आज आप सभी लोग पढ़ने वाले है छोटी कहानी ज्ञान क्यूंकी इसी तरह की छोटी कहानी ज्ञान पढ्न बच्चो को बहुत अच्छा लगता है और इसी लिए हमने आज 2024 की बिलकुल नयी choti kahaniya लाये है ।
इस छोटी कहानी ज्ञान मे आप लोग लखन की कहानी पढ़ने वाले है जिसे पढ़ कर आप लोगो को बहुत मज़ा आएंगा तो चलिये शुरू करते है छोटी कहानी ज्ञान
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चोर बाज़ार ( छोटी कहानी ज्ञान )
छोटी कहानी ज्ञान
एक दिन जब लखन काम खत्म कर कर घर पर आता है तब लखन की बीवी उससे कहती है तो तुम इतनी मेहनत करते हो साथ में मैं भी इतनी मेहनत करती हूं लोगों के घरों में कम करो लेकिन इसका क्या फायदा हुआ यह सुनकर लखन चौक जाता है और कहता है क्यों अब क्या हो गया।
यह सुनकर लखन की बीवी कहती है कि आज हमारे बेटे के स्कूल से चपरासी आया था और उसने हमारे बेटे को घर पर छोड़कर चला गया और यह कह कर गया कि अगर 2 दिन के अंदर हमने हमारे बेटी की स्कूल की फीस नहीं दी तो वह उसे स्कूल से निकाल देंगे ऐसा स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा है।
यह सुनकर लखन बहुत ही उदास हो जाता है और कहता है कि आप हमारी गरीबी के चपेट में हमारा बेटा भी आ रहा है हमें जल्दी कुछ ना कुछ करना होगा।
यह सुनकर लखन की बीवी कहती है हमारे पास 5 एकड़ जमीन है फिर भी हम दूसरों के खेत में जाकर काम करते हैं मुझे समझ नहीं आया कि हम ऐसा क्यों कर रहे हैं यह सुनकर लखन कहता है मेरे पिताजी ने हमारी 5 एकड़ जमीन गांव के जमींदार के पास गिरवी रखी थी ₹200000 में और मेरे पास हम भी ₹200000 नहीं है जिससे कि मैं अपनी जमीन वापस ले सकूं इसलिए हम दूसरों के खेत में मजदूरी करते हैं।
यह सुनकर लखन की बीवी कहती है फिर तुम उसे जमींदार से और थोड़े पैसे उधार मांग कर लो ना जिससे कि हम हमारे घर में थोड़ा राशन भर सके और अपने बेटे की स्कूल की फीस दे सके यह सुनकर लखन कहता है ठीक है मैं कल सुबह जमींदार के पास जाऊंगा।
सुबह होती है लखन सुबह-सुबह जमींदार के पास जाता है और जमींदारों से कहता है कि मुझे₹5000 चाहिए मुझे थोड़ा काम है मुझे अपने बेटे के स्कूल की फीस देनी है और हमारी जमीन तो तुम्हारे पास गिरी भी रखी है ना उसी पर मुझे और ₹5000 चाहिए।
यह सुनकर जमींदार चौक जाता है और कहता है काहे की जमीन वह जमीन जिसे मैं ₹200000 में गिरवी रखा था वह तो मेरे पास कब की पच गई है।
यह सुनकर लखन हैरान हो जाता है और कहता है , पच गई इसका मतलब क्या है अभी 5 साल तो हुए हैं तुम्हारे पास यह जमीन गिरवी रखी है यह सुनकर जमींदार कहता है हां 5 सालों में मेरे ₹200000 का ब्याज ₹100000 हो गया है और तुम्हारे जमीन के पैसे दो लाख मुझे ₹300000 दो और अपनी जमीन वापस छोड़ वाले नहीं तो यहां से अपना मुंह काला कर लो।
लखन बड़े गुस्से में कहता है यह तो सरासर जुल्म है अन्याय है तुम हमारी जमीन हथियाना चाहते हो यह सुनकर जमींदार करता है कि मैं हथियार हूं कि तुम्हारी योनि हथियाना चाहता हूं और वह अपने दो मजदूरों को बुलाकर लखन को बाहर फेंकवा देता है।
लखन बिचारा निराश होकर घर जाता है और यह सारी बातें अपनी बीवी को बताता है उसकी बीवी यह सुनकर बहुत ही दुखी हो जाती है।
दूसरे दिन गांव का जमींदार पूरे गांव में खबर फैला देता है कि इन दोनों पति-पत्नी ने जबरदस्ती उसे पैसे मांगे और उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश की जिसकी वजह से सारे गांव के लोग लखन और उसकी बीवी को गुस्सा करने लगते हैं और अब दोनों को भी किसी के यहां भी नौकरी नहीं मिलती।
इस घटना को पूरे चार दिन हो जाते हैं और अब लखन के घर में कुछ भी खाने को नहीं रहता लखन खुद 2 दिन से भूखा होता है यह देखने के बाद लखन की बीवी लखन के हाथ में तीन रुपए देती है और कहती है कि यह लोग मेरे पास सिर्फ यह ₹3 बचे है इसमें हमारे लिए खाना लेकर आए यह सुनकर लखन कहता है ₹3 में कहां से खाना आएगा यह सुनकर उसकी बीवी कैसी है मुझे नहीं पता हमने तीन दिनों से खाना नहीं खाया जल्दी से हमें खाना ला कर दो नहीं तो हम मर जाएंगे।
लखन अपनी बीवी से ₹3 लेता है और गांव के बाहर एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाता है जहां बहुत ही सन्नाटा होता है और वह बहुत ही रोता है वहां बैठे-बैठे और सोचता है कि अगर उसके पास पैसे होते तो उसके परिवार को इस तरह इतनी बुरी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता।
यह सब लखन सोच रहा होता है कि एक बूढ़ा आदमी लाठी लिए हुए लखन के पास आता है और कहता है क्या हुआ बेटा तुम इतने उदास क्यों लग रहे हो
लखन कहता है" क्या बताऊं बाबूजी मैं बहुत ही परेशान हूं मैं कोई काम धंधा नहीं कर पा रहा हूं क्योंकि मुझे कोई काम करने नहीं दे रहा है अपने खेत में इसलिए मेरे घर के मालिक हालत बहुत खराब है इसी वजह से मैं बहुत दुखी हूं क्योंकि तीन दिनों से मेरे परिवार ने खाना नहीं खाया है मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं।
यह सुनकर वह बूढ़ा आदमी लखन से कहता है तुम एक काम क्यों नहीं करते तुम चोर बाजार में जाकर देखो वहां बहुत सारी चीज सस्ते दामों में मिलती है यह सुनकर लखन करता है कि मैं चोर बाजार जाकर क्या करूं मुझे तो चोरी की चीजों से सब नफरत है यह सुनकर बूढ़ा आदमी हंसता है और कहता है चोर बाजार में चोरी की चीज नहीं रहती है बल्कि वहां बहुत सस्ती चीज रहती है ना इसलिए उसे चोर बाजार कहते हैं।
और बूढ़ा आदमी कहता है कि तुम्हें यह चोर बाजार जंगल के बीचों बीच देखने को मिलेगा और यह कहीं पर बूढ़ा व्यक्ति वहां से चला जाता है।
बूढ़े व्यक्ति के चले जाने के बाद लखन सोचता है मेरे पास तो ₹3 है पर इस बूढ़े आदमी ने मुझसे कहा कि वहां बहुत सस्ती चीज मिलती है क्यों ना मैं वहां पर एक भर जाकर देखूं वैसे भी मेरे पास दूसरा रास्ता नहीं है।
अब लखन दबे दबे पांव से जंगल के अंदर जाने लगता है और जंगल के बीचो-बीच पहुंचकर वह देखता है कि वह एक बहुत बड़ा चोर बाजार है जहां पर तरह-तरह की चीज लगी है और बहुत सारे लोग वाहन खरीदी कर रहे हैं।
वहीं पर लखन को एक दाल चावल के दुकान दिखती है वह जाकर लखन करता है भैया यह चावल और दाल की बोरी कितने की है वह आदमी कहता है यह 25-25 किलो की है यह सुनकर लखन सोचने लगता है मेरे पास तो ₹3 ही है मैं पूछ कर देखता हूं कि यह कितने रुपए की है।
लखन कहता है भैया यह एकचावल की बोरी कितने की है तो आदमी कहता है ₹1 की लखन यह सुनकर दंग रह जाते हैं और उसे दुकानदार से कहता है यह को ₹1 और मुझे एक चावल की बुरी दो और वह चावल की बोरी लेकर लखन घर जाता है घर जाकर बीवी से कहता है लोग दाल चावल बना बीवी कहती है तुमने यह चावल की बुरी कहां से लाई तुमने तो घर से सिर्फ ₹3 ही लेकर गए थे कहीं तुमने किसी से उधर तो नहीं लिया।
लखन कहता है मैं तुम्हें सारी बातें बातें बताता हूं पहले तुम मुझे गरम-गरम चावल बना कर दो मुझे बहुत भूख लगी है लखन की बीवी चावल बनती है और पूरा परिवार भर पेट खाना खाता है बाद में लखन उसकी बीवी को यह सारी बात बताता है लखन की बीवी कहती है अगर वह चोर बाजार में यह सारी चीज इतनी सस्ते में मिलती है तो क्यों ना तुम एक काम करो जो तुम्हारे पास ₹2 बचा हैं इसे चोर बाजार से सामान लो और यहां लाकर भेजो इससे तुम्हें अच्छा खासा मुनाफा हो जाएगा।
लखन को यह आइडिया बहुत ही पसंद होता है और लखन दूसरे दिन और जंगल में चोर बाजार में जाता है और वहां पर वह एक कंप्यूटर की दुकान में जाता है वहां उसे कंप्यूटर दिखाता है वह कंप्यूटर वह चोर बाजार से ₹2 में खरीदना है और अपने गांव में लाकर ₹25000 का बेचता है।
इसी तरह अब लखन काम करने लगता है और वह कुछ ही महीना में बहुत ही मालदार हो जाता है अब वह अपना एक नया घर बना लेता है और नई गाड़ी भी ले लेता है इस तरह अब वह खुशी-खुशी जिंदगी गुजरता है।
तभी लखन की बीवी कहती है कि मुझे भी वह चोर बाजार में लेकर चलो ना मैं भी देखना चाहती हूं कि वह कैसा दिखता है लखन कहता है क्यों नहीं लखन अब उसकी बीवी को चोर बाजार लेकर जाता है लेकिन जैसे ही वह जंगल के बीचों बीच पहुंचता है वह देखकर दंग रह जाता है क्योंकि अब वहां पर कोई चोर बाजार नहीं था बल्कि सिर्फ जंगल ही था।
यह देखकर लखन अपनी बीवी से कहता है सच में मैं यहीं पर आता था और यहीं पर ही वह चोर बाजार लगता था अब समझ नहीं आ रहा की वो चोर बाजार कहां चला गया इतने में
वह बूढ़ा व्यक्ति वहां आता है जिसने लखन को यह चोर बाजार का पता बताया था नकल करता है कि बाबूजी तुमने मुझे इस चोर बाजार का पता बताया था ना लेकिन अभी चोर बाजार यहां नहीं है कहां गया।
यह सुनकर को बुरा व्यक्ति हंसता है और कहता है बेटा जब तुम्हें पैसों की बहुत जरूरत थी इसीलिए यहां पर चोर बाजार था लेकिन अब तुम बहुत मालदार हो गई हो और तुम्हें अब पैसों की जरूरत नहीं है इसीलिए यह चोर बाजार यहां से चला गया है और यह कहकर बूढ़ा व्यक्ति वहां से गायब हो जाता है।
लखन की बीवी कहती है मुझे लगता है यह कोई मायावी व्यक्ति था और इसी में हमारी मदद की है शायद ऊपर वाले ने हमारा हाल देखकर हम पर दया की और हमें ईमानदार बना दिया अब मुझे आपकी ईमानदारी पर गर्व है और दोनों पति-पत्नी वहां से चले जाते हैं और खुशी-खुशी अपनी जिंदगी जीते हैं।
कहानी से मिलने वाली सीखहमें हमेशा ईमानदार रहना चाहिए कभी किसी के साथ कोई इजाजत ही नहीं करना चाहिए और अगर हम ईमानदार रहे पर सभी के साथ अच्छाई से बढ़ता होती है तो ऊपर वाला हमारे साथ कभी गलत नहीं होने देता।
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