आज की इस बच्चों को सीख देने वाली कहानी मे आप सभी पढ़ने वाले है hindi moral stories for kids क्यूंकी बच्चो को ज्ञान देने वाली कहानी पढ़ना बहुत ज़रूरी होता है इसी लिए आज हमने आप के लिए और आपके बच्चो के लिए बच्चों को सीख देने वाली कहानी लाये है तो चलिये शुरू करते है 100+ ज्ञान देने वाली कहानी
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
चुपचाप चलना सिखाती चिड़िया
एक छोटी सी हरियली चिड़िया थी। वह अपने रंग-बिरंगे पंखों और मीठी सी गरजती हुई आवाज़ से सभी को खूब प्रभावित करती थी। उसके पास चलने के लिए बहुत सारे विकल्प थे, लेकिन वह हमेशा चुपचाप चलती थी। इसलिए उसे "चुपचाप चलने वाली चिड़िया" कहा जाता था।
एक दिन, चिड़िया ने देखा कि उसके जंगल में बहुत सारे दोस्त हो रहे हैं। जंगल के बगीचे में एक मित्रता का महोत्सव मनाने का आयोजन हुआ था। वह इस अवसर का लाभ उठाना चाहती थी और नए दोस्त बनाने की इच्छा रखती थी। लेकिन चुपचाप चलने की वजह से वह अपनी इच्छा नहीं पूरी कर पा रही थी।
चिड़िया ने सोचा, "मुझे नए दोस्त बनाने के लिए और दोस्तों के साथ मस्ती करने के लिए मैं चुपचाप चलना छोड़ दूंगी।"
चिड़िया ने दोस्तों के साथ मिलकर मित्रता का महोत्सव मनाने का सोचा। उसने दोस्तों को बताया कि वह अब से चुपचाप चलना छोड़ देगी और उनके साथ हर पल खुलकर मिलेगी।
मित्रता के महोत्सव के दिन, जंगल में खूबसूरत तारों की बेलियों से सजा हुआ बगीचा था। चिड़िया ने अपने सभी दोस्तों को खुशनुमा आवाज़ में आमंत्रित किया। सभी चिड़ियों ने खुशी से उसका स्वागत किया और उनके साथ मिलकर खेलने का मजा लिया।
चुपचाप चलने वाली चिड़िया ने देखा कि जब वह खुलकर हंसती है और अपने दोस्तों के साथ खेलती है, तो वह खुद भी बहुत खुश रहती है। उसे यह एहसास हुआ कि जीवन में हर क्षण का आनंद उठाना ज़रूरी है।
इस खूबसूरत दिन के बाद, चिड़िया ने अपने चलने के अंदाज़ को बदल दिया और अब वह चुपचाप चलने की बजाय खुलकर चलती थी। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर जंगल में नए-नए सफर किए और जीवन के हर पल का आनंद लिया।
इस कहानी से बच्चे समझते हैं कि जीवन में चुपचाप नहीं चलना चाहिए, बल्कि खुलकर जीने का आनंद लेना चाहिए। अपने दोस्तों
सच्चे दोस्त की कदर
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक छोटा सा गांव था जहां रहने वाले सभी लोग एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे। वहां के दो बच्चे रामू और श्यामू बहुत ही अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा साथ-साथ खेलते थे, सभी कठिनाइयों का सामना मिलकर करते थे और एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां और दुख बांटते थे।
एक दिन, गांव में एक मेला आया। बच्चे बहुत खुश थे और उन्हें फेरिस व्हील, गुब्बारे, नाच-गाने और बड़े-बड़े मेले की खुशबू बहुत पसंद थी। रामू और श्यामू भी बिना किसी देरी के मेले की ओर भागने लगे।
जब दोनों बच्चे मेले पहुंचे, वे देखा कि वहां रंग-बिरंगी चटाके, मिठाईयां, खिलौने और बड़े-बड़े खिलौने थे। रामू को एक बड़ा सा गुब्बारा दिखाई दिया, जिसमें वह खेलना चाहता था, और श्यामू को एक खूबसूरत टेडी बियर मिला, जिसे उसने लम्बे समय से चाहा था।
रामू और श्यामू ने देखते ही एक-दूसरे को दिलेरश खिलौने के साथ खेलते हुए खुशी से हंसना शुरू किया। दोनों को अपने-अपने खिलौने मिल गए, लेकिन उन्होंने अपने खुशियों को एक-दूसरे के साथ बांट दिया। वे जितने भी गेम खेले, उन्होंने साथ में खेला।
फिर एक गेम में, रामू का गुब्बारा हवा में उड़ गया और श्यामू का टेडी बियर खराब हो गया। रामू और श्यामू थोड़ा दुखी हुए, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे को डटकर हंसाना शुरू किया।
उस दिन से उनकी मित्रता और मजेदार खेल और भी मजबूत हो गई। दोनों बच्चे अपने सबसे बड़े खिलौने को खो देने के बाद भी खुश रहते थे, क्योंकि उन्हें एक-दूसरे की कदर और साथीपना महत्वपूर्ण थी।
इस कहानी से बच्चों को यह समझाने का सन्देश मिलता है कि सच्चे दोस्ती में मौजूद विश्वास, समर्थन और साथीपना हमेशा सफलता की कुंजी होते हैं। अच्छे दोस्त वास्तविक खजाने होते हैं, जो जीवन में हर पल आपके साथ खड़े होते हैं
धैर्य की महिमा
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक छोटी सी बगिया थी। वहां पर बहुत सुंदर फूलों के पौधे थे। गांव के बच्चे बगीचे में खेलने आते और उन फूलों की खूबसूरति को देखकर खिलखिलाते थे।
एक दिन, बगीचे में एक बड़ा और खिलखिलाता हुआ पपीहा आया। वह बगीचे की खूबसूरती को देखकर बड़ी खुशी से गाने लगा। उसकी मिठी आवाज़ बगीचे में एक आनंद की लहर उत्पन्न कर देती थी।
फूलों को सुन्दर गाने की आवाज़ से बड़ा आनंद आया। वे खुशी से खिलने और खिलखिलाने लगे। परंतु पपीहा को देखकर एक और बच्चा आया और उसका मन भावुक हो गया।
वह छोटा बच्चा कंपकंपाते हुए पपीहा के पास गया और बोला, "हे पपीहा भैया, कृपया मुझे भी गाने का अवसर दीजिए। मेरा भी मन गाने का कर रहा है।"
पपीहा ने उस छोटे से बच्चे की दिशा में देखा और धैर्य से उसे समझाया, "बेटा, इस वक्त मेरा गाना चल रहा है। तुम थोड़ा इंतज़ार करो, और जब मैं खत्म कर दूंगा, तो तुम गाने के लिए आ जाना।"
छोटे बच्चे ने धैर्य रखकर बैठ गया और पपीहा के गाने का इंतज़ार करने लगा। पपीहा ने गाने में खूबसूरत तरीके से अपनी गायन शक्ति का प्रदर्शन किया।
जब पपीहा का गाना समाप्त हुआ, तो छोटे बच्चे ने उसे धन्यवाद दिया और खुशी से गाने का अवसर मिलते ही अपने मित्र को भी बुलाया। वे सभी धैर्य और आदर से गाने लगे।
इस छोटे से घटना से बच्चों को यह सिखाने का सन्देश मिलता है कि धैर्य रखने से हम अधिक खुशियों को प्राप्त कर सकते हैं। हमें अपने साथियों का सम्मान करना और उनकी बारी का इंतज़ार करना आनंददायक और शिक्षाप्रद होता है। धैर्य से काम लेने से हम बड़े और बेहतर व्यक्तित्व बनते हैं। धैर्य की महिमा हमेशा सफलता की राह दिखाती है।
अनुशासन का महत्व
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक छोटे से गांव में रहने वाले राजू नामक छोटे से बच्चे की जिंदगी बहुत मस्त और खुशनुमा थी। वह बड़े बड़े सपने देखता था और हमेशा से अपने माता-पिता के प्रति आदरभाव रखता था। परंतु एक दिन, उसके जीवन में कुछ बदल जाने वाला था।
राजू का बड़ा भाई, राहुल, एक सैन्य अधिकारी था। उसके पास अनेक गुण होते थे जैसे कि सच्चाई, धैर्य, विश्वास, और अनुशासन। राहुल बहुत ही संयमी और सजग व्यक्ति था। वह हमेशा समय पर उठता और अपने कर्तव्यों का पालन करता था।
एक दिन, राजू के पास एक बड़ा मौका आया। उसे अपने स्कूल के विद्यालय में देखा गया और उसको उस समय की सबसे प्रभावशाली परीक्षा में भाग लेना था। राजू को इस मौके का बड़ा इंतज़ार था और वह खुशी-खुशी तैयारी में लग गया। परंतु राहुल ने उसे यह सिखाया कि उसे इस परीक्षा की तैयारी के लिए अपने समय को समझीबूझी से व्यवस्थित करना होगा। उसने राजू को अनुशासन की महत्वता बताई।
राजू ने राहुल के वचनों पर विश्वास किया और अनुशासन से अपने दिनचर्या को संयमित किया। उसने अपने खेलने का समय काटकर अध्ययन में ज्यादा समय दिया। वह अपने सभी सवालों को ध्यानपूर्वक समझा और अध्ययन में उत्साह से लगा रहा।
अनुशासन के कारण राजू ने परीक्षा में बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए और सभी को हैरान कर दिया। उसके माता-पिता और राहुल बहुत खुश थे और उसकी उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे थे।
इस कहानी से बच्चों को यह सिखाने का सन्देश मिलता है कि अनुशासन का महत्व जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अध्ययन, खेल-कूद, और सभी कार्यों में अनुशासन से लगने से हमें सफलता की राह मिलती है। यह एक गुण है जो हमें एक अधिक समर्थ, संयमित और सफल व्यक्ति बनाता है।
सच्ची मित्रता की कहानी
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक छोटे से गांव में रहने वाले रमेश और सुरेश नामक दो दोस्त थे। वे दोनों बचपन से ही सबकुछ साझा करते थे। उनकी मित्रता इतनी मजबूत थी कि वे एक-दूसरे के बिना कुछ भी सोचने की कोशिश नहीं कर सकते थे।
एक दिन, रमेश के पास एक नई चालाकी वाली गेम की खबर मिली। वह गेम खेलने के लिए बहुत उत्सुक था। उसने सुरेश को बताया और उन्होंने मिलकर गेम खरीदने का फैसला किया।
लेकिन दोस्तों के पास उतना पैसा नहीं था, जितना वह गेम की कीमत थी। रमेश को अधिक पैसे की जरूरत थी, लेकिन उसके पास कोई और विकल्प नहीं था। वह बहुत चिंतित हो गया।
सुरेश ने देखा कि रमेश बहुत उदास हो गया है। उसने देखा कि रमेश के पास एक पुराना खिलौना था, जिसे उसने खेलना छोड़ दिया था। सुरेश ने सोचा कि वह अपने पुराने खिलौने को बेचकर रमेश को पैसे दे सकता है।
सुरेश ने रमेश से कहा, "देख, मैं अपने पुराने खिलौने को बेचकर तुझे पैसे दूंगा। तू उन पैसों से अपना पसंदीदा गेम खरीद सकता है।"
रमेश को बहुत खुशी हुई और वह अपने दोस्त सुरेश को गले लगाकर धन्यवाद दिया। रमेश ने अपने पुराने खिलौने को बेचकर उस गेम की खरीदारी की।
दोस्तों की मदद से, रमेश को वह नई गेम मिल गई। वे दोनों सुखी खुशी उस गेम को खेलने लगे। लेकिन सबसे बड़ी खुशी उन्हें तब हुई, जब उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाकर आभार व्यक्त किया।
इस कहानी से बच्चों को यह सिखाने का सन्देश मिलता है कि सच्ची मित्रता में दोस्त एक-दूसरे की मदद करते हैं। दोस्ती में देने और सबकुछ साझा करने से हमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्यार का अहसास होता है। एक सच्चे मित्र के साथ जीवन और भी खूबसूरत और खुशियों से भरा होता है।
ईमानदार बच्चा
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक छोटे से गांव में राहुल नामक एक बच्चे की जिंदगी बहुत सरल और ईमानदार थी। वह बहुत मेहनती और सच्चाई के प्रति वफादार था। राहुल के पिता एक सदर्मित खेतीकर थे और उन्होंने राहुल को सच्चाई और ईमानदारी की महत्वा का पाठ पढ़ाया था।
एक दिन, राहुल अपने पिता के साथ खेत में काम कर रहा था। उन्होंने अपने पिता को एक सोने के सिक्के मिला दिया। पिता ने उसे धन्यवाद दिया और उसे अपने पास रख लिया।
दिन बितते हुए रात को राहुल को एक अचानक ख्याल आया। उसे याद आया कि वह अपने पिता के पास सोने के सिक्के को वापस नहीं दिया था। उसे यह खबर सच्चाई और ईमानदारी से बखूबी समझी।
रात के खाने के बाद, राहुल ने अपने पिता से कहा, "पिताजी, मैंने आपको सोने का सिक्का वापस नहीं दिया था। मैं भूल गया था। मुझसे खेत में काम करते समय यह ख्याल ही नहीं आया।"
पिता ने राहुल को प्यार से देखा और बोले, "बेटा, तुमने सच्चाई बता दी और ईमानदारी से अपनी गलती को स्वीकार किया। यही एक सच्चे और ईमानदार व्यक्ति की पहचान होती है। तुम्हारी ईमानदारी को देखकर मुझे गर्व हो रहा है।"
राहुल के पिता ने उसे फिर से उस सोने के सिक्के को वापस कर दिया। राहुल बहुत खुश था और उसे यह महसूस हुआ कि सच्चाई और ईमानदारी हमेशा सफलता की राह दिखाती है।
इस कहानी से बच्चों को यह सिखाने का सन्देश मिलता है कि सच्चाई और ईमानदारी बहुत मूल्यवान गुण हैं। हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना और सच्चाई से अपने काम करना चाहिए। ईमानदारी हमें एक सच्चे और सफल व्यक्ति बनाती है।
कठिनाइयों का सामना
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक छोटे से गांव में रहने वाले रामू नामक बच्चे की जिंदगी बहुत ही साधारण थी। वह अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ खुशी-खुशी रहता था। परंतु एक दिन, एक ऐसी घटना हुई जो उसके जीवन में कठिनाइयों का सामना करने को मजबूर कर दिया।
एक दिन, रामू के पिता ने उसे स्कूल भेजने का निर्णय किया। रामू बहुत खुश था क्योंकि उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था। परंतु एक दिन, स्कूल में एक गणित की कठिन समस्या का सामना करने को मिला। रामू ने बहुत कोशिश की, परंतु उसे समस्या का सही समाधान नहीं मिला।
घर वापस आकर रामू बहुत दुखी और निराश हो गया। उसने अपने पिता को समस्या के बारे में बताया। उसके पिता ने रामू को प्यार से गले लगाया और कहा, "बेटा, कठिनाइयां हमें सिखाती हैं कि हमें और अधिक मेहनत करनी चाहिए। अगर सभी समस्याओं का समाधान आसान होता, तो हम कभी सीखते नहीं। इसलिए, तुम समस्याओं का सामना करते हुए मेहनत करो और समाधान ढूंढो।"
रामू को अपने पिता के वचनों पर विश्वास हुआ और वह दुबारा से समस्या के साथ निबटने की कोशिश करने लगा। उसने गणित के नोट्स पुनः देखे और मेहनत करने का निर्णय लिया। रामू ने बड़ी मेहनत की और धैर्य से समस्या का समाधान ढूंढा।
अहंकार का परिणाम
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक छोटे से गांव में रहने वाले रमेश नामक बच्चे की जिंदगी बहुत ही साधारण थी। वह दिल के साफ, सच्चे और मेहनती बच्चा था। परंतु एक दिन, उसके मन में एक नई समस्या उत्पन्न हो गई - अहंकार।
रमेश अपने स्कूल में बहुत अच्छे अंक प्राप्त करता था और इसके कारण उसका अहंकार बढ़ गया। वह खुद को बहुत ही समझदार और दूसरों से ऊपर मानने लगा। उसे अपने मित्रों से भी दूरी खींच गई, क्योंकि उसका अहंकार उसे समझ नहीं पाने देता था।
एक दिन, एक मित्र ने रमेश से कहा, "रमेश, तुम्हारा अहंकार बहुत बढ़ गया है। तुम अपने दोस्तों को भी नज़रअंदाज़ कर रहे हो। अहंकार एक बहुत बुरा गुण है। यह तुम्हें अकेला कर देगा।"
रमेश ने अपने मित्र के बातों को नजरअंदाज़ कर दिया। उसे लगा कि वह बिल्कुल सही है और वह अपने अहंकार को कम करने की कोशिश करने लगा।
परंतु उसे इसमें कामयाबी नहीं मिली। वह फिर से अहंकारी बन गया और उसके मित्र उससे दूर हो गए। उसे बहुत अकेला महसूस होने लगा।
अपने अहंकार से सिखते हुए, रमेश ने एक दिन वही अपने मित्र से मिलकर अपनी गलती मान ली। उसने उनसे माफी मांगी और वादा किया कि वह अब अहंकार को दूर रखेगा और सच्चा मित्र बनेगा।
उसके मित्र ने उसे गले लगाकर कहा, "रमेश, हम तुम्हें फिर से स्वागत करते हैं। यह सच्ची मित्रता है।"
रमेश को उस दिन से अहंकार का परिणाम समझ आया। उसने अहंकार को दूर किया और सच्ची मित्रता का मान बढ़ाया। उसके जीवन में अब सभी मित्र खुशी-खुशी वापस आ गए और रमेश की जिंदगी फिर से सरल और खुशनुमा हो गई।
इस कहानी से बच्चों को यह सिखाने का सन्देश मिलता है कि अहंकार बुरा गुण है और हमें इसे अपने जीवन से दूर रखना चाहिए।
जिद्दी घोड़ा
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक छोटे से गांव में एक खुबसूरत घोड़ा रहता था। उसकी माँ उसे बहुत प्यार करती थी और वह उसके साथ हमेशा खेलती रहती थी। घोड़े का नाम बिल्लू था।
परंतु बिल्लू एक जिद्दी और अड़चनीला घोड़ा था। जब उसे कुछ पसंद नहीं आता या कोई बात उसके मन को भाती नहीं तो वह दिलवाला हो जाता था। उसकी माँ भी उसे समझाती थी, परंतु बिल्लू किसी की नहीं सुनता था।
एक दिन, बिल्लू की माँ उसे एक नदी के पास ले गई। वहां पर एक सभ्य समुदाय गांववाले घोड़ों के साथ खेल रहा था। बिल्लू भी उनके साथ खेलना चाहता था, परंतु उसकी जिद्दीता के कारण कोई भी उसके साथ खेलने को तैयार नहीं था।
उसे देखकर बिल्लू बहुत दुखी हुआ। वह एक किनारे पर बैठकर रोने लगा। तभी एक बुढ़िया आई और उसे प्यार से समझाने लगी। उसने बिल्लू से कहा, "बेटा, जिद्द रखने से कुछ नहीं होगा। दूसरों के साथ भी अच्छा व्यवहार करो। वे भी तुमसे खेलने को तैयार हो जाएंगे।"
बुढ़िया के शब्दों से प्रेरित होकर, बिल्लू ने जिद्द छोड़ दी और उसने अन्य घोड़ों के साथ मिलकर खेलना शुरू किया। उसका अच्छा व्यवहार और सभ्यता सभी को भाया और सभी ने उसे स्वागत किया।
बिल्लू ने इस घटना से सीखा कि जिद्द करने से कुछ भी हासिल नहीं होता। वह जिद्दी न रहकर दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने से उसके जीवन में सुख और समृद्धि आएगी।
धैर्य और मेहनत की कहानी
बच्चों को सीख देने वाली कहानी
एक छोटे से गांव में रहने वाले राजू नामक बच्चे की जिंदगी बहुत ही साधारण थी। वह बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता था। अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ, वह बहुत मेहनती और सच्चाई से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा था।
एक दिन, राजू की माता ने उसे जंगल में एक पेड़ के नीचे जाने को कहा। वहां पर एक साधू महात्मा विराजमान थे। राजू को उनसे उसके उद्देश्य के बारे में बात करनी थी।
राजू धैर्य से विचार करते हुए वहां पहुंचा और साधू महात्मा के पास बैठ गया। साधू महात्मा ने राजू की इच्छा को समझा और उसे एक छोटा सा बीज दिया। उन्होंने कहा, "बच्चे, यह बीज तुम्हारे सपने का प्रतीक है। तुम्हें इसे अच्छे से पानी और मेहनत से पौधे की तरह देखभाल करना होगा।"
राजू खुशी-खुशी घर वापस आया और बीज को मिट्टी में बो दिया। वह हर दिन उसे पानी देता और उसकी देखभाल करता। धीरे-धीरे बीज से एक छोटा सा पौधा निकल आया। राजू ने अपने मेहनती पौधे को बहुत प्यार से देखभाल किया।
समय बीतते हुए, पौधा बड़ा हुआ और एक सुंदर पेड़ बन गया। राजू ने अपने पेड़ को सभी देखने वालों के सामने खुशी से देखा। उसके माता-पिता भी उसकी मेहनत को देखकर गर्व महसूस कर रहे थे।
अपने पेड़ के नीचे बैठे, साधू महात्मा ने राजू से कहा, "बच्चे, धैर्य और मेहनत का फल हमेशा मिलता है। तुमने अपने सपने की पुरी कोशिश की और उसे पूरा किया। अब जब तुम इस वृक्ष के नीचे बैठोगे, तो तुम्हें अपने अधीनस्थ और संसार में महान व्यक्तियों की कहानियां सुनाई जाएंगी।"
राजू ने साधू महात्मा को धन्यवाद दिया और उसकी बातों से बहुत कुछ सीखा। उसका धैर्य और मेहनत सफलता की कुंजी थे। उसे यह एहसास हुआ कि जीवन में सफल होने के लिए हमें धैर्य और मेहनत से काम करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
0 Comments