बच्चों की मनपसंद कहानियां | इमानदार हलवाई वाला | hindi baccho ki kahani

आज की इस hindi baccho ki kahani मे आप सभी लोग पढ़ने वाले है बच्चों की मनपसंद कहानियां क्यूंकी बच्चों की मनपसंद कहानियां पढ्न बच्चो को बहुत अच्छा लगता है और बच्चों की मनपसंद कहानियां बहुत ही मज़ेदार कहानिया होती है तो चलिये शुरू करते है बच्चों की मनपसंद कहानियां 


 इमानदार हलवाई वाला ( बच्चों की मनपसंद कहानियां )

बच्चों की मनपसंद कहानियां | इमानदार हलवाई वाला | hindi baccho ki kahani

ढोलकपुर नाम के गांव में मनोहर उर्फ़ मन्नू रहता था मन्नू बहुत ही अच्छा और होनहार लड़का था और उसे खाना बनाने में बहुत ही रुचि थी इसलिए वह घर के सारे काम करता था और घर का खाना बनाने में अपनी मां की मदद भी करता था।

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लेकिन मन्नू का मन स्कूल की पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता था वह पढ़ाई में बहुत ही कमजोर था जिसकी वजह से उसे बहुत ही कम मार्क्स मिलते थे और इसी वजह से सारे स्कूल के बच्चे उसका मजाक उड़ाया करते थे।

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एक दिन स्कूल में टीचर आए और मन्नू से कहने लगे तुम बहुत ही कमजोर हो पढ़ाई में आज तुम्हारा रिजल्ट आया है जिसमें तुम फेल हो गए हो इसी वजह से तुम्हें स्कूल से निकाला जा रहा है यह सुनकर मन में बहुत उदास हो गया।

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और घर जाकर अपने पिताजी से पहले लगा कि मुझे स्कूल से निकाल दिया गया है क्योंकि मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगता है इसीलिए मैं फेल हो गया यह सुनकर मन्नू के पिताजी उसको डांटना लगे और कहने लगे तुम्हारा अभी पढ़ाई करने का टाइम है और तुम अभी पढ़ाई नहीं करोगे तो क्या करोगे।


यह सुनकर मन्नू कहता है पिताजी मुझे खाना बनाने में बहुत दिलचस्प है किसी भी मुझे दूसरा कोई काम आता ही नहीं ना ही मेरा पढ़ाई में मन लगता है यह सुनने के बाद उसके पिताजी से और जोर-जोर से डांटने लगे।

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मन्नू घर का काम करता था और खाना बनाते रहता था लेकिन वह बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाता था इसलिए गांव के लोग उसे कहते थे अरे यह मन्नू नहीं मुन्नी है और बहुत ही उसे ताना दिया करते थे जिसकी वजह से मन्नू के पिताजी उस डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं और उसकी दिमागी हाल चेक करने के लिए कहते हैं।


डॉक्टर कहता है कि मन्नू की दिमाग की हालत बिल्कुल ठीक है इसे इलाज की कोई जरूरत नहीं बस उसे खाना बनाने में ज्यादा दिलचस्पी है तो वह क्या करेगा बेचारा।

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एक दिन मन्नू के घर पर एक साधु संत आते हैं और मन्नू के पिता सारी बातें वह संत को बताते हैं वह संत कहते हैं कुछ दिनों के लिए तुम मन्नू को हमारे साथ भेज दो मन्नू के पिताजी मन्नू को उसे सन के साथ भेज देते हैं ।

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मठ में जाकर मन्नू सभी को स्वादिष्ट स्वादिष्ट खाना बनाकर देता है और सारे लोग मन्नू के साथ अच्छी तरह घुल मिल जाते हैं और मन्नू के साथ अच्छी तरह से रहते हैं।

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लेकिन एक बार साधु मन्नू से कहते हैं बेटा तुम अब तुम्हारे घर चले जाओ यह सुनकर मन्नू कहता है क्यों मुझसे कोई गलती हुई है क्या संत कहते हैं नहीं बेटा तुम बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाते हो इसी वजह से सारे मठ के लोग तुम्हारा टेस्टी खाना खाते हैं और सुबह जल्दी नहीं उठाते इसके लिए उनके दिनचर्या में बदलाव आ गया है इसीलिए तुम घर चले जाओ और घर जाकर कोई खाने की दुकान खोल लो क्योंकि तुम बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाते हैं।

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मन्नू अपने घर चला जाता है। उसी दिन गांव के सरपंच के बेटी की शादी होती है और वो मन्नू को भी न्योता देता है मन्नू भी शादी में जाता है और शादी में जाने के बाद एक हलवाई को हार्ट अटैक आ जाता है जो खाना बनाने का में कारगिल था और इसी वजह से सारे खाना बनाने वाले वहां से चल जाते हैं।

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सरपंच जी को बहुत ही टेंशन होने लगती है क्योंकि उनके बेटी की शादी में बहुत बड़े-बड़े लोग इंजीनियर डॉक्टर वकील आने वाले थे और अगर उन्हें थाना टाइम पर नहीं मिला तो उनकी इज्जत का क्या होगा यही वह सब बातें मन्नू को बता रहे थे मन्नू करता है सरपंच जी आप फिकर मत कीजिए मैं पूरा खाना बनाऊंगा शादी का मुझे बस आप 4,5 लड़के दे दीजिए।

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सरपंच जी मन्नू को पांच लड़के देते हैं काम करने के लिए मन्नू उन लड़कों से बहुत ही कम समय में सभी बारातियों के लिए एकदम स्वादिष्ट खाना बनाता है और सभी बाराती बहुत ही मजे ले लेकर स्वादिष्ट खाना खाते हैं यह देखकर सरपंच जी बहुत खुश होते हैं और सरपंच जी की इज़्ज़त बच जाती है।

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दूसरे दिन सरपंच जी मन्नू के घर जाते हैं और मन्नू को धन्यवाद कहते हैं टाइम पर उनकी मदद करने के लिए और मन्नू को कुछ पैसे भी देते हैं इनाम के तौर पर और मन्नू को कहते हैं तुम इन पैसों से अपनी खुद की एक दुकान लगाओ खाने की और तुम बहुत स्वादिष्ट खाना बनाते हो जिससे तुम्हारी अच्छी खासी इनकम हो जाएगी।

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मन्नू उन पैसों से एक "सांभर डोसा" की रेडी लगाता है। मन्नू करो भैया बहुत ही अच्छा होता है और वह बहुत ही स्वादिष्ट डोसा बनाता था।

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कुछ ही दिनों में मन्नू बहुत ही तरक्की कर लेता है और कुछ दिनों के बाद में शहर में एक रेस्टोरेंट खोल लेता है उसका मालिक बन जाता है। 


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे अंदर जो खूबी है जो टैलेंट है हमें उसे ही अच्छी तरह से निकलना चाहिए वही हमारी कामयाबी की सीढ़ी बन जाती है।


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