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टोनी चिड़िया और राजा की कहानी

 आज की इस कहनीय मे आप सभी पढ़ने वाले है  टोनी चिड़िया और राजा की कहानी क्यूंकी इसी तरह की टोनी चिड़िया और राजा की कहानी पढ्न बच्चो को बहुत अच्छा लगता है और आज की इस टोनी चिड़िया और राजा की कहानी मे आपको 2023 की बिलकुल और नयी कहानिया पढ़ने को मिलेंगी तो चलिये शुरू करते है टोनी चिड़िया और राजा की कहानी

टोनी चिड़िया और राजा की कहानी

टोनी चिड़िया और राजा की कहानी

एक जंगल में टोनी नामक एक खूबसूरत चिड़िया रहती थी। वह बहुत ही प्यारी और समझदार थी। वह जंगल के सभी पशुओं की दोस्त थी और सभी उसे पसंद करते थे।


एक दिन, टोनी जंगल के राजा से मिलने के लिए गई। राजा के दरबार में पहुंचकर टोनी ने राजा से बधाई दी और उसे एक छोटा सा उपहार भी दिया। राजा ने टोनी का स्वागत किया और उसे अपने साथ बैठाया।


टोनी ने राजा को धन्यवाद किया और बताया कि वह खुशी के साथ अपने जंगल में रहती है और सभी पशुओं के साथ मिलकर खेलती है। राजा ने टोनी के खुशियों को देखकर खुद भी खुश हो जाया।


बाद में, राजा ने टोनी से पूछा, "टोनी, तुम्हें कौन-कौन से उपहार पसंद हैं? क्या मैं तुम्हें कुछ और उपहार दूं?" टोनी ने मुस्कराते हुए कहा, "राजा जी, मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मेरे लिए आपका स्नेह ही सबसे बड़ा उपहार है।"


राजा ने टोनी के ईमानदारी और समझदारी को देखकर उसे बहुत पसंद किया। वह टोनी की सच्ची मित्रता का अद्भुत अनुभव कर रहा था। इसके बाद से, राजा और टोनी दोनों अच्छे दोस्त बन गए और सबके सामंजस्यपूर्ण राजा की कहानी जंगल की बात बन गई।




चिड़िया और धोखेबाज कव्वा


एक छोटी सी चिड़िया थी जो एक जंगल में रहती थी। वह बहुत ही प्यारी और मस्तिष्की होती थी। उसकी दो पंख थे जिनसे वह उड़ सकती थी और पूरे जंगल में घूम सकती थी। वह हर दिन अपने दोस्तों के साथ खेलती और मस्ती करती रहती। उसे अपने दोस्तों के साथ बिताया हुआ समय सबसे अधिक प्रिय था।


एक दिन, जब चिड़िया अपने दोस्तों के साथ उड़ रही थी, तभी एक कव्वा उसे देखकर उसके पास आया। कव्वा बहुत ही धोखेबाज और चालाक होता था। वह चिड़िया की अच्छी मित्रता का फायदा उठाना चाहता था।


कव्वा चिड़िया के पास गया और बड़ी खुशी से बोला, "अरे, चिड़िया, कैसे हो? तुम बहुत ही खूबसूरत और समझदार हो।"


चिड़िया ने भी उसे हंसते हुए जवाब दिया, "धन्यवाद कव्वा। तुम भी बहुत ही चालाक और खुशमिजाज हो।"


कव्वा ने बड़ी मेहनत से एक योजना बनाई और चिड़िया को धोखे से फंसाने के लिए उसे फुसलाने लगा। उसने चिड़िया को कहा, "दोस्त, मैं एक बहुत ही सुंदर स्थान जानता हूँ जहां हम दोनों मिलकर बहुत मजा करेंगे। वहां बहुत सारे मीठे फल और खाने के चीज़ें होती हैं। चलो, वहां चलते हैं।"


चिड़िया ने भी उसके विचार को स्वीकार लिया और दोनों मिलकर वहां जाने लगे। पथ में, कव्वा ने बड़े ही धैर्य से अपनी योजना को पूरा किया और चिड़िया को एक गहरे खाई में ढकेल दिया। चिड़िया जब खाई में गिरी तो उसे बहुत दर्द हुआ। वह चिल्लाने लगी, "कव्वा, कृपया मेरी मदद करो! मुझे बाहर निकालो!"


कव्वा ने चिड़िया के चिल्लाने को सुना और जानबूझकर उसे बाहर नहीं निकाला। वह बदले में चिड़िया के दोस्तों को बुलाने लगा।


चिड़िया के दोस्त जौंड में खेल रहे थे, जब कव्वा ने उन्हें बुलाया। उसने उन्हें खाई की तरफ ले जाने का झूठा बहाना बनाया। चिड़िया के दोस्त बेवकूफ हो गए और उसे खाई में झकझोर कर चिड़िया को बाहर निकाल लिया।


चिड़िया बड़े दर्द से खाई से बाहर निकली और कव्वा को देखकर रोने लगी। उसने कव्वा से पूछा, "तुमने मेरी मित्रता का इस तरह फायदा उठाया? मैंने तुमसे कभी कुछ बुरा नहीं किया।"


कव्वा ने धोखेबाजी से बताया, "मुझे माफ कर दो चिड़िया, मैंने गलती की। मैं अब कभी भी तुम्हारे साथ धोखा नहीं करूंगा।"


चिड़िया ने कव्वा को माफ कर दिया और कहा, "यह तो अच्छा हुआ कि तुमने समय पर अपनी गलती समझ ली। धोखेबाजी से कुछ भी अच्छा नहीं होता। हमेशा सच्ची मित्रता का मान रखना चाहिए और अपने दोस्तों के साथ ईमानदारी से रहना चाहिए।"



चिड़िया और उसके 8 बच्चे

एक जंगल में एक बड़ी सी आकृति के पेड़ के नीचे एक छोटी सी चिड़िया अपने आराम से घोंसला बना रही थी। उसके घर में उसके छोटे-छोटे आठ बच्चे भी थे। वे सभी खेल-खिलौनों से भरे हुए थे और चिड़िया उन्हें खाने और सुरक्षित रखने में बहुत प्रेम करती थी।


एक दिन, जब चिड़िया अपने बच्चों के साथ खेल रही थी, तभी आसमान में एक विमान दिखाई दिया। विमान ने जंगल में उड़ान भरी और धूम-धाम से जमकर उड़ान भरी। चिड़िया और उसके बच्चे उसे देखकर हैरान रह गए।


विमान थोड़ी देर में दूर जा कर एक विशालकाय वृक्ष के नीचे उतर गया और वहां रुक गया। चिड़िया को देखकर विमान ने कहा, "नमस्ते चिड़िया! मैं एक दूरसंचार कंपनी का विमान हूँ। मैंने आपके इलाके में नए दूरसंचार टावर की स्थापना की है।"


चिड़िया बच्चों के साथ विमान के पास गई और पूछा, "टावर क्या होता है?"


विमान ने बताया, "टावर एक ऊंचा संरचना होती है, जिसमें बड़े-बड़े एंटीना लगे होते हैं। इन एंटीना से हम दूरसंचार के संकेत भेजते हैं और लेते हैं। इससे हमारी दूरसंचारा की सुविधा बढ़ जाती है।"


चिड़िया ने रुचि दिखाई और पूछा, "क्या हमारे लिए भी कोई फायदा है?"


विमान ने कहा, "बिलकुल हाँ! यह टावर बहुत सारी जानवरों के लिए फायदेमंद होगा। इससे आप अपने समूह के सभी सदस्यों के साथ आसानी से संपर्क में रह सकते हैं। आप अपने बच्चों को खोजने में आसानी होगी और उनकी सुरक्षा भी होगी।"


चिड़िया ने विमान के बात से बहुत खुशी हुई और उसने धन्यवाद दिया। विमान ने बच्चों के लिए एक खास फ्रीक्वेंसी अलॉट कर दी और चिड़िया ने उसे बता दिया। अब चिड़िया और उसके बच्चे आसानी से दूरसंचार कर सकते थे और उनकी सुरक्षा भी हो गई।


इस तरह, चिड़िया और उसके बच्चे ने नए दूरसंचार टावर के साथ मिलकर जंगल में एक नया और सुरक्षित जीवन बना लिया। अब वे अपने समूह के सभी सदस्यों के साथ बिना किसी परेशानी के मिल सकते थे और खुश रह सकते थे। इससे चिड़िया को और उसके बच्चों को खुशी मिली और वे अपने नए दोस्त विमान का धन्यवाद करते रहे।



चिड़िया के अंडे और लोमड़ी

चिड़िया एक सुंदर और मिठी सी पक्षी थी। वह एक छोटे से गांव में रहती थी और उसके पास एक छोटा सा गोंद होता था, जिसमें वह अपने अंडे रखती थी। चिड़िया को अपने अंडे बहुत प्यारे थे और उसकी यही ख्वाहिश थी कि उसके अंडे सुरक्षित रहें।


एक दिन, जब चिड़िया अपने अंडे को देखने गोंद पर वापस आई, तो उसने देखा कि एक लोमड़ी उसके अंडे को चुरा ले गई थी। चिड़िया को बहुत दुख हुआ और वह रोने लगी। उसे यह देखकर गोंद के सारे पड़ोसी पक्षियों को भी दुख हुआ और वे सभी उसे साथ देने आए।


बुढ़िया गांव की एक बुढ़िया चिड़िया थी, जो अपने जीवन के अनेक संघर्षों का सामना कर चुकी थी। उसके पास बड़े बड़े संघर्ष की कहानियां थीं, जिन्हें सुनकर सभी पक्षियों को बड़ा सबक मिलता था। इसलिए वे सभी उस बुढ़िया चिड़िया का आदर करते थे और उसकी सलाह का ध्यान रखते थे।


बुढ़िया चिड़िया ने अपनी अनुभवों से कहा, "मेरे बच्चे, संघर्ष से ही सफलता मिलती है। हमेशा अपने लक्ष्य की ओर ध्यान दो और दृढ़ संकल्प से काम करो, तो सफलता जरूर मिलेगी।"


इसे सुनकर चिड़िया ने नया संकल्प लिया कि वह अपने अंडे को बचाने के लिए लोमड़ी से संघर्ष करेगी। वह बड़े जोश से चली गई और लोमड़ी को पीछे छोड़ दिया। बढ़ते कदम लगाते हुए वह अपने अंडे को वापस प्राप्त कर आई।


चिड़िया को यह सफलता मिली इसलिए कि वह नहीं घबराई और संघर्ष के बिना नहीं हारी। उसने अपने लक्ष्य की ओर पक्का संकल्प बनाया और जीत हासिल की।


इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि संघर्ष से ही सफलता की प्राप्ति होती है। विपरीत परिस्थितियों में भी हमें अपने लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए और निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। असफलता के दौरान हमें नहीं घबराना चाहिए और संघर्ष को त्यागने की जगह हमें अधिक प्रयास करना चाहिए। इससे हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।



एक रोटी और दो चिड़िया

एक गांव में एक छोटी सी चिड़िया रहती थी। वह चिड़िया बहुत मेहनती और सजग थी। रोज़ाना वह रोटी के छोटे-छोटे टुकड़ों को उड़ाकर अपने बच्चों को खिलाती थी। वह चिड़िया और उसके बच्चे बहुत प्यारे और संबले हुए थे। लेकिन एक दिन, वह रोटी का एक टुकड़ा अपने बच्चों को नहीं खिला पाई।


चिड़िया बहुत परेशान हुई और उदास हो गई। उसे अपने बच्चों के लिए कुछ खिलाना था, लेकिन उसके पास और कोई रोटी नहीं थी। वह विचलित होकर चिंतित हो गई। फिर उसने सोचा, "आज मुझे खुद के लिए कुछ भी नहीं खाना पड़ेगा, लेकिन मेरे बच्चों को तो खिलाना ही है।"


चिड़िया ने सोचा, सबसे पहले मैं अपने बच्चों को रोटी खिलाऊंगी और फिर कहीं और से कुछ खाकर अपना पेट भर लूंगी। वह अपने बच्चों के पास गई और रोटी का टुकड़ा उड़ाकर उन्हें खिलाने लगी। चिड़ियां बहुत खुश हुईं और अपनी मां के साथ रोटी खाने का आनंद लेने लगीं।


चिड़िया ने अपने बच्चों को रोटी खिलाने के बाद वह जंगल के आगे की ओर उड़ गई। वह दूसरे गर्मियों के पेड़ों पर घूमने लगीं और खोजने लगीं कि कहीं और से कुछ खाने को मिल जाए। अचानक उसने एक पेड़ के ऊपर एक छोटे से पैकेज को देखा। वह पैकेज खुला और उसमें सभी पक्षियों के लिए रोटी के टुकड़े थे।


चिड़िया बहुत खुश हुईं और उस रोटी के पैकेज को लेकर वापस अपने बच्चों के पास आ गई। उसने रोटी के टुकड़े उड़ाकर अपने बच्चों को खिलाना शुरू किया। चिड़ियां बहुत खुश थीं कि उसे खुद के लिए भी खाने को मिल गया और उसके बच्चों के लिए भी। उस दिन से चिड़िया ने सभी पक्षियों के साथ अपनी रोटी बांटना शुरू किया और सभी पक्षियों को खुश रखने का संकल्प बनाया। उसे अपनी एक छोटी सी कठिनाई के बाद भी सफलता मिली और उसकी मित्रता और मेहनत की कहानी हर किसी को प्रेरित करती थी।



गरीब किसान और चिड़िया

एक छोटी सी हरियाली वाली चिड़िया नदी के किनारे बहुत ही खुशी-खुशी उड़ रही थी। उसके पंखों की सुंदर झलक नदी का पानी में दिख रही थी। वह नदी में डूबने का मजा ले रही थी। उसकी खुशियां देखकर अन्य पक्षियों को भी खुशी हो रही थी।


कुछ समय बाद, नदी में तेज़ धारा बहने लगी। चिड़िया को डूबने से बचने के लिए किसी उच्च स्थान पर उड़ जाना था, लेकिन उसके पंख इतने ताक़तवर नहीं थे। वह नदी के तेज़ पानी में डूबने लगी। विचलित होकर वह चीखने लगी, पर कोई भी पक्षी उसे नहीं सुन पा रहा था।


इसी समय, एक गरीब किसान जिसका नाम रामू था, वहां से गुजर रहा था। उसने चिड़िया को नदी में डूबते हुए देखा और उसकी मदद करने के लिए उसकी ओर दौड़ा। रामू नदी में जाकर चिड़िया को अपनी बाँहों में ले आया और उसे बचा लिया।


चिड़िया बहुत खुश थी और रामू के पास उसका धन्यवाद करने उड़ी। रामू ने उसे हंसते हुए कहा, "आपको धन्यवाद चिड़िया। आपकी मदद करके मुझे अच्छा लगा।" चिड़िया ने कहा, "धन्यवाद रामू! आपकी मदद के बदले मैं आपको एक विशेष वरदान दूंगी।"


चिड़िया ने अपनी परी शक्तियों से रामू को एक सफेद और चमकीली चीज़ दी। रामू ने वह चीज़ अपनी जेब में रख ली। वह चीज़ बहुत खूबसूरत दिख रही थी।


धीरे-धीरे रात हो गई और चिड़िया रामू के साथ विदाई लेने के लिए तैयार हो गई। वह रामू से बोली, "रामू, मैं चली जाती हूँ। पर याद रखना, जो चीज़ मैंने आपको दी है, वह आपके लिए बहुत ही मूल्यवान है। इसे आप कभी न बेचें और खोएं भी नहीं।" रामू ने अपने सिर से हाँ की और चिड़िया को विदाई दे दी।


घर पहुंचकर रामू ने वह चमकीली चीज़ देखी और सोचा, "चिड़िया ने जो चीज़ दी है, वह बहुत ही खूबसूरत है। मुझे इसे बेचने की क्या ज़रूरत है, मैं इसे खो नहीं सकता।"


इसी तरह वर्षों बीत गए। रामू की मेहनत और संघर्ष से उसकी खेती बहुत बढ़ गई। उसके खेतों में फसलें अच्छी उग रही थीं और उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो गया था।


एक दिन, रामू के खेत में आग लग गई। आग तेज़ी से फैल रही थी और रामू को अपनी मेहनत की प्राप्ति खतरे में थी। उसने देखा कि आग की राह पर वह चमकीली चीज़ पड़ी हुई है।


रामू को चिड़िया की बात याद आई और उसने जल्दी से वह चीज़ अपनी जेब से निकाली। वह देखते ही देखते आग को रोक दिया और अपनी खेती को बचा लिया।


रामू ने समझा कि वह चमकीली चीज़ चिड़िया द्वारा दी गई वरदान थी, जो उसे मेहनत से मिली थी। उसकी मेहनत और ईमानदारी ने उसे सफलता दिलाई और उसने इस चमकीली चीज़ की मदद से अपनी खेती को बचाया।


रामू ने अपने दोस्तों को चिड़िया की मदद की कहानी सुनाई और उन्हें सिखाया कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती और इमानदारी सबसे बड़ा सच्चा धन है। इस कहानी से सभी लोगों ने सीख ली कि अपने प्रयासों में वे सफल हो सकते हैं और ईमानदारी से जीवन जीने से वे हमेशा सफलता की सीढ़ी चढ़ सकते हैं।




चिड़िया और तितली

एक छोटी सी गुलाबी रंग की चिड़िया थी। वह अपने परिवार के साथ एक सुंदर और हरा-भरा जंगल में रहती थी। उसके परिवार के साथ हर दिन वह खुशी-खुशी घूमती और खाना-पीना करती थी। पर एक दिन, वह अपने परिवार से अलग हो गई और एक अजनबी और घने जंगल में चली गई।


वह दिन था बहुत गरमी का। सूरज उगने के साथ ही उस गुलाबी चिड़िया को बहुत गरमी महसूस होने लगी। वह ठंडे और सुहावने घर में वापस जाना चाहती थी, लेकिन उसने अपने घर का रास्ता भूल गई थी। वह यहां से वहां भटकती रही, पर रास्ता नहीं मिला।


वहां भटकते रहते हुए उसने एक भूरे रंग की तितली को देखा। तितली धीरे-धीरे उसकी ओर आई और पूछा, "हाय, गुलाबी चिड़िया! आप इतनी परेशान क्यों दिख रही हो?"


गुलाबी चिड़िया ने अपनी परेशानी सुनाई और बताया, "मुझे अपने घर का रास्ता भूल गई हूँ, और अब तक मुझे वापस जाने का सही रास्ता नहीं मिला है।"


तितली ने मुस्कराते हुए कहा, "कोई बात नहीं, दिखाईए मुझे आपका घर। मैं आपको वापस ले जाऊँगी।"


गुलाबी चिड़िया को तितली की दियी गई मदद की बहुत खुशी हुई। वह तितली के साथ चलने लगी। तितली ने उसे एक पुराने पेड़ के पास ले जाकर रास्ता दिखाया और गुलाबी चिड़िया को उसके घर तक पहुंचा दिया।


गुलाबी चिड़िया ने तितली का धन्यवाद किया और उसकी मित्रता के लिए शुक्रिया अदा किया। अब से वह खुशी-खुशी अपने घर में वापस आ गई और अपने परिवार के साथ खुशियों से रहने लगी।


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी घबराने या चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है। हमारे चारों ओर कई ऐसे लोग होते हैं जो हमारी मदद करने को तैयार होते हैं। हमें उनकी मदद का स्वीकार करना

 चाहिए और उन्हें धन्यवाद देना चाहिए। भले ही हम अपने घर का रास्ता भूल जाएँ, लेकिन अच्छे दोस्त हमें उसे फिर से पाने में मदद कर सकते हैं।


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