आज आप सभी लोग पढ़ने वाले है 2023 नई हाथी और भालू की कहानी क्यूंकी इसी तरह की hathi aur bhalu ki kahani पढ्न न्बच्छों को पढ्न बहुत अच्छा लगता है इस कहानी मे आपको बिलकुल नयी हाथी और भालू की कहानी पढ़ने को मिलने वाली है ।
वैसे भी हाथी और भालू की कहानी की कहानिया बहुत मज़ेदार होती है और इसे पढ़ कर बच्चो को बहुत हसी आती है तो चलिये शुरू करते है hathi aur bhalu ki kahani
हाथी और भालू की कहानी ( hathi aur bhalu ki kahani )
पुराने समय की बात है, एक जंगल था जिसमें विभिन्न जानवर आपस में बड़े खुशनुमा तरीके से रहते थे। वहां के सभी जानवर सदैव प्रकृति के संग अनुकूल रहते थे और एक दूसरे की सहायता करते थे। पूरे जंगल का राजा हाथी था, जिसे सभी जानवर सम्मान करते थे। हाथी के दोस्त मित्र थे भालू, जो कि भीड़ भड़ में रहना पसंद करते थे। दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताने में खुश रहते थे और उन्हें एक दूसरे पर बहुत गर्व था। यह उनकी दोस्ती उस समय के लिए बहुत खास थी, जब वे अपने दोस्तों के साथ विभिन्न रोमांचकारी सफरों पर निकलते थे।
एक दिन, हाथी ने भालू को आमंत्रित किया था अपने जंगल में विश्राम करने के लिए। भालू बहुत खुश थे और उन्होंने तत्पश्चात यात्रा की तैयारियां की। जब वे दोनों जंगल की यात्रा पर निकले, तो उन्हें अनेक सुंदर दृश्य दिखाई दिए। उन्होंने फूलों से सजी प्रकृति का आनंद लिया, झील के किनारे घूमा, और सुनसान स्थानों का भी अनुसरण किया।
धीरे-धीरे वे एक बड़े और घने जंगल में पहुंचे, जहां वन्य जीवों की गहरी आवाज सुनाई देने लगी। भालू थोड़ा घबरा गए, लेकिन हाथी ने उन्हें साबुरी से समझाया और कहा, "दोस्त, यह जंगल है, यहां हमें सभी जानवरों के साथ आदते बनानी होगी। हम उन्हें अपने मित्र बना सकते हैं।"
भालू ने हाथी के ज्ञान को अपने दिल में समाने का निर्णय किया और वे आगे बढ़ने लगे। वे जंगल के अंदर आगे बढ़ते गए और अचानक वे एक खास जगह पर पहुंचे, जहां विभिन्न जानवर एकत्र हो रहे थे।
यह एक प्राकृतिक समारोह था, जो वर्षा के आगमन का स्वागत करने के लिए आयोजित किया गया था। सभी जानवर आपस में नृत्य, गाने और खान-पान का आनंद ले रहे थे। हाथी और भालू ने भी इस समारोह में शामिल होने का निर्णय किया और वे सभी के बीच जाकर खड़े हो गए।
भालू ने अपनी बड़ी-बड़ी पंखुड़ियों से ताली बजाई और हाथी ने अपने बड़े से सींग से ताली बजाई। सभी जानवर खुशी से झूम उठे और वे नृत्य, संगीत और खाने-पीने का आनंद लेने लगे। हाथी और भालू भी सभी के साथ नृत्य करने लगे और उन्हें एक-दूसरे के साथ इतना मजा आया कि उन्होंने समय का पता नहीं चला।
धीरे-धीरे रात होने लगी और सभी जानवर घर जाने के लिए तैयार हो गए। हाथी ने भालू से कहा, "दोस्त, अब रात हो गई है, हमें घर जाना चाहिए।" भालू थोड़ा उदास हो गए, क्योंकि उन्हें जंगल में रहना बड़ा पसंद था। लेकिन उन्होंने भी समझ लिया कि अब रात हो गई है और उन्हें घर जाना जरूरी है।
वे दोनों मिलकर रास्ता पकड़े और वापस अपने घरों की ओर चल दिए। रास्ते में चलते चलते भालू ने कहा, "हाथी, हमने आज सचमुच बड़ा समय बिताया है। यह यात्रा हमारे बीच की दोस्ती को और मजबूत बनाएगी।"
हाथी ने प्रसन्नता से उत्तर दिया, "हां, भालू, आज का दिन हमारे लिए अनेक सुखद यादें लेकर आया है। यह जानवरों के बीच एकता का प्रतीक है। हम अब दिनभर के अनुभवों से सिख गए हैं कि हम अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हमें एक-दूसरे की इज़्ज़त करनी चाहिए और सहायता करनी चाहिए।"
वे दोस्त अपने घर पहुंच गए और आपसी विदाई के समय दोनों के आंसू निकल आए। भालू ने कहा, "हाथी, आज का दिन हमें सचमुच बहुत खास यादों से भर दिया है। मैं जानता हूं कि हम जल्द ही फिर से मिलेंगे और एक दूसरे के साथ नए सफर करेंगे।"
हाथी भी भालू के शब्दों से संतुष्ट थे और उन्होंने कहा, "हां, भालू, हम जल्द ही फिर मिलेंगे और नए सफरों का आनंद लेंगे। हमारी दोस्ती हमेशा सदा सुहावनी रहेगी।"
इस तरह, हाथी और भालू की अद्भुत दोस्ती जंगल के सभी जानवरों के बीच एक नई मिसाल बन गई। उन्होंने दिखाया कि अलग-अलग होने पर भी हम सहायता और समर्थन कर सकते हैं और एक-दूसरे की इज़्ज़त कर सकते हैं। उनकी दोस्ती और मिलनसार यात्रा उन्हें सच्चे दोस्त की पहचान दिलाने में सफल रही।
जंगल के जीवों के बीच हाथी और भालू की दोस्ती की कहानी उनके सद्बुद्धि, समर्थन और समरसता का प्रतीक बन गई। उनकी यह अद्भुत दोस्ती जीवन को एक सजीव और खुशनुमा बना देती थी और उन्हें जंगल के राजा होने का गर्व महसूस होता था। उन्होंने दिखाया कि अच्छे दोस्त हमेशा समय के साथ और जीवन की अनेक चुनौतियों में आपसी समर्थन करते हैं और सफलता के सफर को और सुंदर बना देते हैं।
भेड़िया बना जंगल का राजा ( hathi aur bhalu ki kahani )
एक पुराने समय के जंगल में एक बहुत खूबसूरत भेड़िया रहता था। उसके आकर्षक रूप और तेज दौड़ने की क्षमता से वह दूसरे सभी जानवरों के बीच मशहूर था। लेकिन दूसरी तरफ वह बहुत दुखी भी था क्योंकि जंगल के बाकी सभी जानवर उसे डर से दूर रहते थे। उसका सबसे खास दोस्त चीता था, जो उसके साथ हर समय रहता था। चीता भेड़िया के सच्चे मित्र था और हमेशा उसे आत्मविश्वास देता रहता था।
एक दिन, भेड़िया जंगल के एक बड़े पेड़ पर चढ़कर बैठ गया और सोचने लगा। उसका मन बहुत विचलित था क्योंकि वह जानना चाहता था कि उसे अपने दोस्तों के साथ एक नया अवतार धारण करना चाहिए। उसे यह सोचकर खुशी हुई कि चीता उसके पास आया।
चीता ने भेड़िया के पास बैठकर पूछा, "भेड़िया, आप यहां ऐसे अकेले क्यों बैठे हैं? कुछ परेशानी है क्या?"
भेड़िया ने दुखी मन से कहा, "हां, दोस्त, मुझे खुद को बदलने की आवश्यकता है। मैं चाहता हूँ कि लोग मुझे डर से नहीं बल्कि सम्मान से देखें।"
चीता ने प्यार से हँसते हुए कहा, "भेड़िया, तुम अपने असली रूप में खूबसूरत हो। तुम्हारी तेज दौड़ने की क्षमता को लोग बहुत प्रशंसा करते हैं। अपनी स्वाभाविकता को बदलने की कोशिश मत करो। लोग तुम्हें वैसे ही सम्मान देंगे जैसे अब भी करते हैं।"
भेड़िया ने चीता के शब्दों को ध्यान से सुना और समझा। वह चिंता मुक्त होकर उसके साथ खेलने लगा। दिन बितते गए और भेड़िया चीता की बातों को याद करता रहा।
एक दिन, जंगल में एक दुष्ट शेर आया। वह दूसरे जानवरों को डरा रहा था और उन्हें अपने दास्ताने में खाने की कोशिश कर रहा था। लोग बेहद डरे हुए थे और उन्हें शेर के सामने उसका सामना करने की क्षमता नहीं थी।
इस दौरान भेड़िया ने अपने दोस्त चीता से कहा, "चीता, हमें इस दुष्ट शेर के सामने उसका सामना करना होगा। वह हमारे जंगल को अपने अधीन करने की कोशिश कर रहा है।"
चीता ने भेड़िया के साथ मिलकर शेर के सामने उसका मुकाबला किया। शेर भयभीत होकर भाग गया और भेड़िया और चीता ने उसे जंगल से भगा दिया।
जंगल के सभी जानवरों ने भेड़िया और चीता को देखकर उन्हें धन्यवाद दिया। उनके साहस और सामर्थ्य को देखकर उन्होंने भेड़िया को जंगल का नया राजा घोषित किया।
भेड़िया बहुत खुश था। वह चीता को गले लगा और धन्यवाद दिया। उसके दोस्त ने उसे समझाया था कि वह खुद को बदलने की कोशिश न करें, बल्कि अपने स्वाभाविक रूप में रहे और लोग उसे सच्चे दिल से सम्मान करेंगे।
इस तरह भेड़िया ने अपने दोस्त चीता के सहायक बनकर जंगल के राजा का पद हासिल किया। उसकी यह कहानी जंगल के अन्य सभी जानवरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। भेड़िया ने यह सिखाया कि अपने सच्चे दोस्त का समर्थन करने से आप दूसरों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान बन सकते हैं।
बंदर ने शेर को पिंजरे में बंद कर लिया ( hathi aur bhalu ki kahani )
हाथी और भालू की कहानी
एक समय की बात है, जंगल में एक दिलचस्प घटना हुई। जंगल का राजा शेर, जो कि अपनी शक्ति और भयानक दिखावट के लिए प्रसिद्ध था, बड़े दमदार पिंजरे में बंद कर दिया गया। यह अचानकी और रहस्यमय घटना जंगल के सभी जानवरों के बीच अफवाहों से भरी बन गई।
बंदर, जो जंगल के सबसे चालाक और मनमौजी जानवर था, अपने दोस्तों के साथ बैठकर यह सभी अफवाहें सुन रहा था। बंदर का मन खुशी से भरा हुआ था क्योंकि वह बहुत दिनों से शेर को उसके अहंकार के चक्कर में देखना चाह रहा था। अब शेर पिंजरे में बंद था और बंदर को इस मौके का फायदा उठाना था।
बंदर और उसके दोस्तों ने मिलकर यह सोचा कि यह उनका सबसे बड़ा मौका है शेर के साथ मजाक करने का। उन्होंने एक योजना बनाई कि वे शेर के सामने जाकर उससे मजाक करेंगे।
बंदर ने एक बड़ी खूबसूरत झालर पहनी, जो कि राजसी दिखती थी और उसके सिर पर झक्कास टोपी रखी। वह और उसके दोस्त पिंजरे के सामने पहुंच गए और शेर को देखकर हँसने लगे।
शेर, जो पहले ख़ौफनाक और अहंकारी था, अब पिंजरे में बंद होकर बहुत नाराज़ था। उसे बंदरों की हंसी से गुस्सा आने लगा।
बंदर ने शेर के सामने दौड़ा और बोला, "हे राजा शेर, अब कैसा लगता है आपको अपने राजमहल से दूर बंद होकर?"
शेर ने ख़ास करके जवाब दिया, "तुम बंदर हो, और मुझे देखकर तुम्हे ख़ुशी हो रही है? यह मैं नहीं बरत सकता। मुझे अपने राजमहल की आजादी की याद आ रही है।"
बंदर और उसके दोस्त बहुत हँसे। उन्होंने शेर को बहुत चिढ़ाया और खेल खुशी में बिताया।
शेर ने धीरे से बंदरों से कहा, "ठीक है, अब बहुत हो गया। अब मुझे बाहर निकलने दो।"
बंदर ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर दिल्ली से बंदर की तरह खुशी से नाचते हुए कहा, "देखा, हमने शेर को बंद कर लिया। हमारे मजाक के कारण वह बहुत नाराज़ हो गया। अब उसे अपने अहंकार का पाठ पढ़ना पड़ेगा।"
बंदरों की खुशी और हंसी से जंगल में एक अलग माहौल बन गया। यह घटना सभी जानवरों के बीच में बहुत चर्चा का विषय बन गई। जंगल के राजा शेर ने अपने अहंकार के कारण खुद को पिंजरे में बंद करवा लिया था और बंदरों ने उसे उसकी गर्दन की चोटी पर बैठाया था। यह उन्हें समझाने के लिए एक महत्वपूर्ण सबक बन गई। अहंकार कभी भी भारी नहीं होता और उसे काबू में रखना जरूरी है।
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