आज की इस छोटी नैतिक कहानी मे आप पढ़ने वाले है बच्चों की नैतिक कहानियां और साथ ही इस moral story in hindi से आपको एक सीख भी मिलने वाली है ये छोटी नैतिक कहानी है दो वेयपरियो की जिसे पढ़ कर आप लोगो को बहुत मज़ा आने वाला है ।
इस बच्चों की नैतिक कहानियां मे आपको फोटोके साथ छोटी नैतिक कहानी पढ़ने को मिलने वाली है तो चलिये शुरू करते है बच्चों की पढ़ने वाली कहानी
सोने की दिवारे ( बच्चों की पढ़ने वाली कहानी )
एक बार की बात है ढोलकपुर नाम के गांव में एक महेश नाम का आदमी रहा करता था वह बड़े ही प्राकृतिक तरीके से अपने खेत में फसल जाऊंगा था और उससे वाजिब दामों में गांव वालों को बेचा करता था।
रोज़ाना उसका बहुत व्यापार होता और वह अच्छी खासी आमदनी कम आया करता था। उसके पास आलू बैगन पपीता सब्जी और फल होते थे।
बच्चों की नैतिक कहानियां
लेकिन उसी के बगल में एक गुप्ता नाम का आदमी रहा करता था जो केमिकल से फल और सब्जियां उगाया करता था और इस की वजह से कोई भी उससे फल सब्जियां नही खरीदता था।
इस की वजह से वो महेश से बहुत जलता था। और हमेशा उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचता रहता था। एक दिन जब महेश अपनी सब्जियां और फल बेच कर घर जा रहा होता है तभी गुप्ता उसके पास आता है और उससे कहता है।
क्यू भाई सरकार हमे मुफ्त में बीज दे रही है क्या तुम्हे इसके बारे में कुछ पता है ये सुन कर महेश कहेता है नही गुप्ता भाई ये खबर तो मैने सुनी ही नहीं इसपर गुप्ता कहता है चलो मैं भी फ्री के बीच लेने जा रहा हूं क्या तुम भी चलोगे मेरे साथ सरकारी बीज मुफ्त में लेने के लिए यह सुन महेश कहता है यहां हां मैं भी चलूंगा तुम्हारे साथ।
और दोनों भी सरकारी बीज की दुकान में रहते हैं वहां पहुंचने के बाद गुप्ता महेश को बीच के दो बोरी रहता है और महेश से कहता है तुम घर जाओ मुझे कुछ काम है और यह कहकर महेश घर चल जाता है लेकिन गुप्ता पुलिस में यह खबर देता है सरकारी बीच में से किसी ने भी चुराए हैं।
यह खबर अखबार में आ जाती है और गुप्ता को अब तक लेकर महेश के पास जाता है और कहता है देखो अखबार में खबर आई है कि किसने सरकारी बीच में से भी जुड़ा है क्या यह बीच तुमने तो नहीं चुराया यह सुनकर मैं इसका एक पल नहीं नहीं यह बीज तो तुमने मुझे दिए थे।
गुप्ता कहता है हां यह तो मुझे पता है लेकिन पुलिस को तो पता नहीं है ना एक काम करो तुम कुछ दिनों के लिए यहां से कहीं चले जाओ वरना तुम्हें पुलिस पकड़ लेगी तो फालतू का लफड़ा हो जाएगा यह सुनकर मैं कहता है कि मैं कहां जाऊं इस पर गुप्ता कहता है कि चलो मैं तुम्हें कहीं छुपा कर आता हूं।
बच्चों की नैतिक कहानियां
गुप्ता महेश कौन गांव के बाहर एक जंगल में ले जाता है रोवा उसे एक अंग्रेजों का बनाया हुआ घर दिखता है उस घर में जब अंदर जाता है तो वह एक चीज दिखाई देती है वह देखकर गुप्ता कहता है कोई दिनों के लिए तो यहीं पर सब जाओ यहां पर मैं कुछ खाने पीने का सामान लाकर रख देता हूं यह सुनकर महेश कहता है कि तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद तुम मेरी कितनी मदद कर रहे हो।
यह सुनकर गुप्ता कहता है ठीक है ठीक है मैं तुम्हारा दोस्त हूं और दोस्त होने के नाते मेरा इतना तो फर्ज बनता है और गुप्ता खाने पीने की चीजें वहां रख देता है और वहां से चला जाता है।
वापस गांव आने के बाद अब गुप्ता अपने फल और सब्जियां बहुत ही महंगे दामों में भेजता है क्योंकि महेश की दुकान बंद थी और गांव वालो के पास उसके पास से फल और सब्जियां लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।
कोई गांव वाला गुप्ता से कहता कि तुम यह फल और सब्जियां तो बहुत महंगे दामों में बेच रहे हो जबकि इनका दाम तो कम है तो इस पर गुप्ता कहता हां हां तो जाओ शहर में जाकर खरीद लो ।
इस तरह गुप्ता अपनी मनमानी से अपना व्यापार करता और बेचारे गांव वालों को महंगे दामों में सब्जियां और फल बेचता था।
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शहर के एक बड़ी ज्वेलरी की दुकान से बहुत बड़ी सोने की चोरी हो जाती है और चोर वह सोना लेकर गांव में आ जाते हैं और गांव में आकर वह वही अंग्रेजों का बनाया हुआ महल देखते हैं और कहते हैं कि हमें यह सोना यहां छुपा देना चाहिए लेकिन उसमें से एक चोर देता है लेकिन हम इसे कहा छुपाएं।
तभी उसमें से एक चोर को आईडी आता है और वो कहता है हम यू सोना पीला करते बना देते हैं और यह इट इस अंग्रेजों के बनाए हुए महल में लगा देते हैं इससे पुलिस को क्या सीबीआई वालों को भी हम पर शक नहीं होगा और हम थोड़े दिन के लिए वापस शहर जब चले जाएंगे वापस आकर जब यह मामला ठंडा हो जाएगा तो यह ईंटे ले लेंगे।
फिर चोर सोने को पिघलाने लगते हैं और उसकी ईंटे बना लेते हैं और उस अंग्रेजों के बनाए हुए महल को लगा देते हैं और पूरी दीवार सोने की हो जाती है और यह कर कर वह शहर चले जाते हैं।
महेश भी उसी महल में था कुछ दिनों बाद गुप्ता वह आता है और महेश से कहता है कि चलो अब मामला थोड़ा ठंडा हो गया है यह सुनकर मैं ही बहुत खुश हो जाता है लेकिन जब वह बाहर आ रहे होते हैं तो गुप्ता देखता है कि उस दीवार में से एक सोने की ईट नीचे गिरी है यह देखकर गुप्ता वहीं उठा लेता है और पीछे छुपा लेता है और महेश से कहता है तुम जाओ गांव में और मुझे कुछ काम है मैं बाद में आता हूं।
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महेश बेचारा गांव चला जाता है लेकिन गुप्ता को लालच आ जाता है और वह दीवार से ईंट निकालने लगता है उतने में ही वो तीनो चोर आ जाते है और गुप्ता को ईंटे चुराते हुए देख लेते हैं और गुप्ता से कहते हैं यह हमारी उठे हैं इसे यहां रख दो और यहां से चले जाओ इस पर गुप्ता कहता है कि मैंने इन्हीं टोको पहले देखा है यह मेरी है।
अब चोरों को गुस्सा आ जाता है और वह तीनों मिलकर गुप्ता को मारने रखते हैं यह देखकर वहां से पुलिस गुजर रही होती है वह आती है और उन्हें कहती है कि तुम क्यों लड़ रहे हो तभी उन्हें वहां सोने की इधर दिखाई देती है यह देखकर वह कहते हैं अच्छा तो शहर में जो चोरी हुई है वह तुम ही ने की है इस पर गुप्ता कहता है नहीं नहीं मैं छोड़ नहीं हूं यह तीनों चोर है।
इस पर पुलिस करती है फिर तुम्हें इनके साथ क्या कर रहे हो और वह चारों को भी जेल में बंद कर देती है और बेचारे गुप्ता पर भी चोरी का इल्जाम लग जाता है और गुप्ता हमेशा के लिए जेल में बंद हो जाता है।
और इधर महेश गांव में और भी सब लोग आते हैं और अपना व्यापार
बढ़ाता है और खुशी से जिंदगी गुजरता है।
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