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100+ भूत की कहानी इन हिंदी | भूत की कहानी हिंदी में | भूत की कहानी बच्चों की | bhoot ki kahani in hindi

 आज की इस भूत की कहानी बच्चों की मे हम आज पढ़ने वाले है भूत की कहानी हिंदी में क्यूंकी बच्चो को भूत की कहानी इन हिंदी पढ्न बहुत पसंद होता है और आपको 2023 की बिलकुल नयी bhoot ki kahani in hindi पढ़ने को मिलने वाली है तो चलिये शुरू करते है भूत की कहानी इन हिंदी



    भूतिया चूहा - एक मज़ेदार कहानी

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गाँव में रहता था एक छोटा चूहा। वह चूहा बहुत ही खुशनुमा और जिद्दी था। उसके गाँव के बड़े चूहे उसे बहुत परेशान करते थे, लेकिन वह हमेशा अपने तरीके से उन्हें मात दे देता। एक दिन, उसे ख़बर मिली कि उसके गाँव के पुराने मंदिर में भूतों का वास है। सभी लोग डर से काँप रहे थे और वहाँ जाने से बचते थे।

    लेकिन हमारा छोटा चूहा बहुत ही नाकारात्मक था और उसे किसी भी तरह का डर नहीं था। उसे लगता था कि भूतों का वास होने से उसे और भी अधिक मज़ा आएगा। वह अपने दोस्तों को लेकर मंदिर की ओर चला।

    मंदिर में पहुँचते ही, वे सभी देखते हैं कि मंदिर बिल्कुल अंधेरा है। चूहे का एक दोस्त बहुत डर गया और उसने कहा, "यहाँ डर के माहौल की वजह से हमें यहाँ से जल्दी बाहर निकल जाना चाहिए।"

    लेकिन छोटे चूहे ने खुशी-खुशी बोला, "कौन सा डर? हमारे साथ तो डरने वाला कुछ नहीं है। हम भूतों से मिलने जाएँगे और उन्हें मज़े से बातें करेंगे।"

    वे सभी भयभीत होकर मंदिर के अंदर चले गए। जैसे ही वे भूतों के सामने पहुँचे, वहाँ से अचानक अजीब आवाज़ सुनाई दी। चूहे के एक दोस्त ने डर से रोका, "चलो जल्दी से यहाँ से निकल जाएँ। वहाँ कुछ अच्छा नहीं हो रहा है।"

    लेकिन छोटे चूहे ने बड़ी ही साहसपूर्वकता से कहा, "आरे, डरने की कोई ज़रूरत नहीं। यह तो कुछ भी नहीं है।"

    और उसने भूतों को अपनी शरारतों से हंसा दिया। अचानक, भूतों का सामना करने के बाद, भूतों का अंधेरा ढल गया और वे भागने लगे। यह देखकर छोटे चूहे का मन ख़ुशी से झूम उठा।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख : हमें डरने की ज़रूरत नहीं है, सभी मुश्किलों का सामना हाथ में ख़ुशी से करना चाहिए। अक्सर हम दिखावे के पीछे डरते हैं, लेकिन जब हम उस समस्या का सामना करते हैं तो हमारा डर ख़त्म हो जाता है। साहस और आत्मविश्वास के साथ हम हर मुश्किल को पार कर सकते हैं और अच्छे नतीजे प्राप्त कर सकते हैं।


     भूतिया छत्री

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गांव में एक भयानक कहानी थी, जिसमें एक भूतिया छाता था, जिसे स्थानीय लोग "भूतिया छाता" के नाम से जानते थे। दिन में कोई इसके बारे में बात नहीं करता था, लेकिन सूरज डूबने के साथ ही भूतिया छाता के बारे में कुछ अजीब ख़बरें फैलने लगती थीं।

    कहानी एक बुजुर्ग व्यक्ति मिस्टर शर्मा के साथ शुरू होती है। वह अपने पुराने आवश्यक वस्तुओं और विचित्रताओं के संग्रह के लिए प्रसिद्ध थे। एक बरसाती शाम, उन्होंने बाजार में एक धूलिखण्ड दुकान में भूतिया छाता देखा। दुकानदार ने उन्हें इसकी अजीब शक्तियों के बारे में चेतावनी दी, लेकिन मिस्टर शर्मा ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया, सोचते हुए कि यह बस एक पुरानी धारणा होगी।

    जब गांव की छतें बादलों से ढ़कने लगीं, मिस्टर शर्मा ने छाता खोला ताकि वह बूंदों की बरसात से बच सकें। तत्काल, एक ठंड से भरा सिहर उनकी रीढ़ को घुटनों तक दौड़ा। छाता हल्की सी चमकने लगी, और उसकी सतह पर अजीब से चिह्न दिखने लगे। भयभीत लकीरों को नज़रअंदाज़ करते हुए, मिस्टर शर्मा चलते रहे, जिससे उसे बदलते हुए विशेषताओं का पता न चल सका।

    अगले सुबह, कुछ अजब घटित हुआ। जब भी छाता खोला जाता, वह बंद होने से इंकार करती। जैसे कि यह खुद में ही दिमाग रखती है। गांववाले आश्चर्यचकित हो गए और भूतिया छाता ने उन्हें घबरा दिया, यह सोचकर कि कहीं किसी के अच्छे भाग का न हो। लेकिन मिस्टर शर्मा उस अजीब शक्ति के पीछे का सत्य खोजने में निर्धारित थे।

    एक उज्ज्वल और सूर्यास्त दिन, मिस्टर शर्मा की पोती माया आने आई। वह जिज्ञासु और बहादुर छोटी सी लड़की थी, जो सभी पहेलियों को हल करने में खुश थी। जब उनके दादा को चिंतित देखते हुए, उन्होंने भूतिया छाता के बारे में पूछा।

    विश्वासघाती आँखों से खुदाई करते हुए, मिस्टर शर्मा ने माया को कहा कि छाता बारिशी दिनों में बदल जाता है। वह तब चमकने लगता है और उसकी सतह पर अजीब चिह्न दिखने लगते हैं। माया बड़ी उत्साहित हो गई और ने मिस्टर कुमार के पास जाने की अनुमति ली।

    मिस्टर कुमार ने दिलासा दिया और माया ने भूतिया छाता को खोलने की कोशिश की। जैसे ही छाता खुली, माया को एक सुंदर सी संतान वर्ग दिखाई दी। इस ताक़तवर छाते ने अपने रूप का राज़ खोल दिया।

    छाते का राज़ यह था कि वह न केवल बदलता था, बल्कि उसकी अजीब चिह्न वाली सतह बच्चों के सपनों को पूरा करने की शक्ति रखती थी। इसका अर्थ था कि छाते वाला कोई भी विचार बस सपने नहीं देखता था, उसके पीछे की कहानी और उसकी ख़बरें नहीं।

    माया ने धीरे-धीरे समझा कि डर और भ्रम विचारों का ख़ूबसूरत सपना बना देते हैं। वह ख़ुद भयभीत होने के बजाय नई चुनौतियों का सामना करने को तैयार हो गई। उसने भूतिया छाते को समझा और खुद को उसके अजीब शक्तियों से मज़बूत कर दिया।

    अंत में, मिस्टर शर्मा और माया को विश्वास हो गया कि भयानक भूतिया छाता वास्तव में एक ख़ूबसूरत और साहसिक छाता था, जिसका उपयोग वे अब उनके सपनों को पूरा करने के लिए करते थे।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख : डर और भ्रम हमें विचार करने से रोकते हैं और हमें अपने सपनों को पूरा करने से रोकते हैं। हमें अपने अंदर के साहस और उत्साह को पहचानना चाहिए और उसे सच करने के लिए तैयार होना चाहिए। जब हम डर को हरा देते हैं, तो हमारे सामने नई और रोचक चुनौतियां आती हैं, जो हमें अधिक मज़बूत बनाती हैं।


    भूतिया लोटा

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गाँव में, जिसके आस-पास घने जंगल फैले हुए थे, एक चमत्कारिक कहानी घटी। उस गाँव के लोग भयानक भूतिया लोटे के बारे में सुना करते थे, जिसे उन्होंने "भूतिया लोटा" के नाम से जाना। यह कहानी एक मासूम लड़के विक्रम के बारे में है, जो भूतिया लोटे की चाह में खुद को पड़े हुए होता है।

    विक्रम एक समझदार और साहसी लड़का था। उसकी रोचक कहानियों और धैर्यपूर्वक समस्याओं का सामना करने की क्षमता के चलते उसे गाँव के बच्चों में बड़ी पसंद थी। एक दिन, जब गाँव के निकट जंगल में विक्रम घूम रहा था, उसे एक गहरी खड़ी बोतल मिली।

    बोतल की सुंदरता और अनोखे आकार ने विक्रम को वहाँ खींच लिया। जब उसने बोतल के ढक्कन खोला, उसमें से एक चीज निकली। यह एक चमत्कारिक लोटा था, जिसकी सतह पर चमकीले रंगों से बने आकार दिखाई देते थे। विक्रम चमत्कृत हो गया और सोचा कि क्या यह वही भूतिया लोटा है जिसके बारे में सब बच्चे सुनते हैं?

    विक्रम ने अपने दोस्तों को बुलाकर उन्हें लोटे के बारे में बताया। उनके दोस्त भी चमत्कृत हो गए और उन्हें विक्रम से यह देखने का आग्रह किया कि वह उसे उठाए और इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी करे।

    विक्रम थोड़ा घबरा गया, लेकिन उसके साहस ने उसे उसे विचार से रोक दिया और उसने लोटा उठा लिया। जैसे ही विक्रम लोटे को ऊपर उठाने लगा, एक आवाज़ से रात का अंधकार घिर गया। एक दरावनी आहट सुनाई देने लगी और लोटे की सतह पर भयानक चित्रों की झलक दिखाई दी।

    दोस्तों ने डरा हुआ चेहरा बनाकर विक्रम से कहा, "यह वाक़ई भूतिया लोटा है, विक्रम! इसे जल्दी से वापस रखो और घर जाएं!"

    लेकिन विक्रम ने साहस से कहा, "नहीं, यह सिर्फ एक भ्रम है। देखो, इसमें तो कुछ भी नहीं है।" उसने लोटे को गहरी खड़ी में वापस रख दिया और उसके साथ अपने दोस्तों के साथ घर की ओर रवाना हुआ।

    जब विक्रम और उसके दोस्त घर पहुँचे, उन्होंने देखा कि सभी लोग उन्हें चिंतिती से देख रहे हैं। एक बड़ी साधू संतान वर्ग ने विक्रम को धैर्य से नाज़ल किया और पूछा, "क्या तुम भूतिया लोटे के साथ खेल रहे थे, बच्चों?"

    विक्रम ने सबको खुलकर सच्चाई बताई और उसने कहा, "जी हाँ, मैं भूतिया लोटे को लेकर घूम रहा था, लेकिन मैंने देखा कि यह असली भूतिया लोटा नहीं था। वास्तव में, यह सिर्फ एक साधारण लोटा था, जिसे हमारे डर ने भूतिया बना दिया।"

    साधू ने प्रसन्नता भरे चेहरे से कहा, "बहुत बढ़िया, विक्रम। तुमने सही देखा। यह लोटा वास्तव में भूतिया नहीं था। यह डर और भ्रम हमारे अंदर हैं, जो हमें वास्तविकता से दूर ले जाते हैं। हमें अपने अंदर के साहस को जागृत करना चाहिए, और यह सच्चाई देखने की क्षमता हममें विकसित करनी चाहिए।"

    इस घटना के बाद, विक्रम ने सभी बच्चों को सिखाया कि भयानक भूतिया लोटा सिर्फ एक भ्रम है, और उसको हरा कर हम सब अपने अंदर के साहस को जागृत कर सकते हैं। इसका सार था कि असली भूतिया वास्तव में अंदर है, और जब हम अपने अंदर की भूतिया ताक़त को पहचान लेते हैं, तो हम डर से मुक़ाबला कर सकते हैं।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख : भूतिया लोटा हमें यह सिखाता है कि हमारे अंदर के डर और भ्रम हमें वास्तविकता से दूर ले जाते हैं। हमें अपने अंदर की साहसिक शक्तियों को जागृत करने की आवश्यकता है और सच्चाई को देखने की क्षमता को विकसित करनी चाहिए। जब हम अपने अंदर के साहस को जागृत करते हैं, तो हम सभी परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं और अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।



     भूत का लकड़ी का ऑटो रिक्शा

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गाँव में एक भयानक कहानी घटी। इस कहानी का नायक था एक आदमी जिसका नाम रामू था। रामू गाँव के बाहर शहर में एक ऑटो रिक्शा चलाता था। उसका ऑटो रिक्शा काफी पुराना और टूटा-फूटा था, लेकिन वह उसे बहुत प्यार से संभालता था।

    एक दिन, रामू को दुर्भाग्य से एक बड़ी बीमारी हो गई। वह बेहोश होकर अस्पताल में ले जाया गया। जब उसके परिवार ने डॉक्टर से पूछा कि उसकी स्थिति कैसी है, तो डॉक्टर ने कहा कि रामू की स्थिति गंभीर है और उसे जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। रामू के परिवार ने बहुत चिंता की और दुआएँ मांगी, ताकि रामू जल्दी से ठीक हो जाएं।

    जब रामू अस्पताल में भर्ती हो गए, तो उसके ऑटो रिक्शा को बेहोशी के समय खड़ा चोड़ दिया गया। एक दिन, रात के समय जब सब लोग सो रहे थे, तभी उस ऑटो रिक्शे में एक भूत आ गया। वह भूत बहुत डरावना दिख रहा था और रात के अंधेरे में उसका साया डरावना महसूस हो रहा था। भूत ने अपनी वाणी से कहा, "रामू, तू मेरे ऑटो रिक्शे को छोड़ दे। वह अब तेरी नहीं है। मैं इसे अपने वश में कर लूँगा।"

    रामू ने भूत को देखा और बिना डरे कहा, "नहीं, तुम मेरे ऑटो रिक्शे को छोड़ दो। मैं इसे तुम्हारे पास नहीं छोड़ूंगा। यह मेरी जिम्मेदारी है और मैं इसका ध्यान रखता हूं।"

    भूत बहुत चिंतित हुआ और चिल्लाने लगा, "मुझे मेरे ऑटो रिक्शे को वापस चाहिए। मैं तुझे बहुत बड़ा नुकसान पहुँचा सकता हूं।"

    रामू फिर भी हिम्मत नहीं हारा और बोला, "मुझे डर नहीं है। मैं जानता हूं कि तुम सिर्फ एक भूत हो और तुम्हारा वास्तव में कोई शक्ति नहीं है। मुझे अपने ऑटो रिक्शे पर भरोसा है और मैं जानता हूं कि वह मुझे कभी धोखा नहीं देगा।"

    भूत चिल्लाने लगा और चला गया। उसके चले जाने के बाद, रामू अपने ऑटो रिक्शे को फिर से वापस अपने पास लाया। जैसे ही वह उसमें बैठा, रिक्शा उसमें जान से ज्यादा खुश था।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख  सिख मिलती है कि डर को हमें कभी भी अपने दिल से निकालना चाहिए। अक्सर हमारे दिमाग में विभिन्न भयानक ख्यालात आते हैं, जो हमें हिम्मत और साहस से रुकते हैं। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि डर वास्तव में वास्तविक नहीं होता है। हमें अपने ऑटो रिक्शे की तरह, अपने अंदर के साहस और विश्वास को पहचानना चाहिए और उस पर भरोसा करना चाहिए। जब हम डर को पार करते हैं, तो हम सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।



    पागल भूत की मज़ेदार कहानी

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गाँव में एक पुराने हावड़ी में एक पागल भूत रहता था। यह भूत बहुत ही अजीब और मस्ती भरा था। वह हमेशा हंसता, गाता और डांस करता रहता था। इसलिए, गाँव के लोग उसे 'मुस्कान भूत' भी कहते थे।

    मुस्कान भूत एक रोज़ गाँव में खेल रहा था जब उसे एक छोटी सी बच्ची ने देख लिया। बच्ची का नाम रिया था। रिया भूत को देखकर बड़ी ही चकित हो गई। वह दिलचस्पी से पूछने लगी, "तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रहे हो?"

    मुस्कान भूत ने रिया को देखा और बड़े प्यार से बोला, "हे रिया, मैं एक पागल भूत हूँ जो हमेशा खुशी और मस्ती से भरा रहता हूँ। मुझे यहाँ मनोरंजन करने के लिए आता है।"

    रिया बड़ी ही रोचक कथा सुनने के लिए उत्सुक थी। उसने पूछा, "क्या तुम मुझे भी अपनी कोई मस्ती वाली कहानी सुना सकते हो?"

    मुस्कान भूत ने रिया को एक मज़ेदार कहानी सुनाई। वह कहानी थी "भूतिया चोंचवड़ी की रहस्यमयी यात्रा।" इसमें एक खोज करने वाले और साहसी चिड़िया ने भूतिया चोंचवड़ी में रहने वाले भूतों की मदद की थी। वे साथ मिलकर एक सफल यात्रा पूरी करते हैं। यह कहानी बच्चों को बड़े रोचक लगी और वे मुस्कान भूत को धन्यवाद देकर खुशी खुशी घर लौटे।

    रिया बड़ी खुश थी और उसने पूछा, "मुस्कान भूत, क्या तुम मुझे और कहानियाँ सुनाओगे?"

    मुस्कान भूत बड़े प्यार से उत्साहित होकर बोला, "हां, बिलकुल! और भी बहुत सारी मस्ती वाली कहानियाँ हैं। हम हर रोज़ मिलकर एक नई कहानी सुनाएंगे।"

    इससे रिया बहुत खुश हुई और उसका मन मुस्कान भूत के साथ मस्ती करने को तैयार हो गया। यह दिन से रिया और मुस्कान भूत की बनी दोस्ती शुरू हुई। वे हर रोज़ खेलने, हँसने और मस्ती करने में लगे रहते थे।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख मिलती है कि हमें जीवन में हमेशा प्रसन्नता और खुशी का महत्व रखना चाहिए। हमें जीवन की छोटी-बड़ी सुखद बातों में खुश रहना चाहिए और उन्हें सबसे अच्छे तरीके से उठाना चाहिए। दूसरों के साथ मिलकर मस्ती करना हमारे जीवन को और भी खुशनुमा बना देता है।


    जादुई सोने की बकरी 

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक गांव में एक गरीब लड़का नाम था राजू। राजू के पास बहुत ही अच्छी संवेदनशीलता थी और वह दूसरों की मदद करने में बड़ा रुचि रखता था। एक दिन, जब वह खेतों में बकरियों को चराने जा रहा था, तो उसने एक अजीब दिखने वाली बकरी को पाया।

    बकरी बहुत खूबसूरत दिख रही थी और उसके सर पर सोने की चमकती हुई सीमा थी। राजू देखकर हैरान हुआ और सोचने लगा, "यह बकरी इतनी सुंदर है और उसके सर पर सोने की सीमा है! क्या यह बकरी जादुई है?"

    राजू ने उस बकरी को आस-पास देखना शुरू किया और तोते की तरह अवाज़ में बोला, "बकरी, तुम क्या जादुई हो? क्या मैं तुम्हें अपने घर ले जाऊँ?"

    बकरी ने धीरे से बोला, "हां, राजू, मैं जादुई हूँ। मेरे सर पर सोने की सीमा है, और जिसके पास मैं रहती हूँ, उसको हर सप्ताह में एक बार जो भी विचार सच्चा होगा, उसे सोने का नग़दी आभूषण मिलता है।"

    राजू को यह सुनकर बड़ा खुशी हुई और उसने बकरी को अपने घर ले जाने का फ़ैसला किया। उसने बकरी की खूब सेवा की, उसके लिए समय समय पर खाना और पानी लगवाया और उसे प्यार से देखभाल किया।

    एक दिन, राजू ने अपने मित्र राहुल को अपने घर बुलाया और उसे अपनी जादुई बकरी के बारे में बताया। राजू ने राहुल से कहा, "तू भी बकरी को अपने विचार बता और देख जादू का कमाल।"

    राहुल को भी राजू की बातें सुनकर बड़ी रुचि हुई और वह बकरी के सामने जा कर बैठ गया। उसने ध्यान से सोचा और सच्चाई का विचार किया। तोते की तरह उसने बकरी को कहा, "बकरी, तुम बहुत खूबसूरत हो, लेकिन तुम्हारी जादू की कहानी मुझे थोड़ी सी अजीब लगती है। मैं सोने के नग़दी आभूषण का इस्तेमाल करने की जगह खुद मेहनत करके और इन्सानों की मदद करके अपने अच्छे कर्मों को बढ़ाना चाहता हूँ।"

    बकरी ने राहुल के उत्तर को सुनकर बड़ी प्रसन्नता से देखा और बोला, "राहुल, तुमने सच्चाई को पहचाना है। मुझे तुम्हारे जैसे सच्चे मित्रों की आवश्यकता है।" बकरी ने राहुल को धन्यवाद दिया और उसे एक सोने का बड़ा नग़दी आभूषण दिया।

    राहुल को बड़ी खुशी हुई और उसने बकरी को धन्यवाद दिया। फिर से ध्यान से सोचकर राहुल ने सोचा, "इस सोने के आभूषण का इस्तेमाल मैं जिम्मेदारी और भलाई के लिए करना चाहता हूँ।" उसने सोने का आभूषण लेकर एक स्कूल बनवाया जहाँ गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा मिलती थी। राहुल ने उस स्कूल में बच्चों की मदद की और उन्हें खुशियों से भर दिया।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली  सिख मिलती है कि हमें सोने और संपदा की पीछे न भागना चाहिए, बल्कि अपने कर्तव्यों को पूरा करने और अच्छाई के मार्ग में अपने सामाजिक ज़िम्मेदारियों को संभालने का प्रयास करना चाहिए। जब हम सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं और दूसरों की मदद करते हैं, तो जादुई सोने के साथ साथ खुशियों और आनंद की भरमार हमारे जीवन में आती है।


    चतुर चोर - एक मज़ेदार कहानी

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गांव में रहता था एक चोर जिसका नाम था राजू। राजू बहुत ही चालाक और चतुर था। उसका एक ही मकसद था - दूसरों से चीज़ें चुराकर अमीर बनना। वह हमेशा नई-नई योजनाएँ बनाता और लोगों को धोखे से चीज़ें चुराता रहता था।

    एक दिन, राजू ने एक बड़े और अमीर किसान के खेत से अनाज की लूट करने का सोचा। वह अच्छे से प्लान बनाया और रात के समय अनाज के खेत पहुँचा। वह ध्यान से देखता रहा और उनके नज़दीक जाने का वक्त आते ही वह अनाज के बोरे में घुस गया और जब सभी सो रहे थे, तब उसने बोरे को बड़ी हुशियारी से बहार खींच लिया। फिर राजू खुशी-खुशी अपने घर लौट गया।

    जब अमीर किसान ने सुबह खेत में जाकर अनाज के बोरे की जाँच की, तो उसे देखकर बड़ा दुख हुआ। उसने खेत के अन्य किसानों को बताया और सभी मिलकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने जल्दी से राजू को गिरफ्तार किया और उसे अनाज के चोरी करने का आरोप लगाया।

    राजू को अब सजा होने की घड़ी आ गई थी। वह राजा के सामने पेश हुआ और राजा ने पूछा, "तुम्हारे खिलाफ बड़ी सीरियस चार्जेज लगे हैं। तुम्हारा जवाब क्या है?"

    राजू बड़ी ही धैर्य और चालाकी से बोला, "महाराज, मैं कभी भी आपके खेत से अनाज नहीं चुराता। मुझे यकीन है कि आपकी चार्जेज गलत हैं।"

    राजा बड़े समझदार थे और उन्हें राजू की चालाकी समझ में आ गई। वे बोले, "अच्छा, यदि तुम ने वाकई मेरे खेत से अनाज नहीं चुराया है, तो तुम्हें अपनी नीयत दिखानी पड़ेगी।"

    राजू ने बड़ी ही स्वच्छ नीयत के साथ जवाब दिया, "महाराज, मैं वाकई आपके खेत से अनाज नहीं चुराता हूँ। और मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आपके खेत में एक और चोर है जिसका नाम भी मुझे नहीं पता।"

    राजा बड़े चकराये हुए थे और उन्होंने पूछा, "क्या तुम उस चोर को पकड़ने में मदद करोगे?"

    राजू बड़ी सावधानी से बोला, "महाराज, मैं आपकी सेवा में तैयार हूँ।"

    राजा ने तुरंत पुलिस को उस चोर को पकड़ने का आदेश दिया। चोर गिरफ्तार हो गया और अनाज की चोरी का सच सामने आ गया।

    राजा ने राजू को धन्यवाद दिया और उसे बड़ा सम्मान दिया। उसने राजू की समझदारी और चालाकी की सराहना की और उसे अपने मंत्री मंडल में शामिल कर दिया।

    इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि चतुरता और बुद्धिमानी से हम किसी भी मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं। जिन लोगों को धोखे से चीज़ें चुराने का सोचते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि उनकी बुद्धिमानी और चतुरता का इस्तेमाल सफलता की दिशा में करें, न कि नकारात्मक कामों में। यदि हम अपनी बुद्धिमानी का उचित इस्तेमाल करते हैं, तो हमेशा सफलता हासिल कर सकते हैं।


    गैस सिलेंडर बेचने वाली चुड़ैल 

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गाँव में राहुल नामक लड़का रहता था। राहुल बहुत ही अच्छा और मेहनती बच्चा था। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक-ठाक थी, लेकिन वह और अधिक पैसे कमाने के लिए एक और काम करने की सोच रहा था। उसके पास एक बड़ा सा सारा बेचने का काम था, और वह अपने गांव में अधिक लोगों को अपने सिलेंडर खरीदने के लिए ढूंढ रहा था।

    एक दिन, राहुल अपने सिलेंडर बेचने के काम के लिए एक आगंतुक द्वारा एक बड़े मार्केट में जा रहा था। वह उम्मीदवार बहुत ही खुश और उत्साहित था क्योंकि यह सिलेंडर बेचने से उसे एक अच्छा पैसा मिलता था।

    राहुल बाज़ार में पहुँचा और वहाँ अपने सिलेंडर को बेचने की कोशिश करने लगा। लेकिन किसी कारण से उसका सिलेंडर खरीदने का कोई भी ग्राहक नहीं था। वह बहुत परेशान हो गया और ऊपर देखने पर उसे एक सुंदर लड़की दिखाई दी, जो उसकी ओर हँस रही थी।

    राहुल ने उस लड़की से पूछा, "तुम क्यों हँस रही हो? मेरे सिलेंडर का मामूला काम तो तुम्हें हंसी आ रही है?"

    चुड़ैल कहीं नहीं रही। अब हमारे राहुल को यकीन हुआ कि यह लड़की एक चुड़ैल थी। वह बहुत डर गया और उसने तुरंत अपने सिलेंडर को खींचा और दौड़कर घर लौट आया।

    राहुल घर पहुँचते ही अपने मित्रों को सबकुछ बताया और उन्हें यह भी कहा कि उस चुड़ैल को उसे बेचने नहीं दिया।

    राहुल के मित्र उसके बयान से हँसी में भड़क उठे और उन्होंने कहा, "राहुल, यह सच्ची बात नहीं हो सकती है। चुड़ैलें सिर्फ कहानियों और फिल्मों में होती हैं।"

    राहुल ने कहा, "मुझे खुद भी यही लगता था, लेकिन मैंने खुद देखा है, वह लड़की चुड़ैल थी। उसने मेरे सिलेंडर का मज़ाक बनाया था।"

    राहुल के मित्रों ने राहुल की बातों को लेकर अच्छी तरह से हँसा और उन्होंने कहा, "राहुल, तुम अच्छे और मेहनती बच्चे हो। शायद तुम्हारे सिलेंडर को खरीदने के लिए कोई ग्राहक नहीं था, लेकिन यह नहीं मतलब कि चुड़ैलें वाकई होती हैं। बिलकुल नहीं! तुम्हें अपने काम पर ध्यान देना चाहिए और अपने उद्देश्य को पूरा करने में मेहनती रहना चाहिए। अगर तुम मेहनत करोगे, तो अवश्य ही सफल होओगे।"

    राहुल ने अपने मित्रों की बातों को मन लिया और वह फिर से बेचने के लिए गैस सिलेंडर ले गया। इस बार उसके सिलेंडर को कुछ ही समय में एक ख़ुश ग्राहक ने ख़रीद लिया।

    राहुल को ख़ुशी हुई और उसने अपने मित्रों को धन्यवाद दिया। वह समझ गया कि मेहनत और सतर्कता के साथ उसे अपने लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख  मिलती है कि हमें सभी बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए और चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। अगर हम मेहनती और सतर्क रहते हैं, तो हम हमेशा सफल हो सकते हैं। बस हमें अपने काम पर ध्यान देना और मेहनत करना होगा।


    बच्चा चोर चुड़ैल

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गाँव में रहता था एक बच्चा चोर। उसका नाम था रमू और वह बहुत ही शरारती और नाकारात्मक बच्चा था। रमू बड़े से बड़े चीजों को चुरा लेता और उन्हें छिपाने में बड़ी चालाकी दिखाता था। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि एक चुड़ैल उसके गाँव में रहती थी और वह उसकी हर चाल को देख रही थी।

    एक दिन, रमू बड़े मेले में गया और वहाँ बहुत सारी चमत्कारिक चीजें देखने को मिली। उसने एक चमत्कारी झाड़ू देखा और सोचा, "यह झाड़ू तो बहुत ही ख़ास है। मैं इसे अपने गाँव ले जाऊँगा और उससे बहुत पैसे कमाऊँगा।" रमू ने झाड़ू चुरा लिया और खुशी-खुशी वापस गाँव लौट आया।

    चुड़ैल ने रमू को देखा और उसे अपने झाड़ू को चुराते हुए देख लिया। वह बहुत गुस्से में आ गई और रमू को डरा-धमकाकर उस झाड़ू को उसे वापस देने को कहा।

    रमू बड़ी मुश्किलों में फँस गया। वह जानता था कि झाड़ू वापस देने से उसे सजा मिलेगी, लेकिन उसे झाड़ू रखकर भी वह उसे नहीं बच सकता था।

    इस समय एक बुजुर्ग व्यक्ति वहाँ से गुज़र रहा था। उसने रमू को देखा और पूछा, "बेटा, तुम इतने परेशान क्यों दिख रहे हो?"

    रमू ने बताया, "दादा, मैंने यह झाड़ू चुराया था, लेकिन एक चुड़ैल ने मुझे पकड़ लिया है और वह इसे वापस चाहती है। अगर मैं इसे वापस दूँगा तो मुझे सज़ा मिलेगी, और अगर मैं इसे रखकर भी छुटकारा पाऊँ तो भी मुझे सज़ा मिलेगी।"

    बुजुर्ग व्यक्ति ने रमू को समझाया, "बेटा, सच्चाई और ईमानदारी हमेशा सफलता के मार्ग में ले जाती है। तुम झाड़ू को वापस दो, चुड़ैल को सच्चाई बताओ और उससे माफी मांगो। शायद वह तुम्हें माफ कर दे और तुम्हें सज़ा से बचा ले।"

    रमू ने बुजुर्ग व्यक्ति की सलाह मानी और वह झाड़ू को वापस चुड़ैल को देने चला गया। जैसे ही उसने चुड़ैल को सच्चाई बताई और माफी मांगी, चुड़ैल बड़ी मुस्कराहट के साथ उसे माफ कर दिया।

    रमू बड़ी ख़ुशी से वापस घर आया और उसने बुजुर्ग व्यक्ति को धन्यवाद दिया। उसने सीख लिया कि ईमानदारी हमेशा सफलता के रास्ते में सहायक साबित होती है। उसकी दिलचस्प कहानी गाँव के सभी लोगों के बीच मशहूर हो गई और रमू के बदले उसे "बच्चा ईमानदार" के नाम से जाना जाने लगा।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख : बड़े या छोटे, हर इंसान को ईमानदार और नेक रास्ते पर चलना चाहिए। जिसे हम देखने से डरते हैं, वह आज सही हो सकता है और कल गलत हो सकता है। सच्चाई और ईमानदारी हमेशा सफलता के रास्ते में सहायक होती हैं।


    मुर्गी बेचने वाला भूत 

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गाँव में एक नाचने वाला भूत रहता था। वह भूत बहुत ही मस्तीभरा और खुशनुमा था। उसे नाचने का बहुत शौक था और वह रोज़ाना गाँव के बड़े मेले में आता और लोगों को खुश करता था।

    एक दिन, भूत ने सोचा, "मैं हर रोज़ नाचता हूँ और लोग मुझे खूबसूरती से नाचते देखकर मुझसे प्रशंसा करते हैं। लेकिन क्या वाकई में मैं इतना खूबसूरत हूँ? शायद लोग सिर्फ मेरे नाच को देखने में खुश होते हैं।" भूत ने अपनी ख़ूबसूरती की जाँच करने का मन बनाया।

    फिर एक दिन, भूत ने एक मुर्गी को बेचने का विचार किया। उसने सोचा, "जैसे मुझे नाचने का शौक है, वैसे ही मुर्गी को अंडे देने का शौक है। वह अपने बच्चों के लिए अंडे देगी और मैं अपने नाच से खुशी बढ़ाऊंगा।"

    भूत ने गाँव के बजार में जाकर एक मुर्गी खरीदी। वह खुशी से बोला, "अब मैं तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हें अंडे दूंगा।" मुर्गी भूत को आभारी होकर बोली, "धन्यवाद। मैं अपने बच्चों के साथ बहुत खुश हूँ।"

    भूत और मुर्गी दोनों साथ रहने लगे। भूत अब मुर्गी के साथ नाचने का शौक करने लगा। वह मुर्गी को नाचते देखकर खुश होता और मुर्गी भी अपने अंडे देने से खुश रहती।

    एक दिन, भूत ने अपने दोस्त सांप से कहा, "तुम्हें देखो, मुझे मुर्गी के साथ रहकर कितनी खुशी मिलती है। लोगों को भी मैं खुश करता हूँ और मुर्गी को भी अंडे देने से खुशी होती है।"

    सांप ने मुस्कराते हुए कहा, "वाक़ई भईया, तुम और मुर्गी एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छे हो। तुम देखो, जब तुम खुश रहते हो और मुर्गी भी खुश रहती है, तो हम लोग भी तुम्हारे नाच का आनंद लेते हैं और मुर्गी भी हमें अंडे देने में खुश होती है। तुमने बड़ा सच्चा मित्र पाया है।"

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख : हमें दूसरों के साथ सदैव अच्छे व्यवहार करना चाहिए। अगर हम दूसरों को खुश रखते हैं, तो हमें भी खुशी मिलती है और दूसरे हमें प्यार करते हैं। इससे हमारा संबंध और मित्रता मज़बूत होती है और हम अच्छे रिश्ते का आनंद लेते हैं।


    गरीबों को पढ़ाने वाला भूत

     भूत की कहानी बच्चों की

    एक छोटे से गांव में एक पुराने मंदिर में एक भूत रहता था। वह भूत बहुत ही अच्छा और दयालु था। उसका नाम था भोलू। भोलू गांव के लोगों की मदद करने में बहुत खुश रहता था और उसकी मदद से लोगों की समस्याएं हल हो जाती थी।

    एक दिन, भोलू ने गांव के सभी बच्चों को बुलाया और कहा, "मेरे प्यारे बच्चों, मैं देखता हूँ कि बहुत सारे बच्चे यहाँ स्कूल नहीं जा पाते हैं। तुम्हारी पढ़ाई का हक़ तुम्हें भी मिलना चाहिए। इसलिए, मैं तुम्हें सभी को पढ़ाई के लिए एक स्कूल खोल रहा हूँ।"

    बच्चे बड़े ही खुश हो गए और उन्होंने भोलू को धन्यवाद दिया। उन्होंने उस दिन से स्कूल जाना शुरू कर दिया। भोलू खुशी से देख रहा था कि गांव के सभी बच्चे स्कूल जा रहे थे और उनकी पढ़ाई का सफर आरंभ हो गया था।

    भोलू के द्वारा स्कूल खोलने की ख़बर जल्द ही और दूर तक फैल गई। एक दिन, भूत के यह कार्यक्रम के बारे में एक अमीर व्यक्ति को सुनाई दी। वह अमीर व्यक्ति जानने के लिए बच्चों के साथ भूत के पास पहुंचा और उसने पूछा, "भोलू, तुमने इतनी अच्छी काम किया है, लेकिन तुम एक भूत हो। तुम्हें इतने बड़े काम का हक़ तो नहीं है।"

    भोलू ने मुस्कराते हुए कहा, "मुझे यह भूल मत जाने दो, मेरे दोस्त, कभी-कभी हमारे पास ख़ासीयत होती है, जो दूसरों को मदद करने में सक्षम बनाती है। मैं इस स्कूल को खोलकर गांव के गरीब बच्चों को पढ़ाई का सफर आसान बना रहा हूँ। इससे मेरा खुशी से कोई वास्ता नहीं है।"

    अमीर व्यक्ति ने भोलू की नैतिकता और दयालुता को देखकर उसे सलाम किया और उसने भी इस स्कूल की सहायता की। स्कूल खोलने से गांव के सभी बच्चे बड़े ही खुश थे और उनकी पढ़ाई का सफर आसान हो गया।

    भूत की कहानी हिंदी में से मिलने वाली सीख : हमें दूसरों की मदद करने में कोई भी काम छोटा नहीं होता। दया और नैतिकता से हम दूसरों की जिंदगी को सुंदर बना सकते हैं। गरीबी की वजह से अधिकतर बच्चे शिक्षा से वंचित रहते हैं, लेकिन हम एक-दूसरे की मदद करके उन्हें सिखाने में सक्षम बना सकते हैं। इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें दूसरों के लिए उदार दिल से मदद करनी चाहिए और उन्हें उनके सपनों को पूरा करने में सहायता करनी चाहिए।


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