ने रामू से आकर कहा कि वह कुछ काम के लिए गांव जा रहा है और उसके कुछ बकरियां है जिसकी उसे देखभाल करनी है तो रामू ने कहा क्यों नहीं मैं तुम्हारी बकरियों की देखभाल करूंगा तुम्हारे वापस आने तक।
लेकिन महेश की बकरियां बहुत चालाक थी वह किसी ना किसी तरह रामू के बगीचे में आकर सब खाली दी थी और सब तहस-नहस कर देती थी।
इससे परेशान होकर रामू ने अपने बगीचे के चारों ओर लकड़ियों की एक दीवार बना दी और उसे लगा कि शायद इस लड़की की दीवार की वजह से बकरीया अंदर नहीं आ पाइंगी।
लेकिन बकरिया भी बहुत चतुर थी वह लकड़ियों की दीवार से छलांग लगाकर बगीचे में अति और चारा खाती थी बगीची के फूल दिखाई जाती थी।
यह देखकर रामू को बहुत गुस्सा आएगा कि उसके मेहनत से गाए हुए बगीचे को यह बकरी तहस-नहस कर रही है। और कोई दिनों बाद महेश वापस तोड़ जाते हैं और महेश के आती है पर हम कहते हैं कि देखो तुम्हारी बकरियों में मेरे बगीचे का क्या हाल कर दिया।
यह सुनकर महेश करता है कि तुम्हें अपने बेटों की तरह बकरियों को भी समझते हुए नहीं आया मेरी बकरियों से पूरे मामले में सिर्फ तुम्हें ही तकलीफ है और किसी को तकलीफ नहीं है उसकी यह बात सुनकर रामू बेचारा खामोश रह गया और उसने उससे कुछ नहीं कहा।
दूसरे दिन और बकरी या लकड़ियों की दीवार को छलांग लगाकर बगीचे में आई और चारों और फूल खाने लगे यह देखकर रामू कुछ नहीं करा और उन्हें देखता ही रहा उतने में उसके तीनों लड़के आ गए और अपने पिता से कहा यह क्या बकरी आप पूरे बगीचे को तहस-नहस कर रही है लेकिन तुमने कुछ नहीं किया इन वहां से भगाया भी नहीं।
यह सुनकर रामू ने कहा कि यह बकरी कितनी मेहनत से लकड़ियों के दीवार को छलांग लगाकर बगीचे में आई है उनकी इतनी मदद पर उन्हें बगीची के फल फूल खाने का मौका तो मिलना चाहिए क्योंकि उन्होंने मेहनत की है और मैं मेहनत करने वाले को सब कुछ दे देता हूं। और यह कहकर रामू वहां से चला गया।
यह सुनकर रामू की तीनों लड़कों को लगा कि कहीं ऐसा करते-करते उनके पिता पूरी जायदाद सभी में बैठना दें यह सोचकर उन्होंने फैसला किया कि अक्षय को मेहनत करेंगे और उनके पिता के कारोबार में हज बताइए उस दिन से वह अपने पितरों के कारोबार में हद बटन लगे और बगीचे का भी ध्यान रखने लगे।
कुछ दिनों बाद रामू अपने दोस्त से कहने लगा कि देखो मेरे बेटे भी अब मदद कर काम कर रहे हैं और मेरे बिजनेस में आज बता रहे हैं यह सुनकर उसका दोस्त कहने लगा कि यह सब महेश के कारण हुआ है महेश नहीं तुम्हें यह सिखाने के लिए उसकी बकरियां तुम्हारे पास छोड़ी थी।
यह सुनकर रानी महेश के पास गया और उसको धन्यवाद कहां और खुशी-खुशी अपने घर वापस आ गया।
जब कोई भी काम करने की चाह हम अपने दिल पर ले लेते हैं तो आलस अपने आप भाग जाते हैं।
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